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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की सचिवों के साथ बैठक, 100 दिन के एजेंडे को दिया अंतिम रूप

प्रधानमंत्री आवास पर हुई बैठक में वित्त मंत्रालय के सभी पांच सचिवों ने हिस्सा लिया जबकि इनके अलावा कुछ अन्य मंत्रालय के अधिकारी भी इस बैठक में मौजूद थे.

Updated on: 19 Jun 2019, 06:55 AM

highlights

  • पीएम मोदी ने की सचिवों के साथ बैठक
  • 100 दिन के एजेंडे पर की बात
  •  रोजगार सृजन और किसानों का आय पर की बात

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले बजट से पहले मंगलवार को वित्त और अन्य मंत्रालयों के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की. पीएम मोदी ने इस बैठक में भारतीय अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए और रोजगार पैदा करने के लिए सरकार के 100 दिन के एजेंडे को अंतिम रूप देने पर जोर दिया. मीडिया में आईं खबरों के मुताबिक प्रधानमंत्री आवास पर हुई बैठक में वित्त मंत्रालय के सभी पांच सचिवों ने हिस्सा लिया जबकि इनके अलावा कुछ अन्य मंत्रालय के अधिकारी भी इस बैठक में मौजूद थे. माना जा रहा है कि इस उच्चस्तरीय बैठक में कम से कम समय में देश को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा गया है.

सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में किसानों की आय दोगुना करने, प्रधानमंत्री आवास योजना, सबको पेयजल, सबको बिजली, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि समेत प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं की भविष्य की रूपरेखा पर भी विचार विमर्श हुआ. कृषि क्षेत्र की समस्याओं को देखते हुए पिछले हफ्ते मोदी ने कृषि क्षेत्र में ढांचागत सुधार किए जाने, निजी निवेश बढ़ाए जाने, किसानों को बाजार समर्थन उपलब्ध कराने और लॉजिस्टिक व्यवस्था को दुरुस्त करने पर जोर देने की बात कही थी. इस बैठक में भी इन बातों को ध्यान में रखते हुए जोर दिया गया.

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पीएम मोदी ने इस बैठक में लगभग सभी विभागों के साथ सुधारों की रूपरेखा पर विचार किया ताकि देश की अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ाया जा सके. मीडिया में आईं खबरों की बात करें तो इस बैठक में राजस्व बढ़ाने तथा सुधारों के जरिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि की रफ्तार तेज करने के उपायों पर भी संभवत: चर्चा हुई. उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2018-19 में जीडीपी की वृद्धि दर घटकर 6.8 प्रतिशत पर आ गई है जो इसका पांच साल का निचला स्तर रहा है. अगर आंकड़ों की बात करें तो मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर के दायरे में है, लेकिन जनवरी-मार्च तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 5.8 प्रतिशत के पांच साल के निचले स्तर पर आ गई थी जिसकी वजह से भारत को चीन से पीछे होना पड़ा है. 

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