'परीक्षा पे चर्चा' पर बोले पीएम मोदी- परीक्षा ही है कोई आसमान नहीं टूटा है
परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम के माध्यम से पीएम नरेंद्र मोदी ने छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों से संवाद किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि परीक्षा पे चर्चा पर वर्चुअल एडिशन है. हम कोरोना काल में जी रहे हैं. मुझे भी इस बार आप लोगों से मिलने का मोह छोड़ना पड़
नई दिल्ली:
परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम के माध्यम से पीएम नरेंद्र मोदी ने छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों से संवाद किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि परीक्षा पे चर्चा पर वर्चुअल एडिशन है. हम कोरोना काल में जी रहे हैं. मुझे भी इस बार आप लोगों से मिलने का मोह छोड़ना पड़ रहा है. एक बात मैं देशवासियों, अभिभावकों, अध्यापकों को बताना चाहता हूं कि ये परीक्षा पर चर्चा है लेकिन सिर्फ परीक्षा की ही चर्चा नहीं है. बहुत कुछ बातें हो सकती हैं, एक नए आत्मविश्वास पैदा करना है. ये 'परीक्षा पे चर्चा' है, लेकिन सिर्फ़ परीक्षा की ही चर्चा नहीं है. बहुत कुछ बातें हो सकती हैं, एक नए आत्मविश्वास पैदा करना है. जैसे अपने घर में बैठ कर बाते करते हैं, अपनों के बीच बात करते हैं, दोस्तों के साथ बात करते हैं, आइए हम भी ऐसे ही बातें करेंगे.
पीएम नरेंद्र मोदी मोदी ने छात्रों को कहा कि ऐसी कौन सी बात है कि आप डर रहे हो, क्या आपने पहले कोई परीक्षा नहीं दी है. आपको पहले से पता था कि मार्च और अप्रैल में एग्जाम होगा. आपको डर एग्जाम का नहीं है, आपके आसपास एक डर का महौल बना दिया गया है. मैं खासकर परिजनों से कहता हूं कि हम आवश्यक से ज्यादा गंभीर हो जाते हैं. ये जिंदगी में कोई आखिरी मुकाम नहीं है, जिंदगी में बहुत पड़ाव आते हैं. हमें बच्चों पर दबाव नहीं बनाना चाहिए. अगर बाहर का दबाव कम हो जाएगा तो एग्जाम का दबाव कभी महसूस नहीं होगा. परीक्षा कोई आखिरी मुकाम नहीं है.
पीएम मोदी ने कहा कि पहले के मां-बाप बच्चे के साथ ज्यादा इंवोल्व रहते थे, लेकिन आज के मां-बाप सिर्फ कॉपी-किताब तक ही शामिल हैं. लेकिन आजतक मां-बाप इतने व्यस्त हैं कि उनके पास बच्चों के लिए समय ही नहीं है. ऐसा नहीं है कि एग्जाम आखिरी मौका है, एग्जाम खुद को कसने का एक मौका है. हमें अपने आप को एक कसौटी में कसते रहना चाहिए, ताकि आगे जिंदगी में कोई परेशानी न हो. माता-पिता को बच्चों की ताकत को समझना चाहिए.
प्रधानमंत्री ने विद्यार्थियों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि दुनिया में एक भी ऐसा इंसान नहीं मिलेगा, जिस पर ये बात नहीं लागू होगी. आपके पास बहुत सारे शर्ट हैं, लेकिन आपको सिर्फ एक या दो शर्ट इतने अच्छे लगते हैं कि आप उसे बार-बार पहनते हैं. पसंद-ना-पसंद मनुष्य का स्वभाव है. जब आपको कुछ चीज अच्छा लगने लगता है तो आप उसके साथ सहज हो जाते हैं, लेकिन आप जिस चीज से सहज वहीं हो पाते हैं तो आप उसमें पूरी एनर्जी लगा देते हैं. लेकिन आपको अपनी एनर्जी बराबर-बराबर में बांटना चाहिए.
पीएम मोदी ने कहा कि आपको कठिन को सरल करना चाहिए, ताकि आसान सवाल अपने आप हल जाए. उन्होंने कहा कि जब मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री बना तो मुझे भी पढ़ना पड़ता है, लेकिन मैं कठिन चीजों को पहले पढ़ता हूं.
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