पूर्व विदेश मंत्री और बीजेपी नेता सुषमा स्वराज के लिए मंगलवार को श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, बीजेपी के सीनियर नेता मुरली मनोहर जोशी, कांग्रेस नेता आनंद शर्मा समेत कई दिग्गज नेताओं ने शिरकत की और उन्हें श्रद्धांजलि दी.
श्रद्धांजलि सभा में बोले हुए पीएम मोदी ने सु्षमा स्वराज के साथ बिताए राजनीतिक पलों को याद करते हुए अपने कई अनुभव वहां लोगों से साझा किया. पीएम मोदी ने कहा, 'सुषमा जी के व्यक्तित्व के अनेक पहलू थे, जीवन के अनेक पड़ाव थे और बीजेपी के कार्यकर्ता के रूप में एक अनन्य निकट साथी के रूप में काम करते हुए, असंख्य घटनाओं के हम जीवंत साक्षी रहे हैं.'
कार्यकर्ताओं के लिए सुषमा जी बहुत बड़ी प्रेरणा हैं
पीएम मोदी ने कहा कि एक व्यवस्था के अंतर्गत जो भी काम मिले, उसे जी जान से करना और व्यक्तिगत जीवन में बड़ी ऊंचाई मिलने के बाद भी करना, ये कार्यकर्ताओं के लिए सुषमा जी की बहुत बड़ी प्रेरणा हैं.
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वह विनम्र थीं, लेकिन अंदर से बेबाक थीं
पीएम मोदी ने कहा, 'सुषमा स्वराज उम्र में छोटी थी लेकिन उनसे हमने बहुत कुछ सीखा है. वह विनम्र थी, नम थी लेकिन उनके अंदर बेबाक थीं.'
नतीजे आते ही मकान खाली किया
उन्होंने आगे कहा कि आमतौर पर हम देखते हैं कि कोई मंत्री या सांसद जब अपने पद पर नहीं रहता है, लेकिन सरकार को उसका मकान खाली कराने के लिए सालों तक नोटिस भेजनी पड़ती है कभी कोर्ट कचहरी तक होती है. सुषमा जी ने चुनाव नतीजे आने के बाद पहला काम मकान खाली करके अपने निजी निवास स्थान पर वो पहुंच गईं.
उनका भाषण प्रभावी होने के साथ, प्रेरक भी होता था
सुषमा जी का भाषण प्रभावी होने के साथ, प्रेरक भी होता था. सुषमा जी के वक्तव्य में विचारों की गहराई हर कोई अनुभव करता था, तो अनुभव की ऊंचाई भी हर पल नए मानक पार करती थी. ये दोनों होना एक साधना के बाद ही हो सकता है.
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सुषमा जी के कार्यकाल में पासपोर्ट कार्यालयों की संख्या 77 से 505 हुई
सुषमा स्वराज के काम का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'सुषमा जी के कार्यकाल में पासपोर्ट कार्यालयों की संख्या 77 से 505 हुई. इससे पता चलता है कि उन्हें लोगों की कितनी परवाह थी.'
सुषमा कृष्ण की बहुत बड़ी भक्त थीं
पीएम मोदी ने कहा कि वे कृष्ण भक्ति को समर्पित थीं. हम जब भी मिलते थे वह मुझे जय श्रीकृष्ण कहती थीं, मैं उन्हें जय द्वारकाधीश कहता था, लेकिन कृष्ण का संकेत वह जीती थीं. उनके जीवन को देखें तो पता चलता है कि कर्मण्येवाधिकारस्ते क्या होता है.
खुशी के पल को जीते-जीते वह श्री कृष्ण के चरणों में पहुंच गईं
पीएम ने कहा कि अब जीवन की विशेषता देखिए, उन्होंने सैकड़ों फोरम में जम्मू-कश्मीर की समस्या पर बोला होगा। धारा 370 पर बोला होगा, एक तरह से उसके साथ वह जी जान से जुड़ी थीं. जब जीवन का इतना बड़ा सपना पूरा होता है और खुशी समाती न हो. सुषमा जी के जाने के बाद जब मैं बांसुरी से मिला तो उन्होंने कहा कि इतनी खुशी-खुशी वह गईं हैं कि उसकी कल्पना करना मुश्किल है.एक प्रकार से उमंग से भरा मन नाच रहा था और उस खुशी के पल को जीते-जीते वह श्री कृष्ण के चरणों में पहुंच गईं.
बता दें कि सुषमा स्वराज का छह अगस्त को रात में दिल का दौरा पड़ने से 67 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. सुषमा स्वराज ने दिल्ली के एम्स अस्पताल में आखिरी सांस ली थी. कुछ साल पहले उनका किडनी ट्रांसप्लांट भी हुआ था.