अब नहीं अटकेगा इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट, जानिए क्यों खास है गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान?
मोदी ने आज देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए देश का सबसे बड़ा नेशनल मास्टर प्लान को लांच किया,गतिशक्ति योजना में 16 मंत्रालयों से जुड़े करीब 100 लाख करोड़ के प्रोजेक्ट को आपस मे जोड़कर तैयार किया जाएगा.
highlights
- 16 मंत्रालयों से जुड़े करीब 100 लाख करोड़ के प्रोजेक्ट को आपस मे जोड़कर तैयार किया जाएगा.
- 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लालकिले के प्राचीर से खुद प्रधानमंत्री ने ही गति शक्ति प्रोजेक्ट का ऐलान किया था.
नई दिल्ली:
Gati Shakti National Master Plan: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए देश का सबसे बड़ा नेशनल मास्टर प्लान को लांच किया,गतिशक्ति योजना में 16 मंत्रालयों से जुड़े करीब 100 लाख करोड़ के प्रोजेक्ट को आपस मे जोड़कर तैयार किया जाएगा, किसी भी प्रोजेक्ट में अब रुकावट नहीं होगी ये कैसे होगा देखिए ये रिपोर्ट. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भाषा में ही कहें तो अब देश में कोई भी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट नहीं अटकेगा, न लटकेगा और न ही भटकेगा....यानी अब ऐसा नहीं होगा कि एक एजेंसी सड़क बनाए तो दूसरी केबल या पाइप बिछाने के लिए बनी बनाई सड़क को फिर से खोद कर चली जाए...सरकार की अलग अलग मंत्रालयों, विभागों और एजेंसियों में तालमेल नहीं होने की वजह से ऐसे उदाहरण अक्सर देखने को मिलते हैं.
एक नेशनल मास्टर प्लान तैयार
इसी कार्यशैली में आमूल-चूल बदलाव के लिए सरकार ने एक नेशनल मास्टर प्लान तैयार किया है...करीब दो महीने पहले 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लालकिले के प्राचीर से खुद प्रधानमंत्री ने ही गति शक्ति प्रोजेक्ट का ऐलान किया था.पीएम मोदी ने कहा कि खराब क्वालिटी और पैसे की बर्बादी को लेकर जनता के सामने बड़ी खराब छवि बनी ऐसा जनता सोचती है लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.
16 मंत्रालयों का एक ग्रुप बनाया गया
दरअसल गति शक्ति प्रोजेक्ट के तहत GFXIN अब कोई भी महत्वपूर्ण इन्फ्रा डेवलपमेंट का काम कॉमन टेंडरिंग के ज़रिए होगा.जैसे ग्रीनफील्ड रोड, रेल, ऑप्टिकल फाईबर, गैस पाईपलाईन, इलेक्ट्रिफिकेशन के लिए एक ही टेंडर जारी किया जाएगा...ताकि केंद्र और राज्यों की अलग अगल एजेंसियां और लोकल अथॉरिटी के साथ- साथ प्राईवेट सेक्टर बेहतर तालमेल के ज़रिए काम को अंजाम दे सके...इसके लिए रेलवे, सड़क राजमार्ग, पेट्रोलियम, टेलीकॉम, एविएशन और इंडस्ट्रियल पार्क बनाने वाले विभागों समेत 16 मंत्रालयों का एक ग्रुप बनाया गया है.
