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Mann ki baat में बोले पीएम मोदी, 41 साल बाद आई हॉकी में जान, बदल रहा युवा मन

पीएम मोदी ने मन की बात की. मन की बात में पीएम मोदी मेजर ध्याचंद को याद किए. वहीं जन्माष्टमी और विश्वकर्मा पूजा की अहमियत के बारे में बताया. पीएम मोदी ने संस्कृत भाषा का जिक्र करते हुए कहा कि यह सरल और सरस भाषा है.

Updated on: 29 Aug 2021, 12:29 PM

highlights

  • पीएम मोदी ने मन की बात की
  • पीएम मोदी ने मेजर ध्यानचंद्र को किया याद
  • जन्माष्टमी और आनेवाले पर्वों को लेकर दी बधाई

नई दिल्ली :

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने आज मन की बात (Mann ki baat) की. मन की बात शुरू करते हुए पीएम मोदी ने मेजर ध्यानचंद को याद किया. 29 अगस्त यानी आज मेजर ध्याचंद की जयंती है. पीएम मोदी ने कहा कि हम सबको पता है कि आज मेजर ध्यानचंद की जयंती है. हमारा देश उनकी स्मृति में इसे राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाता भी है. आज 41 साल बाद हॉकी में नई जान आई है. भारत के बेटा और बेटियों ने हॉकी में एक बार फिर से जान भर दी है. 

पीएम मोदी ने आगे कहा,' मैं सोच रहा था कि शायद, इस समय मेजर ध्यानचंद जी की आत्मा जहां भी होगी, कितने खुश होंगे. क्योंकि दुनिया में भारत की हॉकी का डंका बजाने का काम ध्यानचंद जी की हॉकी ने किया था. चार दशक बाद, करीब-करीब 41 साल के बाद, भारत के नौजवानों ने, बेटे और बेटियों ने हॉकी के अंदर फिर से एक बार जान भर दी. आज हॉकी को लेकर आकर्षण नजर आ रहा है.ये ही मेजर ध्यानचंद जी को श्रद्धांजलि है.'

'अलग-अलग खेलों में महारत हासिल करनी है'

देश के प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि मेरे प्यारे नौजवानों, हमें अलग-अलग खेलों में महारत हासिल करनी चाहिए. गांव-गांव खेलों की स्पर्धाएं निरंतर चलती रहनी चाहिए. स्पर्धा से ही खेलों का विस्तार होता है. खेल का विकास होता है तो खिलाड़ी भी उसी में से निकलते हैं. हमें इस मोमेंटम को आगे बढ़ाना है. रोकना नहीं है. सबका प्रयास से इस मंत्र को साकार करके दिखाएंगे. 

उन्होंने आगे कहा कि अब देश में खेल, खेल-कूद, स्पोर्ट्स, स्पोर्ट्समैन स्पिरिट अब रुकना नहीं है. इस मोमेंटम को पारिवारिक जीवन में, सामाजिक जीवन में, राष्ट्र जीवन में स्थायी बनाना है. ऊर्जा से भर देना है, निरन्तर नयी ऊर्जा से भरना है. खेलें भीं, खिलें भी नया नारा होना चाहिए.

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'स्टार्टअप कल्चर का हो रहा विस्तार'

पीएम मोदी ने आगे कहा कि युवाओं का मन बदल रहा है. आज छोटे-छोटे शहरों में भी स्टार्टअप कल्चर का विस्तार हो रहा है. उन्होंने कहा कि मैं उसमें उज्जवल भविष्य के संकेत देख रहा हूं. आज का युवा कह रहा है कि स्टार्टअप शुरू करना है. वो रिस्क लेने को तैयार हैं. मेरे देश का युवा मन अब सर्वश्रेष्ठ की तरफ अपने आपको केन्द्रित कर रहा है. वह सर्वोत्तम करना चाहता है, सर्वोत्तम तरीके से करना चाहता है. ये भी राष्ट्र की बहुत बड़ी शक्ति बनकर उभरेगा.

जन्माष्टमी को लेकर पीएम मोदी ने कई अनुभव साझा किए

पीएम मोदी ने इस महीने आने वाले दो पर्व का जिक्र किया. पीएम मोदी ने जन्माष्टमी और विश्वकर्मा पूजा का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे पर्व त्योहारों में संदेश और संस्कार हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रीकृष्ण के बाल रूप से लेकर विराट रूप में, शस्त्र-शास्त्र सामर्थ्य में, कला, सौंदर्य, माधुर्य हर जगह विद्यमान है. उन्होंने हाल ही में सोमनाथ मंदिर के निर्माण कार्यों के लोकार्पण के दौरान हुए अपने अनुभवों को साझा करते हुए श्री कृष्ण की लीलाओं का समापन स्थल भालका तीर्थ की रोचक जानकारी दी. उन्होंने कहा कि सोमनाथ मंदिर से 3-4 किलोमीटर दूरी पर  ही भालका तीर्थ है, ये भालका तीर्थ वो है जहां भगवान श्री कृष्ण ने धरती पर अपने अंतिम पल बिताये थे. एक प्रकार से इस लोक की उनकी लीलाओं का वहां समापन हुआ था.

