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कल्याण सिंह ने जन कल्याण को बनाया जीवन मंत्र, पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि

पीएम मोदी ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि दुख की इस घड़ी में मेरे पास शब्द नहीं हैं. कल्याण सिंह जी जमीन से जुड़े बड़े राजनेता और कुशल प्रशासक होने के साथ-साथ एक महान व्यक्तित्व के स्वामी भी थे.

Updated on: 22 Aug 2021, 12:36 PM

highlights

  • भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने कल्याण सिंह को दी श्रद्धांजलि
  • कहा- कल्याण सिंह जी जमीन से जुड़े बड़े राजनेता और कुशल प्रशासक थे
  • कल्याण सिंह जी समाज के कमजोर और वंचित वर्ग के करोड़ों लोगों की आवाज थे : पीएम मोदी

लखनऊ:

पीएम मोदी ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि दुख की इस घड़ी में मेरे पास शब्द नहीं हैं. कल्याण सिंह जी जमीन से जुड़े बड़े राजनेता और कुशल प्रशासक होने के साथ-साथ एक महान व्यक्तित्व के स्वामी भी थे. उत्तर प्रदेश के विकास में उनका योगदान अमिट है. शोक की इस घड़ी में उनके परिजनों और समर्थकों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं. ओम शांति! इसी के साथ पीएम मोदी ने यह भी कहा कि कल्याण सिंह जी समाज के कमजोर और वंचित वर्ग के करोड़ों लोगों की आवाज थे. उन्होंने किसानों, युवाओं और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए अनगिनत प्रयास किए. उनका समर्पण और सेवाभाव लोगों को हमेशा प्रेरित करता रहेगा. भारत की सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करने में कल्याण सिंह जी ने अहम भूमिका निभाई. देश की हर पीढ़ी इसके लिए उनकी आभारी रहेगी. भारतीय मूल्यों में वे रचे-बसे थे और अपनी सदियों पुरानी परंपरा को लेकर उन्हें गर्व था.

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ऐसा रहा पूर्व सीएम कल्याण सिंह का राजनीतिक सफर

कल्याण सिंह पहली बार जून 1991 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. उसके एक साल बाद, राइट विंग्स पोलिटिकल पार्टी के सहयोग से हिन्दू राइट विंग्स अकटीविस्ट ने मिलकर विवादास्पद बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया. जिसके बाद इन्हें इस घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ा. उसके बाद वे उत्तर प्रदेश के अत्रौली और कासगंज के इलेक्शन में विधायक पद के लिए चुने गए. सितंबर 1997 से नवम्बर 1999 तक, वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री  रहे. 21 अक्टूबर, 1997 में बहुजन समाज पार्टी ने उनकी सरकार से समर्थन वापस ले लिया. तब कल्याण सिंह ने कांग्रेस के विधायक नरेश अग्रवाल से हाथ मिलाकर उनके 21 विधायकों के समर्थन से अपनी नई पार्टी बनाकर अपनी सरकार बचा ली और इसके लिए उन्हें नरेश अग्रवाल को ऊर्जा मंत्री बनाना पड़ा.

दिसंबर 1999 मे कल्याण सिंह ने पार्टी छोड़ दी और उसके बाद साल 2004 में एक बार फिर से भाजपा के साथ राजनीति से जुड़ गए. 2004 में उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार के रूप मे उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से विधायक के लिए चुनाव लड़ा. 2009 मे उन्होंने भाजपा को भी छोड़ दिया और खुद एटा लोकसभा चुनाव के लिए निर्दलीय खड़े हुए और जीते भी.