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समाज को बैर, विरोध और विकारों से बाहर निकालने की जरूरत : पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि समाज को बैर, विरोध और विकारों से बाहर निकालने की जरूरत है और इसके लिए वीरशैव परंपरा का सदैव आग्रह रहा है.

Updated on: 16 Feb 2020, 02:54 PM

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि समाज को बैर, विरोध और विकारों से बाहर निकालने की जरूरत है और इसके लिए वीरशैव परंपरा का सदैव आग्रह रहा है. वाराणसी के जंगमबाड़ी मठ में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'वीरशैव परंपरा वो है, जिसमें वीर शब्द को आध्यात्म से परिभाषित किया गया है. जो विरोध की भावना से ऊपर उठ गया है, वही वीरशैव है.'

उन्होंने आगे कहा, 'यही कारण है कि जंगमबाड़ी मठ भावात्मक और मनोवैज्ञानिक रूप से वंचित साथियों के लिए प्रेरणा का माध्यम है. ऐसे में वीरशैव की संत परंपरा के शताब्दी वर्ष का आयोजन सुखद है.'

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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि राम मंदिर से जुड़ा एक और बड़ा फैसला सरकार ने किया है. अयोध्या कानून के तहत जो 67 एकड़ जमीन अधिगृहित की गई थी, वो भी पूरी की पूरी, नवगठित श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को ट्रांसफर कर दी जाएगी. जब इतनी बड़ी जमीन होगी तो मंदिर की भव्यता और दिव्यता और बढ़ेगी.

उन्होंने कहा, 'कुछ दिन पहले ही सरकार ने राम मंदिर निर्माण के लिए एक स्वायत्त ट्रस्ट- 'श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' के गठन करने की भी घोषणा की है. ये ट्रस्ट अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्मस्थली पर, भव्य और दिव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण का काम देखेगा और सारे निर्णय लेगा.'

उन्होंने संस्कृत भाषा और दूसरी भारतीय भाषाओं को ज्ञान का माध्यम बताया और कहा, 'सरकार का भी यही प्रयास है कि संस्कृत सहित सभी भारतीय भाषाओं का विस्तार हो, युवा पीढ़ी को इसका लाभ हो.'

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प्रधानमंत्री ने कहा, 'संस्कृत और संस्कृति की संगम स्थली में आप सभी के बीच आना मेरे लिए सौभाग्य का विषय है. बाबा विश्वनाथ के सानिध्य में, मां गंगा के आंचल में, संतवाणी का साक्षी बनने का अवसर कम ही मिल पाता है.'

उन्होंने आगे कहा, "तुलसीदास जी कहा करते थे- 'संत समागम हरि कथा तुलसी दुर्लभ दोउ'. इस भूमि की यही विशेषता है. ऐसे में वीरशैव जैसी संत परंपरा को युवा पीढ़ी तक पहुंचा रहे जगद्गुरु विश्वराध्य गुरुकुल के शताब्दी वर्ष का समापन एक गौरवशाली क्षण है."

उन्होंने कहा, 'भारत में राष्ट्र का ये मतलब कभी नहीं रहा कि किसने कहां जीत हासिल की, किसकी कहां हार हुई. हमारे यहां राष्ट्र सत्ता से नहीं, संस्कृति और संस्कारों से सृजित हुआ है, यहां रहने वालों के सामथ्र्य से बना है. भक्ति से मुक्ति का मार्ग दिखाने वाले इस दर्शन को भावी पीढ़ी तक पहुंचाना चाहिए. एक एप के माध्यम से इस पवित्र ज्ञानग्रंथ का डिजिटलीकरण युवा पीढ़ी के जुड़ाव को और बल देगा, उनके जीवन की प्रेरणा बनेगा.'

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मोदी ने कहा कि नमामि गंगे अभियान के तहत 7 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर काम पूरा हो चुका है. 21 हजार करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं पर कार्य प्रगति पर है और जिन परियोजनाओं पर काम चल रहा है, उनको भी तेजी से पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है.