अध्यादेश के रास्ते कानून बनाने जा रही मोदी सरकार पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नाराजगी जाहिर की है। केंद्रीय कैबिनेट से शत्रु सम्पत्ति अधिनियम अध्यादेश को मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रपति के पास साइन के लिए भेजा गया था, जिस पर उन्होंने नाराजगी जताई।
शत्रु सम्पत्ति अधिनियम पर सरकार पांचवीं बार अध्यादेश ला रही है। खबरों के मुताबिक राष्ट्रपति ने केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि वह अब तक शत्रु सम्पत्ति अधिनियम को संसद के माध्यम से पारित नहीं करवा सकी।
हालांकि राष्ट्रपति ने देशहित का ध्यान रखते हुए अध्याधेश पर साइन कर दिए क्योंकि जनवरी में इससे जुड़े कुछ केस सुप्रीम कोर्ट में आने वाले हैं। इससे पहले अगस्त में भी यह अध्याधेश लाया गया था। तब कैबिनेट में उसका प्रस्ताव लाए बिना ही राष्ट्रपति के पास ले जाया गया था, जिसे लेकर प्रणब मुखर्जी ने आपत्ति जताई थी।
मुखर्जी ने कहा था कि फिर से कभी भी ऐसा नहीं होना चाहिए। आजादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ जब जब कैबिनेट में पेश किए बिना ही अध्यादेश को राष्ट्रपति के समक्ष रख दिया था।
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संसद के शीतकालीन सत्र नोटबंदी पर हुए हंगामे के कारण शत्रु सम्पत्ति अधिनियम पेश नहीं हो सका। जिसके बाद केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाने का फैसला किया है। शत्रु सम्पत्ति वह संपत्ति होती है जो किसी शत्रु देश या उस देश की किसी कंपनी की होती है। ये संपत्तियां शत्रु संपत्ति कानून के तहत नियुक्त कस्टोडियन की देख-रेख में रहती हैं। उस कस्टोडियन का कार्यालय केन्द्र सरकार के अंतर्गत होता है। 1965 की भारत-पाक लड़ाई के बाद साल 1968 में इस कानून को बनाया गया था।
Source : News Nation Bureau