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नागरिकता संशोधन विधेयक बना कानून, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दी मंजूरी

नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 अब कानून में बदल गया है. गुरुवार देर रात राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से इस बिल को मंजूरी दी गई.

Updated on: 13 Dec 2019, 08:28 AM

नई दिल्ली:

नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 अब कानून में बदल गया है. गुरुवार देर रात राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से इस बिल को मंजूरी दी गई. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद नागरिकता संशोधन विधेयक ने कानून का रूप ले लिया. इस कानून के बाद देशभर में अवैध तरीके से रहने वाले अप्रवासियों के लिए अपने निवास का कोई प्रमाण पत्र नहीं होने के बावजूद नागरिकता हासिल करना आसान हो जाएगा. नागरिकता के लिए 31 दिसंबर 2014 पात्र होने की समय सीमा है. इस तारीख तक या इससे पहले भारत में प्रवेश करने वाले अप्रवासीय  नागरिकता के लिए आवेदन कर सकेंगे. उनकी नागरिकता पिछली तारीख से ही लागू होगी.

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राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में 125 और विपक्ष में 105 वोट पड़े थे

नागरिकता संशोधन विधेयक बुधवार को राज्यसभा में पारित हुआ. राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में 125, जबकि विपक्ष में 105 वोट पड़े. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में गुरुवार को विधेयक को पेश किया, जिस पर करीब 6 घंटे की बहस के बाद अमित शाह ने सदन में विधेयक से संबंधित जवाब दिए. विपक्ष इस विधेयक का लगातार विरोध कर रहा और संविधान विरोधी बताता रहा. बुधवार को ही विधेयक को स्थायी समिति में भेजने का प्रस्ताव खारिज हो गया. समिति के पास इसे नहीं भेजने के पक्ष में 124 वोट और विरोध में 99 वोट पड़े. इस दौरान शिवसेना ने वॉकआउट किया और वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया.

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लोकसभा में बिल के पक्ष में 293 और विपक्ष में 82 मत पड़े थे

यह विधेयक लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका था. सोमवार को केंद्र सरकार ने  लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक को पेश किया. विपक्ष ने इस बिल को बुनियादी तौर पर असंवैधानिक बताया और भारतीय संविधान के अनुच्छेद-14 का उल्लंघन करार देते हुए विधेयक पर कड़ी आपत्ति जताई. लोकसभा में इस विधेयक की वैधानिकता पर एक घंटे की बहस हुई, जिसमें जांचा-परखा गया कि विधेयक पर चर्चा हो सकती है या नहीं. निचले सदन में इस बिल के पक्ष में 293, जबकि विपक्ष में कुल 82 मत पड़े थे.

क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक?

जो बिल अब कानून बन गया है, वह नागरिकता अधिनियम 1955 में बदलाव करेगा. इसके तहत बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आए हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन, पारसी और ईसाई धर्मों के शरणार्थियों के लिए नागरिकता के नियमों को आसान बनाना है. जो गैर-मुसलमान लोग धर्म के आधार पर उत्पीड़न के शिकार हुए और जान बचाने के लिए अपने देश छोड़कर भारत में दाखिल हुए, उन्हें सुरक्षा देना और भारत का नागरिक बनाया जा सकता है.

इस संशोधन बिल का मुख्य उद्देश्य गैर-मुसलमान अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता लेने के लिए छूट देना है. इस बिल से शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करने से संबंधित नियमों में बदलाव किया गया है. भारतीय नागरिकता लेने के लिए अब यहां उन्हें कम से कम 6 साल बिताने होंगे. इससे पहले नागरिकता देने का पैमाना 11 साल से अधिक था. इस संशोधन के तहत ऐसे अवैध प्रवासीय, जो 31 दिसंबर 2014 की तारीख तक भारत में प्रवेश कर चुके थे, वे भारतीय नागरिकता के लिए सरकार के पास आवेदन कर सकते हैं.