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संविधान दिवस पर बोले PM मोदी- ऐसी मानसिकता से देश के विकास में बाधा

पीएम मोदी ने कहा कि जब देश का सामान्य मानवी, देश का गरीब विकास की मुख्यधारा से जुड़ता है, जब उसे समान मौके मिलते हैं, तो उसकी दुनिया पूरी तरह बदल जाती है.

Updated on: 26 Nov 2021, 07:08 PM

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में संविधान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आजादी के लिए जीने-मरने वाले लोगों ने जो सपने देखे थे, उन सपनों के प्रकाश में, और हजारों साल की भारत की महान परंपरा को संजोए हुए, हमारे संविधान निर्माताओं ने हमें संविधान दिया. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में पिछले कई महीनों से 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त अनाज सुनिश्चचित किया जा रहा है. PM गरीब कल्याण अन्न योजना पर सरकार 2 लाख 60 हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च करके गरीबों को मुफ्त अनाज दे रही है. अभी कल ही हमने इस योजना को अगले वर्ष मार्च तक के लिए बढ़ा दिया है.

पीएम मोदी ने कहा कि जब देश का सामान्य मानवी, देश का गरीब विकास की मुख्यधारा से जुड़ता है, जब उसे समान मौके मिलते हैं, तो उसकी दुनिया पूरी तरह बदल जाती है. जब रेहड़ी, पटरी वाले भी बैंक क्रेडिट की व्यवस्था से जुड़ता है, तो उसे राष्ट्र निर्माण में भागीदारी का एहसास होता है.

उन्होंने आगे कहा कि सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास-सबका प्रयास, ये संविधान की भावना का सबसे सशक्त प्रकटीकरण है. संविधान के लिए समर्पित सरकार, विकास में भेद नहीं करती और ये हमने करके दिखाया है. पीएम मोदी ने कहा कि Gender Equality की बात करें तो अब पुरुषों की तुलना में बेटियों की संख्या बढ़ रही है. गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में डिलिवरी के ज्यादा अवसर उपलब्ध हो रहे हैं. इस वजह से माता मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर कम हो रही है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरे विश्व में कोई भी देश ऐसा नहीं है जो प्रकट रूप से किसी अन्य देश के उपनिवेश के रूप में exist करता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उपनिवेशवादी मानसिकता (Colonial Mindset) समाप्त हो गया है. हम देख रहे हैं कि यह मानसिकता अनेक विकृतियों को जन्म दे रही है. उन्होंने आगे कहा कि इसका सबसे स्पष्ट उदाहरण हमें विकासशील देशों की विकास यात्राओं में आ रही बाधाओं में दिखाई देता है. जिन साधनों से, जिन मार्गों पर चलते हुए, विकसित विश्व आज के मुकाम पर पहुंचा है, आज वही साधन, वही मार्ग, विकासशील देशों के लिए बंद करने के प्रयास किए जाते हैं.

उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने मां नर्मदा पर सरदार सरोवर डैम जैसे एक डैम का सपना देखा था, पंडित नेहरु ने इसका शिलान्यास किया था, लेकिन ये परियोजना दर्शकों तक अप-प्रचार में फंसी रही. पर्यावरण के नाम पर चले आंदोलन में फंसी रही. न्यायालय तक इसमें निर्णय लेने से हिचकते रहे. लेकिन उसी नर्मदा के पानी से कच्छ का जो विकास हुआ, उससे कच्छ हिंदुस्तान में तेज गति से आगे बढ़ रहे जिलों में से एक बन गया है.

पीएम मोदी ने कहा कि लेकिन दुर्भाग्य यह है कि हमारे देश में भी ऐसी ही मानसिकता के चलते अपने ही देश के विकास में रोड़े अटकाए जाते हैं, कभी freedom of expression के नाम पर तो कभी किसी और चीज़ का सहारा लेकर. आजादी के आंदोलन में जो संकल्पशक्ति पैदा हुई, उसे और अधिक मजबूत करने में ये Colonial Mindset बहुत बड़ी बाधा है. हमें इसे दूर करना ही होगा. इसके लिए, हमारी सबसे बड़ी शक्ति, हमारा सबसे बड़ा प्रेरणा स्रोत, हमारा संविधान ही है.