पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी ने कहा कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) अतिवाद और हिंसा को बढ़ावा देने के लिए इमरान खान के नेतृत्व वाली पीटीआई पर प्रतिबंध लगाने के कदम का विरोध नहीं करेगी।
डॉन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले, जब पीएमएल-एन के कुछ नेताओं ने एक राजनीतिक दल के रूप में पीटीआई पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा था, तब बिलावल ने असहमति व्यक्त की थी।
उन्होंने ये टिप्पणी इस्लामाबाद में मीडिया से बात करते हुए की, जो प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ के साथ बैठक के दौरान व्यक्त की गई भावनाओं की प्रतिध्वनि थी।
उन्होंने कहा, मैंने संघीय कैबिनेट में पीटीआई पर प्रतिबंध लगाने के कदम का विरोध किया है, लेकिन अब हम कुछ नहीं कर सकते, क्योंकि उन्होंने (पीटीआई) हद पार कर दी है।
उन्होंने अलंकारिक रूप से पूछा,हम क्या कर सकते हैं अगर एक राजनीतिक दल एक उग्रवादी संगठन में बदलना चाहता है।
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, 9 मई को हुए दंगों और हिंसा में शामिल पीटीआई समर्थकों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सैन्य अदालतें स्थापित करने पर पीपीपी अध्यक्ष ने कहा कि उनकी पार्टी कानून और संविधान के तहत किए गए किसी भी काम का समर्थन करेगी।
पीपीपी नेता ने नई सैन्य अदालतों की स्थापना के लिए संवैधानिक संशोधन की संभावना से इनकार किया।
उन्होंने कहा कि सेना अधिनियम के तहत अदालतों का गठन किया जा सकता है,संवैधानिक संशोधन की कोई आवश्यकता नहीं है।
डॉन ने बताया, बिलावल ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं।
डॉन से बात करते हुए पीपीपी नेता फरहतुल्लाह बाबर ने कहा कि बिलावल ने 19 मई को पीपीपी की केंद्रीय कार्यकारी समिति की बैठक के बाद पहली बार शरीफ से मुलाकात की।
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Source : IANS