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नरेंद्र मोदी ने यूं की दक्षिण को साधने की कोशिश, अन्नाद्रमुक की 20 साल बाद केंद्र में वापसी

नरेंद्र मोदी वास्तव में मंत्रिमंडल के जरिये दक्षिण को ही साधने की कोशिश कर रहे हैं.

Updated on: 30 May 2019, 06:28 PM

highlights

  • अन्नाद्रमुक के एकमात्र सांसद शामिल हो रहे मोदी सरकार 2.0 में.
  • 1999 में वाजपेयी सरकार को अन्नाद्रमुक ने ही गिराया था.
  • एनडीए के सभी सहयोगियों को मंत्रिमंडल में दिया गया प्रतिनिधित्व.

नई दिल्ली.:

नरेंद्र मोदी सरकार 2.0 (Modi Government 2.0) गुरुवार शाम 7 बजे राष्ट्रपति भवन में शपथ लेगी. नरेंद्र मोदी दूसरी बार पीएम पद (Modi 2.0) की शपथ लेंगे, तो संभावना है कि 41 के आसपास सांसद मंत्रिमंडल (Team Modi 2.0) बतौर शपथ लेंगे. मंत्रिमंडल के इन सदस्यों में अन्नाद्रमुक भी शामिल है, जो केंद्रीय सत्ता में लगभग 20 साल बाद वापसी कर रही है. गौरतलब है कि अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) के नेतृत्व में बनी एनडीए सरकार में अन्नाद्रमुक भी सहयोगी दल थीं, लेकिन 1999 में वाजपेयी सरकार विश्वास मत पर मतदान के दौरान महज एक वोट से गिर गई थी. अब फिर बीजेपी के ही समर्थन से अन्नाद्रमुक का एक सांसद केंद्र में वापसी कर रहा है.

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20 साल पहले अन्नाद्रमुक ने ही गिरायी थी वाजपेयी सरकार
नरेंद्र मोदी वास्तव में मंत्रिमंडल के जरिये दक्षिण को ही साधने की कोशिश कर रहे हैं. वाजपेयी सरकार ने भले ही अन्नाद्रमुक (AIADMK) सुप्रीमो जयललिता की बढ़ती मांगों के आगे हथियार डाल दिए हों, लेकिन आज जयललिता के नहीं रहने पर अन्नाद्रमुक पहले जैसी मजबूत नहीं रह गई है. राज्य में अन्नाद्रमुक का सिर्फ एक ही सांसद जीत दर्ज करने में सफल रहा है. 2014 लोकसभा में अन्नाद्रमुक के 37 सांसद थे, जबकि इस बार पी रवींद्रनाथ कुमार (P Ravindranath Kumar) ही जीत कर पहुंचे हैं. रवींद्रनाथ तमिलनाडु के डिप्टी सीएम ओ पनीरसेल्वम के सुपुत्र हैं.

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दक्षिण के सभी सहयोगी मंत्रिमंडल में शामिल
इसके अलावा बीजेपी नीत एनडीए सरकार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी सहयोगी दलों को प्रतिनिधित्व (Modi cabinet 2019) देने की महत्वाकांक्षी योजना को परवान चढ़ाया है. बीजेपी खुद प्रचंड बहुमत के साथ सरकार में आई है, लेकिन गठबंधन धर्म निभाते हुए सभी सहयोगी दलों को मंत्रिमंडल में स्थान दिया जा रहा है. इसके तहत असम के डिब्रूगढ़ से सांसद रामेश्वर तेली, सुरेश अगाड़ी (बेलगाम कर्नाटक), कृष्णन रेड्डी (तेलंगाना), सदानंद गौड़ा (बेंगलुरू दक्षिण), प्रह्लाद जोशी (धारवाड़), रविंद्रनाथ (थेनी तमिलनाडु) को स्थान दिया गया है. यह मोदी की दक्षिण भारत को साधने की रणनीति है.