One Nation-One Election : सर्वदलीय बैठक से विपक्ष ने किया किनारा, ममता, केजरीवाल के बाद मायावती और नायडू की भी ना
इसके लिए पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने सभी दलों के प्रमुखों की बैठक बुलाई जो जारी है.
नई दिल्ली:
देश में एक बार फिर से नरेंद्र मोदी सरकार की वापसी के बाद 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' (One Nation One Election) पर बहस छिड़ चुकी है. इसके लिए पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने सभी दलों के प्रमुखों की बैठक बुलाई है जो इस वक्त जारी है. बता दें ममता के बाद बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की सुप्रीमो मायावती, दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल, तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और डीएमके अध्यक्ष एम. के. स्टालिन ने भी बैठक में नहीं शामिल होने का मन बनाया है. हालांकि, इनमें से कुछ नेता बैठक में अपने प्रतिनिधियों को भेजेंगे..
गौरतलब है कि वर्ष 2003 में भी लालकृष्ण आडवाणी ने कहा था कि सरकार लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने के मुद्दे पर गंभीरता से विचार कर रही है. उस समय भी केंद्र में बीजेपी (BJP) की ही सरकार थी. हालांकि विपक्ष के रुख देखते हुए नहीं लगता कि इस मसले पर सर्वसम्मति बन पाएगी. हालांकि, अब देखना है कि क्या पीएम नरेंद्र मोदी एक राष्ट्र एक चुनाव के लिए विपक्ष को राजी कर पाएंगे.
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एनसीपी प्रमुख शरद (NCP chief Sharad Pawar) पवार पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में शामिल होंगे. वहीं, बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) भी ने इस बैठक से किनारा कर लिया है. डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन (MK Stalin) और टीडीपी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू (N Chandrababu Naidu) आज संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं होंगे. पीएम संसद के दोनों सदनों में विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रमुखों की बैठक की अध्यक्षता करेंगे. टीडीपी ओर से जयदेव गल्ला बैठक में पार्टी का प्रतिनिधित्व करने की संभावना है.
वहीं, पीएम मोदी की अध्यक्षता में होने वाली सर्वदलीय बैठक में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwa) भी नहीं शामिल होंगे. आम आदमी पार्टी की तरफ से राघव चड्डा शामिल होकर अपना पक्ष मजबूती से रखेंगे.
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क्या है एक देश, एक चुनाव
'एक देश, एक चुनाव' की नीति के तहत देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने का प्रस्ताव है. इसके तहत पूरे देश में 5 साल में एक ही बार में लोकसभा और विधानसभा चुनाव होगा. इसपर केंद्र सरकार का कहना है कि इससे न सिर्फ समय की बचत होगी, बल्कि देश को बार-बार पड़ने वाले आर्थिक बोझ से भी मुक्ति मिलेगी. हालांकि पूरी बहस लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए हो रही है. नगरीय निकाय चुनावों के बारे में कुछ नहीं कहा जा रहा है, जहां तक धन की बात है तो आजकल छात्रसंघ चुनावों में भी लाखों रुपये खर्च कर दिए जाते हैं.
पहले भी हो चुके हैं एक साथ चुनाव
अगर 'एक देश, एक चुनाव' के फैसले को मंजूरी मिलती है तो यह पहला मौका नहीं होगा जब भारत में ऐसा होगा. इससे पहले भी भारत में कई बार एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. इससे पहले इससे पहले 1951-52, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ-साथ हो चुके हैं.
इंडोनेशिया में भी इसी साल हुए साथ-साथ चुनाव
वर्ष 2019 में इंडोनेशिया में भी राष्ट्रपति और संसदीय चुनाव एक साथ कराए गए थे. इसके लिए 17 हजार द्वीपों पर 8 लाख से ज्यादा पोलिंग स्टेशन बनाए गए थे.
HIGHLIGHTS बुधवार को पीएम ने सभी दलों की बैठक बुलाई. पहले भी हो चुके हैं एक साथ चुनाव इंडोनेशिया में भी इसी साल हुए साथ-साथ चुनाव
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