राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार सुबह महाराष्ट्र में हुए अप्रत्याशित राजनीतिक घटनाक्रम की निंदा की है. उन्होंने कहा कि इस मामले में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए और वहां के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए. गहलोत ने आरोप लगाया कि कोश्यारी ने भाजपा के साथ मिलीभगत कर देवेन्द्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति को तुरंत इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए क्योंकि राष्ट्रपति शासन उनकी मुहर के बाद हटाया गया. राष्ट्रपति शासन हटाये जाने पर सवाल उठाते हुए गहलोत ने कहा, ‘‘राज्यपाल राजनीति नहीं करता है, वह राजनीतिक पार्टी छोड़ कर निष्पक्ष होने की शपथ लेता है, राज्यपाल संविधान की शपथ लेकर इस पद पर आसीन होता है. उन्होंने किस तरह से भाजपा नेताओं के साथ षड्यंत्र किया. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह जी से, (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी जी से किस प्रकार सलाह कर और षड्यंत्र कर शपथ दिलाई वह भी निंदनीय है.
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साथ ही, राज्यपाल को अपनी कुर्सी पर रहने का नैतिक रूप से कोई अधिकार नहीं रह गया है.’’ गहलोत ने कहा कि महाराष्ट्र से जो रिपोर्ट मिल रही है वह आश्चर्यचकित करने वाली है. इससे पता चलता है कि राज्यपाल ने भाजपा के साथ मिलीभगत कर राकांपा विधायकों के हस्ताक्षरों की बिना प्रमाणिकता के देवेन्द्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई. गहलोत ने कहा कि महाराष्ट्र के राज्यपाल को नैतिकता के आधार पर निश्चित तौर पर त्यागपत्र देना चाहिए. उन्हें अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है. गहलोत ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘यह सब जिस तरह से आनन-फानन में किया गया उसकी जरूरत क्या थी. यह राष्ट्रपति महोदय को खुद को बताना पड़ेगा....’’
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उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शासन सुबह 5.47 बजे हटाया गया. ऐसी क्या जरूरत थी कि इतनी सुबह राष्ट्रपति शासन हटाया गया. उन्होंने कहा कि राजग सरकार, विशेष तौर पर भाजपा ने रात के अंधेरे में जो खेल खेला है उसकी जितनी भी निंदा की जाये कम है. उन्होंने केन्द्र और भाजपा नेतृत्व से भी इस मामले में सफाई देने की मांग की है. उन्होंने कहा कि सही समय पर जनता भाजपा को सबक सिखायेगी.