प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्कूली दिनों में अभिनय के रहे हैं दीवाने, किया कई नाटकों में काम
अपने स्कूली दिनों (School Days) में नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi)का झुकाव अभिनय और रंगमंच की ओर भी था. यहां तक कि उन्होंने नाटकों का लेखन कर उसमें अभिनय भी किया.
highlights
- अपने स्कूली दिनों में प्रधानमंत्री मोदी नाटकों में अभिनय के दीवाने थे.
- स्कूल की टूटी दीवार बनवाने के लिए 'पीलू फूल' नाटक कर जुटाए थे पैसे.
- उनकी आत्मकथा 'मैन ऑफ द मोमेंटः नरेंद्र मोदी' में जिक्र है इस शौक का.
नई दिल्ली:
पिछले छह सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) देश के निर्विवाद रूप से सबसे लोकप्रिय नेता (Popular Leader) बनकर उभरे हैं. इसकी पुष्टि बीते दो लोकसभा चुनावों (Loksabha Elections) के साथ-साथ समय-समय पर विभिन्न मीडिया घरानों द्वारा कराए गए सर्वेक्षण (Survey)भी करते आए हैं. यही वजह है कि उनके जीवन से जुड़ी शायद ही कोई ऐसी बात हो, जिसके बारे में लोग नहीं जानते हों. फिर भी उनके जीवन से जुड़ी कुछ बातें ऐसी भी हैं, जिसके बारे में लोग कम ही जानते हैं. मसलन अपने स्कूली दिनों (School Days) में नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi)का झुकाव अभिनय और रंगमंच की ओर भी था. यहां तक कि उन्होंने नाटकों का लेखन कर उसमें अभिनय भी किया.
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नाटक के निर्देशक हो गए थे गुस्सा
नरेंद्र मोदी के इस शौक या कहें कि झुकाव का जिक्र एमवी कामथ और कालिंदी रंदेड़ी द्वारा लिखित उनकी आत्मकथा 'मैन ऑफ द मोमेंटः नरेंद्र मोदी' में भी किया गया है. यही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने इस शौक का जिक्र खुद लिखी पुस्तक 'एग्जाम वॉरियर्स' में भी किया है. इसके एक अध्याय में उन्होंने स्कूली दिनों में एक नाटक (Play) की यादों को ताजा किया है. इसमें उन्होंने बताया है कि कैसे एक नाटक की रिहर्सल (Rehersal)के दौरान निर्देशक उनसे गुस्सा हो गया था. बाद में जब निर्देशक ने ही उन्हें वह सीन करके दिखाया, तो उन्हें अपनी गलती का अहसास हो गया.
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पैसा जुटाने के लिए किया था 'पीलू फूल' नाटक
इसी तरह 13 या 14 साल की उम्र में उनके द्वारा लिखित और मंचित नाटक 'पीलू फूल' (Peelu Phool) की भी यादें हैं. यह नाटक छुआछूत (untouchability) के भेदभाव पर केंद्रित था. गुजराती भाषा (Gujarati Language) में पीलू फूल का मतलब होता है पीले फूल. बड़नगर में स्थित उनके स्कूल के सहपाठी और शिक्षक बताते हैं कि स्कूल की टूटी दीवार पैसों के अभाव में नहीं बन पा रही थी. ऐसे में नरेंद्र मोदी ने 'पीलू फूल' लिख कर उसमें अभिनय किया था. कहते हैं कि उनके द्वारा लिखित और मंचित यह नाटक सत्य घटना पर केंद्रित था, जो उन्होंने अपनी आंखों से देखी थी.
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