नए भारत के निर्माण के लिए भ्रष्टाचार पर अंकुश जरूरी : राष्ट्रपति
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को कहा कि नए भारत के निर्माण के लिए भ्रष्टाचार को मिटाना सबसे जरूरी है
नई दिल्ली:
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को कहा कि नए भारत के निर्माण के लिए भ्रष्टाचार को मिटाना सबसे जरूरी है. राष्ट्रपति केंद्रीय सतर्कता आयोग के सतर्कता जागरूकता सप्ताह 2018 समारोह को संबोधित कर रहे थे. इस वर्ष सतर्कता जागरूकता सप्ताह का विषय 'भ्रष्टाचार उन्मूलन-नए भारत का निर्माण' है.
राष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि हमारे लोगों का यह विश्वास लगातार बढ़ना चाहिए कि फैसले और कार्य पारदर्शिता, जवाबदेही और निष्पक्षता के साथ हो रहे हैं.
राष्ट्रपति ने कहा कि डिजिटल प्रणाली के अपनाने से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में मदद मिली है. इस प्रणाली में सार्वजनिक धन के दुरुपयोग की संभावना पैदा करने वाली खामियों को दूर किया जा रहा है.
इससे पहले राष्ट्रपति ने न्याय व्यवस्था में तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दिया था. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को कहा कि लोगों को त्वरित न्याय दिलाने में तकनीक बेहद मददगार हो सकता है। उन्होंने वकीलों से कहा कि उन्हें विशेष परिस्थितियों के अलावा मामले में स्थगन की मांग करने से बचना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि 'स्थगन मांग की संस्कृति अपवाद के बजाय एक कसौटी' के रूप में है। उन्होंने इस परंपरा को रोकने की अपील की और भरोसा जताया कि पूरी कानून बिरादरी के लोग यह संकल्प लेंगे कि बिल्कुल अपरिहार्य परिस्थितियों के सिवा अन्य अवसरों पर वह स्थगन की मांग नहीं करेंगे।राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट-ऑन-रिकार्ड एसोसिएशन के 'टेक्नोलॉजी, ट्रेनिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कीज टू स्पीडी जस्टिस' एंड 'द चेंजिंग फेस ऑफ लीगल एजुकेशन इन इंडिया' पर आयोजित एक दिवसीय कांफ्रेंस में यह बातें कहीं।
उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों पर केस का अत्यधिक दबाव है और इस वजह से भारतीय न्यायिक प्रणाली में मामले के निपटारे में बिलंब के लिए जाना जाता है। कोविंद ने लंबित पड़े मामलों में कमी लाने की दिशा में सरकार की ओर से उठाए गए कदमों का जिक्र किया।उन्होंने कहा कि अधीनस्थ न्यायालयों में इन्फ्रास्ट्रक्चर में कमी और रिक्तियां खासतौर से विलंब से न्याय प्रदान करने की वजहें हैं।
न्याय दिलाने की प्रणाली को सक्षम बनाने के लिए न्यायिक बुनियादी संरचनाओं के मसले पर सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा, "इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश प्रमुख चिंता है क्योंकि पर्याप्त बुनियादी विकास बिना हम सबको न्याय की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा नहीं कर सकते हैं।" महान्यायवादी के. के. वेणुगोपाल ने कहा कि वह जब छात्र थे तब किताबी ज्ञान पर जोर दिया जाता था मगर आज विधिक शिक्षा में काफी बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सर्वागीण विकास पर जोर दिया जाता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि 'स्थगन मांग की संस्कृति अपवाद के बजाय एक कसौटी' के रूप में है। उन्होंने इस परंपरा को रोकने की अपील की और भरोसा जताया कि पूरी कानून बिरादरी के लोग यह संकल्प लेंगे कि बिल्कुल अपरिहार्य परिस्थितियों के सिवा अन्य अवसरों पर वह स्थगन की मांग नहीं करेंगे।
राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट-ऑन-रिकार्ड एसोसिएशन के 'टेक्नोलॉजी, ट्रेनिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कीज टू स्पीडी जस्टिस' एंड 'द चेंजिंग फेस ऑफ लीगल एजुकेशन इन इंडिया' पर आयोजित एक दिवसीय कांफ्रेंस में यह बातें कहीं।
उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों पर केस का अत्यधिक दबाव है और इस वजह से भारतीय न्यायिक प्रणाली में मामले के निपटारे में बिलंब के लिए जाना जाता है। कोविंद ने लंबित पड़े मामलों में कमी लाने की दिशा में सरकार की ओर से उठाए गए कदमों का जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि अधीनस्थ न्यायालयों में इन्फ्रास्ट्रक्चर में कमी और रिक्तियां खासतौर से विलंब से न्याय प्रदान करने की वजहें हैं।
न्याय दिलाने की प्रणाली को सक्षम बनाने के लिए न्यायिक बुनियादी संरचनाओं के मसले पर सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा, "इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश प्रमुख चिंता है क्योंकि पर्याप्त बुनियादी विकास बिना हम सबको न्याय की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा नहीं कर सकते हैं।"
महान्यायवादी के. के. वेणुगोपाल ने कहा कि वह जब छात्र थे तब किताबी ज्ञान पर जोर दिया जाता था मगर आज विधिक शिक्षा में काफी बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सर्वागीण विकास पर जोर दिया जाता है।
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