राष्ट्रपति ने देशवासियों को दी ईद-उल-अजहा की बधाई, कहा- कोरोना से लड़ने का लें संकल्प
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि यह त्योहार एकता और बंधुत्व के लिए प्रेम और बलिदान की भावना के प्रति सम्मान व्यक्त करने का है.
highlights
- देशभर में बकरीद का त्योहार मनाया जा रहा है
- राष्ट्रपति ने देशवासियों को दी ईद-उल-अजहा की बधाई
- रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग 70 दिनों बाद मनाया जाता है
नई दिल्ली:
देशभर में आज ईद-उल-अजहा यानि बकरीद का त्योहार मनाया जा रहा है. इस अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने सभी नागरिकों को बधाई दी और सभी से कोविड-19 के प्रसार को रोकने के उपायों को अपनाकर इस महामारी से लड़ने का संकल्प लेने की अपील की. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि यह त्योहार एकता और बंधुत्व के लिए प्रेम और बलिदान की भावना के प्रति सम्मान व्यक्त करने का है. राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने ट्वीट किया और लिखा- सभी देशवासियों को ईद मुबारक. ईद-उज-जुहा एक समावेशी समाज में एकता और बंधुत्व के लिए प्रेम और बलिदान की भावना के प्रति सम्मान व्यक्त करने और एक साथ काम करने का त्योहार है. आइए हम COVID दिशानिर्देशों का पालन करने और सभी की खुशी के लिए काम करने का संकल्प लें.
रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग 70 दिनों बाद मनाया जाता है
ईद उल अजहा यानी बकरीद इस्लाम धर्म को मानने वाले लोगों का प्रमुख त्योहार है. यह रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग 70 दिनों बाद मनाया जाता है. इस्लामिक मान्यता के अनुसार, हजरत इब्राहिम अपने पुत्र हजरत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा की राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उनके पुत्र को जीवनदान दे दिया उन्हीं की याद में यह पर्व मनाया जाता है. इस बार ईद उल अजहा यानी कि बकरीद 21 जुलाई को मनाई जाएगी.
मुसलमान ईद-उल-अजहा के मौके पर बकरे या तुंबे-भेड़ की कुर्बानी करते हैं
बता दें कि मुसलमान ईद-उल-अजहा के मौके पर बकरे या तुंबे-भेड़ की कुर्बानी करते हैं. उपमहाद्वीप के अलावा ईद-उल-अजहा को कहीं भी बकरीद नहीं कहा जाता. ईद-उल-अजहा का यह नाम बकरों की कुर्बानी करने की वजह से पड़ गया. बकरा ईद (bakra eid) के अवसर पर सबसे पहले नमाज अदा की जाती है. इसके बाद बकरे या तुंबे-भेड़ की कुर्बानी दी जाती है. कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है. इसमें से एक हिस्सा गरीबों को जबकि दूसरा हिस्सा दोस्तों और सगे संबंधियों को दिया जाता है. वहीं, तीसरे हिस्सा अपने परिवार के लिए रखा जाता है.
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