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प्रतापगढ़ की घटना को क्यों दिया जा रहा इतना तूल?

प्रतापगढ़ की घटना को क्यों दिया जा रहा इतना तूल?

Updated on: 28 Sep 2021, 09:25 PM

लखनऊ:

अगर उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव कुछ ही महीने दूर नहीं होते, तो प्रतापगढ़ की घटना को अति उत्साही राजनीतिक कार्यकर्ताओं के बीच शायद इतना तूल नहीं दिया गया होता।

शनिवार को प्रतापगढ़ जिले के संगीपुर विकासखंड सभागार में गरीब कल्याण मेला का आयोजन किया गया था, जहां स्थानीय भाजपा सांसद संगम लाल गुप्ता मुख्य अतिथि थे।

गुप्ता निर्धारित समय से दो घंटे देरी से चले और तब तक कांग्रेस के पूर्व सांसद प्रमोद तिवारी और कांग्रेस विधायक दल की नेता आराधना मिश्रा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंच चुके थे।

समर्थकों के साथ मंच पर पहुंचे गुप्ता के लिए आराधना मिश्रा ने अपनी सीट छोड़ दी। गुप्ता के समर्थकों में से एक ने आराधना से माइक्रोफोन छीन लिया और नारेबाजी करने लगे।

भाजपा कार्यकर्ता के नारेबाजी करने पर कांग्रेस समर्थक भी नारेबाजी कर अपनी ताकत का प्रदर्शन करने लगे। उसी दौरान दोनों पक्षों के कार्यकर्ताओं के बीच हाथापाई होने लगी, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।

एक घंटे बाद संगम लाल गुप्ता ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उनकी शर्ट की आस्तीन फटी हुई थी। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस नेताओं ने उन पर हमला किया था।

कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी घटनाओं के क्रम को याद करते हुए कहते हैं, कार्यक्रम दोपहर 12.30 बजे था, लेकिन भाजपा सांसद देर से, दोपहर करीब 2.30 बजे आए और आराधना और मैं, दोनों ने उनका स्वागत किया। उनके समर्थकों ने नारेबाजी शुरू कर दी और उनके साथ आए लोगों ने जिला पंचायत सदस्यों के साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया। चूंकि मंच छोटा था और सभी को समायोजित नहीं किया जा सकता था, कुछ धक्का-मुक्की हुई। उन्होंने माइक को क्षतिग्रस्त कर दिया और उद्घोषक को भी धक्का दे दिया। इससे पूरा दृश्य बदसूरत हो गया और फिर वे मौके पर मौजूद अन्य लोगों से भिड़ गए। मेरे नौ समर्थकों को चोटें आई हैं।

हालांकि, भाजपा सांसद संगम लाल गुप्ता अपनी शिकायत पर अड़े रहे और आरोप लगाया कि उनके समर्थकों और उन पर पूर्व नियोजित हमला किया गया। उन्होंने आरोप लगाया, तिवारी के समर्थकों ने मौके पर मौजूद संगीपुर एसएचओ के साथ मारपीट भी की और मेरे वाहन को भी क्षतिग्रस्त कर दिया।

उनकी शिकायत के आधार पर शनिवार की शाम 7.41 बजे लालगंज थाने में प्रमोद तिवारी, उनकी बेटी आराधना मिश्रा और संगीपुर ब्लॉक प्रमुख बबलू सिंह सहित 27 लोगों के अलावा 50 अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई। ये धाराएं दंगे की नीयत से घातक हथियारों से लैस होने, गैरकानूनी जमावड़ा करने, स्वेच्छा से चोट पहुंचाने और मानव जीवन या दूसरों की व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने से संबंधित हैं।

दो घंटे बाद, रात 9.14 बजे कांग्रेस नेताओं और उनके समर्थकों के खिलाफ एक और प्राथमिकी भाजपा कार्यकर्ता देवेंद्र प्रताप सिंह की शिकायत पर दर्ज की गई और उसके बाद हाल ही में पंचायत चुनाव लड़ने वाली एक महिला के बेटे अभिषेक कुमार मिश्रा की शिकायत पर रात 9.53 बजे एक और प्राथमिकी दर्ज की गई। फिर रात 10.52 बजे बीडीसी सदस्य ओम प्रकाश पांडेय की शिकायत पर एक प्राथमिकी दर्ज की गई।

बाद में रात 11 बजकर 32 मिनट पर भाजपा सांसद को सुरक्षा मुहैया कराने वाले पुलिस कांस्टेबल सुनील कुमार की शिकायत पर कांग्रेस नेताओं और उनके समर्थकों के खिलाफ पांचवीं प्राथमिकी दर्ज की गई।

कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी की ओर से संगीपुर प्रखंड प्रमुख अशोक कुमार सिंह ने पुलिस में शिकायत कर भाजपा सांसद संगम लाल गुप्ता समेत पांच नामजद लोगों और उनके अज्ञात समर्थकों पर सरकारी दस्तावेज फाड़ने, हिंसा करने और महिलाओं के साथ बदसलूकी करने का आरोप लगाया है।

कांग्रेस कार्यकर्ता धर्मेद्र तिवारी और छोटेलाल सरोज ने दावा किया कि उन्होंने भाजपा सांसद और उनके समर्थकों के खिलाफ लालगंज थाने में भी शिकायत दी थी, लेकिन कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई।

भाजपा सांसद और उनके समर्थकों ने धरना दिया और शांति सुनिश्चित करने के लिए वहां भारी बल तैनात किया गया।

प्रयागराज रेंज के आईजी के.पी. सिंह ने प्रतापगढ़ का दौरा करने और घटना के बाद स्थिति का जायजा ने के बाद कहा, स्थिति नियंत्रण में है और जांच जारी है।

लालगंज के सर्कल अधिकारी जगमोहन सिंह को राज्य सरकार ने संगीपुर में हुई घटना के संबंध में उनके काम में ढिलाई के कारण निलंबित कर दिया। सीओ पर संगीपुर विकास खंड सभागार में पर्याप्त पुलिस बल तैनात करने में विफल रहने का आरोप लगाया गया था।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संगम लाल गुप्ता को तलब कर घटना के बारे में पूछताछ की। उन्होंने कथित तौर पर यह सुनिश्चित किया कि सांसद ने इस मुद्दे का कोई लाभ नहीं लिया।

कांग्रेस ने 24 घंटे से अधिक समय तक इस घटना को नजरअंदाज किया, लेकिन अचानक रविवार की देर रात न्यायिक जांच की मांग की।

लखनऊ से एक भी कांग्रेस नेता ने प्रतापगढ़ का दौरा करने और दोनों कांग्रेस नेताओं के साथ एकजुटता व्यक्त करने की जहमत नहीं उठाई।

मंगलवार को लखनऊ में प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ राज्यभर के कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया, जिलाधिकारियों के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा और न्यायिक जांच कराने सहित सभी कांग्रेस नेताओं के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने की मांग की।

दोनों पक्षों ने हालांकि स्पष्ट रूप से महसूस किया है कि इसे मुद्दे को राजनीतिक लाभ के लिए आगे नहीं बढ़ाया जा सकता।

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