बंगाल चुनाव से पहले PM मोदी का बांग्लादेश दौरा, जानें कितनी सीटों पर पड़ सकता है असर
पश्चिम बंगाल और असम (West Bengal and assam) में वोटिंग से ठीक एक दिन पहले प्रधानमंत्री मोदी बांग्लादेश में रहेंगे. कोरोना के बाद पीएम मोदी के इस पहली विदेश यात्रा के चुनावी मायने भी निकाले जा रहे हैं.
नई दिल्ली:
कोरोना महामारी शुरू होने के करीब एक साल बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसी महीने से अपनी विदेश यात्रा की शुरूआत कर रहे हैं. पीएम मोदी सबसे पहले बांग्लादेश दौरे पर जा रहे हैं. पश्चिम बंगाल और असम में जिस दिन मतदान होना है उससे ठीक पहले प्रधानमंत्री के बांग्लादेश दौरे के चुनावी मायने भी निकाले जा रहे हैं. पीएम मोदी उस समय बांग्लादेश का दौरा कर रहे हैं जब वह अपनी आजादी की 50वीं साल गिरह मना रहा है. पीएम मोदी भी पड़ोसी देश को वैक्सीन भेजकर रिश्तों को और मजबूती दे चुके हैं.
क्या रहेगा कार्यक्रम
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पीएम मोदी मतुआ समुदाय के धर्मगुरु हरिचंद्र ठाकुर की जन्मस्थली और तीर्थस्थल पर जाएंगे. जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी अपने इस दौरे पर सुगंधा शक्तिपीठ और ओरकंडी मंदिर सरीखे धार्मिक स्थल भी जा सकते हैं. अब ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे को बंगाल और असम के दौरे के चुनाव से जोड़कर भी देखा जा रहा है. 27 मार्च को बंगाल की 30 और असम की 47 सीटों पर वोटिंग होनी है.
बीजेपी के लिए क्यों खास है दौरा
पीएम मोदी का बांग्लादेश दौरा बीजेपी के लिए बेहद खास है. पीएम मोदी के इस दौरे से मतुआ समुदाय को शामिल करने की कोशिश की जा रही है. दरअसल बांग्लादेश की आजादी से पहले बड़ी आबादी पश्चिम बंगाल आ गई थी. इसमें काफी संख्या में मतुआ समुदाय के लोग भी शामिल है. माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी अपने इस दौरे पर मतुआ समुदाय को साधने की कोशिश करेंगे. बंगाल में मतुआ समुदाय को सत्ता की चाभी माना जाता है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस समुदाय का राज्य की 21 सीटों पर सीधा प्रभाव है. साल 1947 के बाद जब लोग आए तो वह पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना और नदिया में आ कर बसे.
2016 में टीएमसी का दिया था साथ
पिछले विधानसभा चुनाव में मतुआ समुदाय ने टीएमसी का साथ दिया था. तब टीएमसी को मतुआ बहुल 21 में से 18 सीटों पर जीत मिली थी, वहीं सीएए कानून आने के बाद बीजेपी को इन 21 सीटों में से 9 पर अच्छी बढ़त मिल गई. मतुआ समुदाय ने भी सीएए और प्रस्तावित एनआरसी का खुलकर समर्थन किया था. बीजेपी को उम्मीद है कि इस बाद मतुआ समुदाय उनका खुलकर समर्थन करेगा. बीजेपी की नजर ना सिर्फ उन सीटों पर है जहां उसने पिछले चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया था बल्कि मतुआ समुदाय के प्रभाव वाली अन्य सीटों पर भी उसने टीएमसी की घेरेबंदी तेज कर दी है.
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