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Chandrayaan 2 से संपर्क टूटा पर उम्‍मीदें अब भी कायम, आज राष्‍ट्र को संबोधित करेंगे पीएम नरेंद्र मोदी

चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2)की लैंडिंग को लेकर अभी तक कुछ साफ नहीं है. चांद के बेहद करीब आकर विक्रम लैंडर (Vikram Lander)का संपर्क पृथ्‍वी से टूट गया.

नई दिल्‍ली:

चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2)की लैंडिंग को लेकर अभी तक कुछ साफ नहीं है. चांद के बेहद करीब आकर विक्रम लैंडर (Vikram Lander)का संपर्क पृथ्‍वी से टूट गया.  हालांकि अभी उम्मीद पूरी तरह ख़त्म नहीं हुई है और हो सकता है कि बाद में लैंडर से संपर्क स्थापित हो जाए. बता दें अगर भारत क़ामयाब होता है तो अमरीका, रूस और चीन के बाद, भारत चंद्रमा पर किसी अंतरिक्ष यान की सॉफ़्ट लैंडिंग करवाने वाला चौथा देश बन जाएगा. क्‍योंकि अभी उम्मीद पूरी तरह ख़त्म नहीं हुई है और हो सकता है कि बाद में लैंडर से संपर्क स्थापित हो जाए. इसको लेकर शनिवार को पीएम मोदी इसरो से राष्‍ट्र को संबोधित करेंगे. इसरो ने अपने ट्वीटर हैंडल से यह जानकारी दी है.

बता दें सब कुछ सही चल रहा था कि अचानक विक्रम से पृथ्‍वी के कंट्रोल रूम से उसका संपर्क टूट गया. बता दें लैंडर विक्रम की पहले रात 1 बजकर 55 मिनट पर लैंडिंग होनी थी. इसका समय बदलकर 1 बजकर 53 मिनट कर दिया गया. इसके बाद पीएम मोदी के पास इसरो चेयरमैन डॉ के. सिवन आए और उनसे कुछ कहा. वैज्ञानिकों ने सिवन को ढांढस बंधाते हुए उनकी पीठ थपथपाई.

इसके बाद सिवन ने बताया, 'लैंडर विक्रम की लैंडिंग प्रक्रिया एकदम ठीक थी. जब यान चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह से 2.1 किमी दूर था, तब उसका पृथ्वी से संपर्क टूट गया. हम ऑर्बिटर से मिल रहे डेटा का विश्लेषण कर रहे हैं.' अगर लैंडर विक्रम की लैंडिंग की पुष्टि हो जाती है तो सुबह 5 बजकर 19 मिनट पर रोवर प्रज्ञान बाहर आएगा, यह सुबह 5:45 पहली तस्वीर क्लिक करेगा.

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जब लैंडिंग का यह समय भी बीत गया तो इसरो मुख्यालय में वैज्ञानिकों से लेकर वहां मौजूद हर शख्‍स के चेहरे पर तनाव नजर आने लगा. इसरो मुख्यालय के कंट्रोल रूम में मौजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विजिटर गैलरी से रवाना हो गए.

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डॉ. सिवन की तरफ से संपर्क टूटने की घोषणा होने के बाद प्रधानमंत्री दोबारा वैज्ञानिकों के बीच लौटे. उन्होंने कहा- जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं. जो आपने किया, वो छोटा नहीं है. आगे भी हमारी कोशिशें जारी रहेंगी. देश को अपने वैज्ञानिकों पर गर्व है. मैं पूरी तरह वैज्ञानिकों के साथ हूं. आगे भी हमारी यात्रा जारी रहेगी. मैं आपके साथ हूं. हिम्मत के साथ चलें. आपके पुरुषार्थ से देश फिर से खुशी मनाने लग जाएगा. आपने जो कर दिखाया है, वह भी बहुत बड़ी उपलब्धि है. 

सॉफ्ट लैंडिंग के अब तक 38 प्रयास हुए, 52% ही सफल

चांद पर पहुंचने की पहली कोशिश 1958 में अमेरिका और सोवियत संघ रूस ने की थी. अगस्त से दिसंबर 1968 के बीच दोनों देशों ने 4 पायनियर ऑर्बिटर (अमेरिका) और 3 लूना इंपैक्ट (सोवियन यूनियन) भेजे, लेकिन सभी असफल रहे. अब तक चंद्रमा पर दुनिया के सिर्फ 6 देशों या एजेंसियों ने सैटेलाइट यान भेजे हैं. इनमें से सिर्फ 5 को कामयाबी मिली. अभी तक ऐसे 38 प्रयास किए गए, जिनमें से 52% सफल रहे.