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उद्योगपति आनंद महिंद्रा को नागवार गुजरा साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का बयान कहा यह..

उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने शुक्रवार को कहा कि महात्मा गांधी की विरासत हमारे लिए 'पवित्र' है और उसे नुकसान पहुंचाने का प्रयास तालिबान द्वारा अफगानिस्तान में मूर्तियां तोड़ने के कृत्य जैसा है.

Updated on: 18 May 2019, 10:44 AM

नई दिल्ली:

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी और मालेगांव बम ब्लास्ट मामले में आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर द्वारा महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताने पर उद्योग जगत ने भी नाराजगी जताई है. उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने शुक्रवार को कहा कि महात्मा गांधी की विरासत हमारे लिए 'पवित्र' है और उसे नुकसान पहुंचाने का प्रयास तालिबान द्वारा अफगानिस्तान में मूर्तियां तोड़ने के कृत्य जैसा है.

बता दें भोपाल सीट पर बीजेपी की उम्मीदवार प्रज्ञा ठाकुर द्वारा महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताए जाने से छिड़े विवाद के बीच महिंद्रा ने एक ट्वीट में यह टिप्पणी की.

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सोशल मीडिया के जरिए अपनी बेबाक बात रखने वाले उघोगपति ने कहा, 75 साल से भारत महात्मा की भूमि रहा है. वह एक मशाल की तरह हैं. दुनिया ने जब अपनी नैतिकता गंवा दी, हमें गरीबी में धकेल दिया गया, लेकिन तब भी हम अमीर थे क्योंकि हमारे पास बापू थे. उन्होंने दुनिया भर में अरबों लोगों को प्रेरित किया.

प्रज्ञा का नाम लिए बिना या उनके बयान का संदर्भ दिए बिना आनंद महिंद्रा ने कहा कि कुछ चीजों को हमेशा पवित्र रहने देना चाहिए. वरना हम, प्रेरित करने वाली या भरोसा देने वाली मूर्तियों को तबाह करते हुए एक दिन तालिबान बन जाएंगे. इस ट्वीट को कुछ ही घंटे में 8 हजार से ज्यादा बार रीट्वीट किया गया. नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने भी इसे रीट्वीट किया.

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि प्रज्ञा ने माफी मांग ली है, लेकिन मैं अपने मन से उन्हें माफ नहीं कर पाऊंगा. मोदी ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा, महात्मा गांधी के बारे में या गोडसे पर जो भी बातें की गईं. इस प्रकार जो भी बयान दिए गए हैं, ये बहुत ही खराब हैं, खास प्रकार से घृणा के लायक हैं, आलोचना के लायक हैं. सभ्य समाज के अंदर इस प्रकार की भाषा नहीं चलती. इस प्रकार की सोच नहीं चल सकती. इसलिए ऐसा करने वालों को सौ बार आगे सोचना पड़ेगा. मोदी ने कहा, दूसरा उन्होंने (प्रज्ञा) माफी मांग ली, अलग बात है. लेकिन मैं अपने मन से माफ नहीं कर पाऊंगा.