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पीएम मोदी की ‘ताली बजाओ’ अपील के चलते लोग नहीं समझ पा रहे लॉकडाउन की गंभीरता : शिवसेना

शिवसेना ने मंगलवार को कहा कि कोरोना वायरस से निपटने के काम में लगे लोगों की सराहना करने के लिए ताली बजाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के कारण लोग इस वैश्विक महामारी को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन की गंभीरता को समझ नहीं रहे.

Updated on: 24 Mar 2020, 12:20 PM

मुंबई:

शिवसेना ने मंगलवार को कहा कि कोरोना वायरस से निपटने के काम में लगे लोगों की सराहना करने के लिए ताली बजाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के कारण लोग इस वैश्विक महामारी को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन की गंभीरता को समझ नहीं रहे. पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ के एक संपादकीय में कहा गया है कि देश के लोग किसी चीज को तभी गंभीरता से लेते हैं जब उसे लेकर भय या आतंक महसूस हो.

मराठी दैनिक में कहा गया, “जब लोगों में डर बढ़ने लगा था, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से स्वास्थ्य कर्मियों का मनोबल बढ़ाने के लिए बालकनी में निकल कर ताली और थाली बजाने के लिए कहा.” इसमें कहा गया कि अपील पर प्रतिक्रिया देते हुए लोग बड़ी संख्या में बाहर आए और सड़कों पर नाचने लगे जिससे स्थिति “उत्सव” जैसी लगने लगी. उद्धव ठाकरे नीत पार्टी ने कहा, “इस पूरे मुद्दे को किसने गैर-गंभीर नजरिया दिया? राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए और नारेबाजी करने लगे. हमने निषधाज्ञाओं का उल्लंघन किया. यह नागरिकों का कर्तव्य है कि वे बंद के संबंध में राज्य सरकार के आदेश का पालन करें.”

पार्टी ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब लोगों से घर में रहने और बंद को गंभीरता से लेने की अपील की है. “लेकिन लोगों को ताली बजाने और थाली बजाने की रविवार की घटना के बाद कोरोना वायरस से डर नहीं लग रहा.” शिवसेना ने पूछा कि प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री द्वारा चिंता जाहिर करने का क्या फायदा, जब लोग वर्तमान स्थिति के प्रति गंभीर या चिंतित ही नहीं रहेंगे?

सामना में कहा गया कि जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की सीमाएं सील कर दीं और कहा कि हवाईअड्डा भी बंद रहेगा. लेकिन तब नागर विमानन मंत्रालय ने कहा कि हवाईअड्डे खुले रहेंगे और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें उतरेंगी. पार्टी ने कहा, “अगर राज्य सरकारों और केंद्र के बीच समन्वय नहीं रहेगा तो कोरोना वायरस महामारी को नहीं रोका जा सकता.”