'हर हुनरमंद विश्वकर्मा का प्रतीक है'

विश्वकर्मा जयंती का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा अगले कुछ दिनों में ही ‘विश्वकर्मा जयंती’ भी आने वाली है. भगवान विश्वकर्मा को हमारे यहां विश्व की सृजन शक्ति का प्रतीक माना गया है. जो भी अपने कौशल्य से किसी वस्तु का निर्माण करता है, सृजन करता है, चाहे वह सिलाई-कढ़ाई हो, सॉफ्टवेयर हो या फिर सैटेलाइट, ये सब भगवान विश्वकर्मा का प्रगटीकरण है. हर हुनरमंद विश्वकर्मा का प्रतीक है. हमें हुनर को सम्मान देना होगा, हुनरमंद होने के लिए मेहनत करनी होगी. हुनरमंद होने का गर्व होना चाहिए.

पीएम मोदी ने कहा कि हम अपने पर्व मनाएं, उसकी वैज्ञानिकता को समझे, उसके पीछे के अर्थ को समझे. इतना ही नहीं हर पर्व में कोई न कोई सन्देश है, कोई-न-कोई संस्कार है. हमें इसे जानना भी है, जीना भी है और आने वाली पीढ़ियों के लिए विरासत के रूप में उसे आगे बढ़ाना भी है.

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'पूरी दुनिया में संस्कृत भाषा का प्रचार-प्रसार हो रहा है'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संस्कृत भाषा का भी जिक्र किया. मन की बात में पीएम मोदी ने कहा कि हमारी संस्कृत भाषा सरस भी है, सरल भी है. संस्कृत अपने विचारों, अपने साहित्य के माध्यम से ये ज्ञान विज्ञान और राष्ट्र की एकता का भी पोषण करती है, उसे मजबूत करती है. संस्कृत साहित्य में मानवता और ज्ञान का ऐसा ही दिव्य दर्शन है जो किसी को भी आकर्षित कर सकता. हाल के दिनों में जो प्रयास हुए हैं, उनसे संस्कृत को लेकर एक नई जागरूकता आई है. अब समय है कि इस दिशा में हम अपने प्रयास और बढाएं.

उन्होंने संस्कृत को लेकर हो रहे प्रयास के बारे में कहा कि अगर आप इस तरह के प्रयास में जुटे ऐसे किसी भी व्यक्ति को जानते हैं, ऐसी किसी जानकारी आपके पास है तो कृपया #CelebratingSanskrit के साथ social media पर उनसे संबंधित जानकारी जरुर साझा करें.

'स्वच्छता अभियान का मंत्र धीमा नहीं पड़ना चाहिए'

पीएम मोदी ने स्वच्छता अभियान का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि स्वच्छता के अभियान को हमें रत्ती भर भी ओझल नहीं होने देना है. उन्होंने कहा कि इस कोरोना कालखंड में स्वच्छता के विषय में मुझे जितनी बातें करनी चाहिए थी लगता है शायद उसमें कुछ कमी आ गई थीं. स्वच्छता का नाम आने पर इंदौर का नाम जरूर आता है. क्योंकि इंदौर ने स्वच्छता के संबंध में अपनी एक विशेष पहचान बनाई है और इंदौर के नागरिक इसके अभिनन्दन के अधिकारी भी हैं. 

पीएम मोदी ने बिहार के मधुबनी जिले का जिक्र करते हुए कहा कि डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय और वहां के स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र ने मिलकर के एक अच्छा प्रयास किया है. विश्वविद्यालय की इस पहल का नाम है- सुखेत मॉडल. इसका मकसद गांव के प्रदूषण को कम करना है. उन्होंने आगे कहा कि स्वच्छता अभियान का मंत्र धीमा नहीं पड़ना चाहिए.

'कोरोना से सावधानी बरतते रहना है'

पीएम मोदी ने कार्यक्रम के अंत में कहा कि देश में 62 करोड़ से ज्यादा कोरोना वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है लेकिन फिर भी हमें सावधानी रखनी है, सतर्कता रखनी है. उन्होंने कहा, “दवाई भी, कड़ाई भी.” उन्होंने कहा कि ये समय आजादी के 75वें साल का है. इस साल तो हमें हर दिन नए संकल्प लेने हैं, नया सोचना है, और कुछ नया करने का अपना जज्बा बढ़ाना है.