Advertisment

कांग्रेस का यू-टर्न, पहले किया विरोध अब तारीफ़ कर कहा प्रणब ने दिखाया आरएसएस को आईना

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने पूर्व राष्ट्रपति की तारीफ़ करते हुए कहा कि आज उन्होंने अपने भाषण के ज़रिए आरएसएस को आईना दिखाया है।

author-image
Deepak Kumar
एडिट
New Update
कांग्रेस का यू-टर्न, पहले किया विरोध अब तारीफ़ कर कहा प्रणब ने दिखाया आरएसएस को आईना

कांग्रेस का यू-टर्न, पहले के बाद विरोध अब तारीफ (IANS)

Advertisment

आरएसएस (राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ) के कार्यक्रम में पू्र्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के भाषण से पहले विरोध कर रही कांग्रेस ने अब पलटी मारते हुए उनकी तारीफ शुरू कर दी है।

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने पूर्व राष्ट्रपति की तारीफ़ करते हुए कहा कि आज उन्होंने अपने भाषण के ज़रिए आरएसएस को आईना दिखा दिया है।

कांग्रेस ने कहा, 'डॉ मुखर्जी ने आज आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होकर देश की चिंता पर बहस के लिए वृहत मंच दे दिया है। इसके साथ ही पूर्व राष्ट्रपति ने संघ को आईना दिखाया है। उन्होंने बहुलतावादी, सहिष्णुता और सांस्कृतिक विविधता के बारे में बात करते हुए संघ को इसके मायने समझाये।'

सुरजेवाला ने आगे कहा कि प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस को भारत का इतिहास और संस्कृति बताई लेकिन क्या वह इसे समझने को तैयार हैं? 

उन्होंने कहा, 'मुखर्जी ने आरएसएस को भारत के इतिहास की याद दिलाई। उन्होंने आरएसएस को सिखाया कि भारत की ख़ूबसूरती असहिष्णुता, विविधतावादी सोच, धर्म और भाषा में बसती है। क्या आरएसएस इस पर अमल करने को तैयार है?'

आरएसएस को प्रणब से नसीहत लेने की सलाह देते हुए कहा, 'एक अतिथि के तौर पर प्रणब मुखर्जी ने जो भी कहा उस पर प्रमुखता से चर्चा होनी चाहिए न कि केवल अनुचित औपचारिकता निभाई जानी चाहिए।'

गौरतलब है कि संघ के कार्यक्रम में मुखर्जी ने स्वयंसेवकों को राष्ट्र, राष्ट्रवाद और देशभक्ति का पाठ पठाया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुखर्जी ने कहा, 'मैं यहां राष्ट्र, राष्ट्रवाद और देशभक्ति पर बोलने आया हूं। देश के प्रति समर्पण ही असली देश भक्ति है। भारत के दरवाजे सभी के लिए खुले हुए हैं। यह विविधताओं से भरा देश है और इसके प्रति निष्ठा ही देशभक्ति है, लेकिन असहिष्णुता से हमारी राष्ट्रीय पहचान धूमिल होती है। नफरत और भेदभाव से हमारी पहचान को खतरा है।'

इतिहास का जिक्र करते हुए मुखर्जी ने कहा, 'भारतीय राज्य के उदभव की जड़ें छठीं शताब्दी से निकलती हैं। 600 सालों तक भारत पर मुस्लिमों का शासन रहा और इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी आई। पहली आजादी की लड़ाई के बाद भारत की कमान महारानी के हाथों में चली गई, लेकिन एक बात को ध्यान में रखा जाना जरूरी है कि कई शासकों के बाद भी 5000 साल पुरानी सभ्यता की निरंतरता बनी रही।'

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रवाद किसी भाषा, रंग, धर्म, जाति आदि से प्रभावित नहीं होता। भारत की आत्मा बहुलवाद में बसती है।

मुखर्जी ने कहा कि आधुनिक भारत का विचार किसी नस्ल और धर्म विशेष के दायरे से नहीं बंधा है। आधुनिक भारत का विचार कई भारतीय नेताओं की देन है, जिनकी पहचान किसी नस्ल या धर्म विशेष की मोहताज नहीं रही।

और पढ़ें- नागपुर में RSS को प्रणब ने पढ़ाया राष्ट्रवाद का पाठ, कहा-असहिष्णुता से कमजोर होती है हमारी राष्ट्रीय पहचान

HIGHLIGHTS

  • प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस को भारत का इतिहास और संस्कृति बताई लेकिन क्या वह इसे समझने को तैयार हैं?
  • एक अतिथि के तौर पर प्रणब मुखर्जी ने जो भी कहा उस पर प्रमुखता से चर्चा होनी चाहिए न कि केवल अनुचित औपचारिकता निभाई जानी चाहिए।

Source : News Nation Bureau

Pranab Mukherjee LIVE Updates Pranab Mukherjee Pranab mukherjee at RSS event Mohan Bhagwat President Pranab mukherjee RSS event LIVE RSS event in Nagpur Pranab mukherjee Speech randeep singh sur Pranab mukherjee Nagpur event Mohan Bhagwat Speech
Advertisment
Advertisment
Advertisment