उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वीकार किया है कि कोयले की कमी और उच्च आद्र्रता के स्तर के कारण बढ़ती बिजली की मांग के मद्देनजर बिजली संकट मंड़रा रहा है।
राज्य के ऊर्जा विभाग के अनुसार, देश भर में 16 बिजली परियोजनाओं में से आठ के पास केवल छह दिनों के लिए कोयले का भंडार है, जबकि 109 गैर-पिथेड परियोजनाओं में से 25 ने (कोयला हेड से कम से कम 1500 किलोमीटर की दूरी पर स्थित)एक सप्ताह के लिए स्टॉक रखें हैं।
त्योहारी सीजन के चलते बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है।
67 परियोजनाओं के पास केवल चार दिनों के लिए कोयला भंडार बचा है।
उत्तर प्रदेश के मामले में, संकट का सामना कर रहे बिजली परियोजनाओं में अनपरा (2630 मेगावाट), ओबरा (1000 मेगावाट), परीचा (920 मेगावाट) और हरदुआगंज (610 मेगावाट) शामिल हैं।
ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि राज्य भी कोयले की कमी से प्रभावित है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश बिजली उत्पादन कंपनी के अधिकारी स्थिति में सुधार के लिए कोयला मंत्रालय के संपर्क में हैं।
शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार शेड्यूल के अनुसार ग्रिड में बिजली देने की पूरी कोशिश कर रही है।
उन्होंने स्वीकार किया कि कोयले की कमी के कारण कुछ केंद्रीय और निजी परियोजनाएं कम लोड पर चल रही थीं।
कहा जा रहा है कि यह कमी अत्यधिक वर्षा के कारण हुई है जिससे कई खदानें पानी से भर गई हैं।
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Source : IANS