आज निकल रहे हैं KMP Expressway से, तो पहले पढ़ लें यह खबर
हरियाणा (Haryana) पुलिस ने एक यातायात एडवाइजरी जारी की है. नियोजित नाकाबंदी 10 अप्रैल को सुबह 8 बजे से 11 अप्रैल को सुबह 8 बजे तक होगी.
highlights
- संयुक्त किसान मोर्चे आज ब्लॉक करेगा केएमपी एक्सप्रेस-वे
- हरियाणा पुलिस ने एक यातायात एडवाइजरी जारी की
- नाकाबंदी 10 अप्रैल सुबह 8 से 11 अप्रैल सुबह 8 बजे तक
नई दिल्ली:
संयुक्त किसान मोर्चा आज कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस-वे (KMP Expressway) को 24 घंटे ब्लॉक करने जा रहा है, जिसको देखते हुए हरियाणा (Haryana) पुलिस ने एक यातायात एडवाइजरी जारी की है. नियोजित नाकाबंदी 10 अप्रैल को सुबह 8 बजे से 11 अप्रैल को सुबह 8 बजे तक होगी. अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक नवदीप सिंह विर्क ने कहा कि हिंसा को रोकने और यातायात को सुविधाजनक बनाने के लिए विस्तृत व्यवस्था की गई है. केएमपी एक्सप्रेस-वे पर किसानों (Farmers Protest) के बड़े पैमाने पर जमावड़े को ध्यान में रखते हुए. उन्होंने कहा कि सभी रेंज पुलिस अधिकारियों को जनता को न्यूनतम असुविधा हो, इसके लिए कानून और व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं.
पुलिस-प्रशासन भी सख्त
उन्होंने कहा कि सोनीपत, झज्जर, पानीपत, रोहतक, पलवल, फरीदाबाद, गुरुग्राम और नूंह के प्रभावित जिलों में ट्रेफिक डायवर्जन की योजना बनाई गई है. उन्होंने कहा कि नेशनल हाईवे 44 पर अंबाला से आने वाले यात्री गाजियाबाद और नोएडा की ओर करनाल होते हुए शामली और पानीपत से सनौली की ओर जा सकते हैं. इसी तरह गुरुग्राम और जयपुर की ओर जाने वाले वाहन पानीपत से राष्ट्रीय राजमार्ग 71-ए की ओर मुड़ सकते हैं और गोहाना, रोहतक, झज्जर और रेवाड़ी होकर जा सकते हैं. विर्क ने कहा कि किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू की जाएगी.
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मोर्चे ने दिया भरोसा
हालांकि किसान संयुक्त मोर्चा ने भरोसा दिलाते हुए कहा, 'हम सभी किसानों की तरफ से आश्वस्त करते हैं कि बंद के दौरान एक्सप्रेस-वे पर लोगों के साथ अच्छा व्यवहार किया जाएगा.' दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे लंबे आंदोलन (Farmers Protest) को किसान मजबूत धार देने में लगे हुए हैं, यही वजह है कि देश के विभिन्न हिस्सों में महापंचायतों के अलावा कभी भारत बंद तो कभी केएमपी बंद करने की रूपरेखा बनाई जा रही है. तीन नए खेती कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल 26 नवंबर से ही राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों ने सरकार पर दबाब डालने के लिए इससे पहले भी रणनीति बनाकर आंदोलन के अलग-अलग रूप दिखा चुके हैं, लेकिन सरकार और किसान नेताओं के बीच फिर से वार्ता शुरू होने की सूरत अब तक नहीं बन पाई है.
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सुप्रीम कोर्ट को कमेटी ने सौंपी रिपोर्ट
इस बीच तीन नए विवादास्पद कृषि कानूनों का अध्ययन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त कमेटी ने अपनी रिपोर्ट 19 मार्च को एक सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है. किसान पिछले 4 महीनों से इन कानूनों को निरस्त किए जाने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी को इन तीनों कानूनों के क्रियान्वयन पर अगले आदेशों तक रोक लगा दी थी और गतिरोध का समाधान करने के लिए चार सदस्यीय कमेटी नियुक्त की थी. कमेटी को कानूनों का अध्ययन करने और सभी हितधारकों से चर्चा करने के लिए दो महीने का समय दिया गया था. अब अदालत भविष्य की कार्रवाई पर फैसला करेगी. कमेटी की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, कमेटी ने किसान संगठनों, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की खरीद एजेंसियों, पेशेवरों, शिक्षाविदों, निजी और साथ ही राज्य कृषि विपणन बोर्डों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के कुल 12 दौर किए.
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