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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime minister Narendra Modi) संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 74वें सत्र को संबोधित किया. अपने भाषण के शुरुआत में पीएम मोदी ने महात्मा गांधी को याद करते हुए कहा कि गांधी का शांति संदेश आज भी पूरी दुनिया के लिए प्रासंगिक है. उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार को बड़ा संदेश मिला और उससे मिला संदेश बड़ी चीज है.यूएनजीए में पीएम मोदी की आइए बताते हैं 10 बड़ी बातें-
- दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र ने मुझे मजबूत जनादेश दिया : पीएम मोदी ने कहा कि इस वर्ष दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव हुआ. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में दुनिया में सबसे ज्यादा लोगों ने वोट देकर, मुझे और मेरी सरकार को पहले से ज्यादा मजबूत जनादेश दिया. और इस जनादेश की वजह से ही आज फिर मैं यहां हूं.
- 5 साल में 11 करोड़ से ज्यादा शौचालय बनवाया : पीएम मोदी ने कहा कि जब एक विकासशील देश, दुनिया का सबसे बड़ा स्वच्छता अभियान सफलतापूर्वक संपन्न करता है. सिर्फ 5 साल में 11 करोड़ से ज्यादा शौचालय बनाकर अपने देशवासियों को देता है, तो उसके साथ बनी व्यवस्थाएं पूरी दुनिया का एक प्रेरक संदेश देती है.
- 50 करोड़ लोगों को हर साल 5 लाख रुपए तक मुफ्त इलाज : जब एक विकासशील देश, दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ इश्योरेंस स्कीम सफलतापूर्वक चलाता है. 50 करोड़ लोगों को हर साल 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा देता है. तो उसके साथ बनी संवेदनशील व्यवस्था, पूरी दुनिया को एक नया मार्ग दिखाती है.
- 37 करोड़ से ज्यादा गरीबों के बैंक खोले : पीएम ने आगे कहा, '5 साल में 37 करोड़ से ज्यादा गरीबों के बैंक खाते खोलता है, तो उसके साथ बनी व्यवस्थाएं पूरी दुनिया के गरीबों में एक विश्वास पैदा करती है.'
- सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त अभियान चलाया : सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने के लिए बड़ा अभियान चला रहे हैं.मैंने यहां आते वक्त संयुक्त राष्ट्र की इमारत की दीवार पर पढ़ा नो मोर सिंगल यूज प्लास्टिक मुझे सभा को बताते हुए खुशी हो रही है कि हम भारत को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने के लिए के बड़ा अभियान चला रहे हैं.
- हमारी संस्कृति जीव में शिव देखती है : पीएम मोदी ने कहा, 'भारत हजारों वर्ष पुरानी एक महान संस्कृति है जिसकी अपनी जीवंत परंपराएं हैं जो वैश्विक सपनों को अपने में समेटे हुए हैं. हमारे संस्कार, हमारी संस्कृति जीव में शिव देखती है.
- वैश्विक मित्रता और वैश्विक कल्याण की दिशा में काम करना : भारत ने बीते पांच वर्षों में सदियों से चली आ रही है विश्व बंधुत्व और विश्व कल्याण की उस महान परंपरा को मजबूत करने का काम किया. जो संयुक्त राष्ट्र की स्थापना का भी ध्येय रही है.
- हमने दुनिया को युद्ध नहीं, बुद्ध दिया : विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का आज भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए यही संदेश हैं-Harmony and peace. हमने दुनिया को युद्ध नहीं, बुद्ध दिया
- बिखरी हुई दुनिया किसी के हित में नहीं है : 21वीं सदी को आधुनिक टेक्नोलॉजी, समाज, निजी जीवन, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा, कनेक्टिविटी और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सामूहिक परिवर्तन ला रही है. इन परिस्थितियों में एक बिखरी हुई दुनिया किसी के हित में नहीं है. ना ही हम सभी के पास अपनी-अपनी सीमाओं के भीतर सिमट जाने का विकल्प है.
- आतंक के खिलाफ पूरे विश्व का एकमत होना जरूरी : आतंक के नाम पर बंटी हुई दुनिया, उन सिद्धांतों को ठेस पहुंचाती है जिनके आधार पर यूएन का जन्म हुआ है. और इसलिए मानवता की खातिर, आतंक के खिलाफ पूरे विश्व का एकमत होना एकजुट होना मैं अनिवार्य समझता हूं. इसलिए हमारी आवाज में आंतक के खिलाफ दुनिया को सतर्क करने की गंभीरता भी है और आक्रोश भी.
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