इन मंत्रालयों में जो भी प्रोजेक्ट्स अभी चल रहे हैं या साल 2024-25 तक पूरे होने हैं...उन्हें गति शक्ति के तहत ही पूरे किए जाएंगे...राज्यों के पास भी इस कॉमन टेंडरिंग का हिस्सा बनने का विकल्प मौजूद रहेगा...और सिंगल नोडल एजेंसी DPIIT पूरे प्रोजेक्ट की निगरानी करेगी...GFXOUT
मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी के साथ कॉमन टेंडरिंग प्रोसेस
प्रधानमंत्री मोदी जब पहली बार 2014 में जीतकर केंद्र की सत्ता में आए थे...तभी उन्होंने इस प्रोजेक्ट की नींव रखी थी और एक ग्रुप ऑफ मिनिस्टर का गठन किया था...और इसके पीछे सोच कारोबार और जीवन को आसान बनाने यानी ईज़ ऑफ डूइंड के साथ-साथ ईज़ ऑफ लिविंग की थी ताकि प्रोजेक्ट्स सही समय पर पूरे हों, लागत कम की जा सके, व्यापार बढ़ाया जा सके साथ ही निवेशकों को इस बात की चिंता न हो कि किसी भी स्तर पर मंजूरी नहीं मिलने की वजह से पूंजी डूब सकती है.सरकार को उम्मीद है कि मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी के साथ कॉमन टेंडरिंग प्रोसेस एक गेम चेंजर साबित होगा.
प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना क्यों ख़ास है इसे समझिए
– 75वें स्वतंत्र दिवस पर पीएम ने गति शक्ति योजना का ऐलान किया गया.
- नेशनल मास्टर प्लान में एक्टिव तौर पर 16 मंत्रालयों के साथ 7 मंत्रालय एक्टिव रहेंगे जिसमे रोड इंफ्रा, रेलवे, पेट्रोलियम, शिपिंग मंत्रालय, पावर, एविएशन जैसे मंत्रालय शामिल हैं
– गति शक्ति योजना का कुल बजट 100 लाख करोड़ तय किया गया है.
– योजना के माध्यम से युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएंगे.
– गति शक्ति इंफ्रास्ट्रक्चर डेवेलपमेंट का चहुमुखी विकास सुनिश्चित करेगी.
– लोकल मैनुफैक्चरर्स को ग्लोबल स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी.
– मार्डन इंफ्रास्ट्रक्चर कंस्ट्रक्शन में हॉलिस्टिक अप्रोच अपनाने पर ज़ोर.
– हॉलिस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर की नींव गति शक्ति योजना के ज़रिए रखी जाएगी.
पीएम मोदी बोले टैक्स के पैसे को इस्तेमाल करते वक्त सरकार में भावना नहीं होती थी कि उसको बर्बाद ना होने दिया जाए. लोगों को भी लगने लगा कि ऐसा ही चलता रहेगा. हर जगह वर्क इन प्रोग्रेस लिखा दिखता था. लेकिन वह काम पूरा होगा या नहीं, समय पर होगा या नहीं. इसको लेकर कोई भरोसा नहीं था. वर्क इन प्रोग्रेस का बोर्ड अविश्वास का प्रतीक बन गया था.
सरकारी विभागों में तालमेल की कमी
सरकारी विभागों के बीच आपसी तालमेल की भरी कमी है। आपसी खींचतान के कारण जो प्रोजेक्ट अर्थव्यवस्था को मजबूती देने वाले होते थे. वे कमजोर पड़ जाते थे. कई प्रोजेक्ट्स लटक जाते थे. मैं 2014 में दिल्ली नई जिम्मेदारी के साथ आया तो लाखों करोड़ों के ऐसे प्रोजेक्ट देखे जो लटके पड़े थे. मैंने सारी रुकावटों को दूर करने का प्रयास किया।
ज्यादा काम हम उसके आधे समय में करने वाले हैं
पिछले 70 वर्षों की तुलना में भारत रफ्तार से काम कर रहा है. पहली नेचुरल गेस पाइपलाइन 1987 में कमीशन हुई थी. फिर साल 2014 तक 27 साल में देश में 15 हजार किलोमीटर नेचुरल गैस पाइपलाइन बनी. आज देशभर में 16 हजार किलोमीटर से ज्यादा गैस पाइपलाइन पर काम चल रहा है. जितना काम 27 वर्षों में हुआ. उससे ज्यादा काम हम उसके आधे समय में करने वाले हैं.
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