राष्ट्रपति चुनाव 2017: राज्यसभा की कार्रवाई रुकने पर रोने लगे थे देश के 9वें राष्ट्रपति, जानिए दिलचस्प बातें
देश के ऐसे राष्ट्रपति जिनके शासनकाल में देश ने तीन अलग-अलग प्रधानमंत्रियों को शपथ लेते हुए देखा, वह थे शंकर दयाल शर्मा। ये पहले ऐसे नेता थे जो अपनी क्षमताओं की दम पर इस मुकाम पर पहुंचे थे।
नई दिल्ली:
देश के ऐसे राष्ट्रपति जिनके शासनकाल में देश ने तीन अलग-अलग प्रधानमंत्रियों को शपथ लेते हुए देखा, वह थे शंकर दयाल शर्मा। ये पहले ऐसे नेता थे जो अपनी क्षमताओं की दम पर इस मुकाम पर पहुंचे थे। भोपाल राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में भी इन्होंने अहम भूमिका निभाई है।
डॉ शंकर दयाल शर्मा ने स्वतंत्रता संग्राम और भोपाल रियासत विलय आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वे इन दोनों ही आंदोलनों में जेल गए थे। इसके बाद ही उन्हें भोपाल राज्यसभा का सदस्य चुना गया था। इनके बारे में यह प्रसिद्ध है कि डॉ शर्मा राज्यसभा के सभी नियमों को पालन करते थे।
डॉ शर्मा का जन्म 19 अगस्त 1918 में भोपाल में हुआ था। इनके पिता पं. खुशीलाल शर्मा एक मशहूर वैद्य थे। उस वक्त भोपाल नवाबों का शहर था।
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बचपन से ही पढ़ाई में होशियार रहे डॉ शर्मा ने प्रारंभिक पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने सेंट जोंस कॉलेज आगरा से अपना स्नातक किया। इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद और लखनऊ विश्वविद्यालय से एलएलबी की उपाधि हासिल की। हिंदी, संस्कृत और इंग्लिश में भी इन्होंने डिग्री हासिल की। इसके बाद वे इंग्लैंड चले गए और आगे भी पढ़ाई जारी रखी।
डॉ शर्मा ने 25 जुलाई 1992 को देश के नौवें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण की थी। 25 जुलाई 1997 में उनका बतौर राष्ट्रपति कार्यकाल देश में खत्म हुआ था। उनकी मृत्यु हार्ट अटैक से 26 दिसंबर 1999 को हुई थी।
डॉ शर्मा के बारे में जानिए कुछ खास बातें-
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1. जब डॉ शंकर दयाल शर्मा ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली तो उस वक्त केंद्र में प्रधानमंत्री पद पर पीवी नरसिम्हा राव काबिज थे। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने पीएम पद की शपथ ली और 15 दिन तक प्रधानमंत्री रहे।
इसके बाद फिर चुनाव हुए और एचडी देवगौड़ा ने पीएम पद का भार संभाला। फिर 21 अप्रैल 1997 को इंद्र कुमार गुजराल ने डॉ शर्मा से ही पीएम पद की शपथ ली थी।
2. डॉ शंकरदयाल शर्मा ने अपनी शुरुआती शिक्षा स्थानीय 'दिगम्बर जैन स्कूल' से पूरी की थी।
3. कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में कानून के लेक्चरार रहने के बाद उन्होंने भारत का रुख किया और लखनऊ विवि में कानून के अध्यापन का कार्य शुरू किया।
4. डॉ शर्मा की पत्नी विमला शर्मा भी अपने पूरे जीवन में कई समाज सेवा के कार्य किए। वे मध्यप्रदेश के उदयपुरा विधानसभा सीट से विधायक भी चुनी गईं थीं।
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5. 1942 में महात्मा गांधी के आव्हान पर जब भारत छोड़ो आंदोलन किया जा रहा था तब डॉ शर्मा ने भी इसमें बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था। इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा था।
6. भोपाल स्टेट को 1948 में भारतीय गणतंत्र में शामिल करने के लिए जो आंदोलन हुआ था उसमें डॉ शर्मा की भूमिका बहुत अहम थी। इस दौरान भी उन्हें जेल जाना पड़ा था।
7. 1972 से 1974 तक डॉ शर्मा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। इसके पहले वे भोपाल कांग्रेस कमेटी और मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान संभाल चुके थे।
8. इनके बारे में कहा जाता है कि ये एक बार राज्यसभा में इसलिए रो पड़े थे क्योंकि राज्यसभा के सदस्यों ने किसी राजनीतिक मुद्दे पर सदन को जाम कर दिया था।
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