देश को मिला 11,000 करोड़ का पहला स्मार्ट 'ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे', जानें खास बातें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बागपत में कुंडली-गाजियाबाद-पलवल एक्सप्रेसवे (ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे) का उद्घाटन किया।
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बागपत में कुंडली-गाजियाबाद-पलवल एक्सप्रेसवे (ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे) का शुभारंभ किया। पेरिफेरल एक्सप्रेस वे देश का पहला स्मार्ट और ग्रीन एक्सप्रेस वे है। इस एक्सप्रेसवे से राजधानी को जाम से छुटकारा मिलेगा।
करीब दो लाख ट्रक और अन्य वाहन दिल्ली के बजाए एक्सप्रेस वे से गुजरेंगे जिससे राजधानी की हवा को बेहतर होने में मदद मिलेगी। ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे हरियाणा, यूपी के 6 बड़े शहरों को आपस में जोड़ेगा।
बारिश के समय जलभराव की समस्या से निपटने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की भी व्यवस्था की गई थी। एक्सप्रेस वे बनाते समय पीएम मोदी के 'स्वच्छता अभियान' का भी खासा ख्याल रखा गया है।
500 दिनों में बनकर तैयार हुए पेरिफेरल एक्सप्रेस वे पर करीब 2.5 लाख पौधे लगाए गए है, इरीगेशन ड्रिप तकनीक की मदद से इन्हे पानी दिया जाएगा।
जानिए पेरिफेरल एक्सप्रेसवे से जुड़़ी खास बातें।
करीब 11,000 करोड़ रुपये की लागत से बने 135 किमी लंबे एक्सप्रेसवे से कुंडली और हरियाणा के पलवल के बीच यातायात का समय चार घंटे से कम होकर 72 मिनट हो जाएगा। एक्सप्रेस वे के साथ आठ सौर ऊर्जा संयंत्र बने हैं, जिनकी क्षमता 4 मेगावाट है।
यह एक्सप्रेस वे किसी तोहफे से कम नहीं है। जाम से जूझ रही दिल्ली को इससे छुटकारा तो मिलेगा ही साथ ही में 40 फ़ीसदी प्रदूषण भी कम होगा। राजधानी में आने वाले करीब 2 लाख मालवाहक ट्रक और अन्य वाहन अब दिल्ली होकर नहीं जाएंगे। हर रोज़ 50,000 वाहन एक्सप्रेस वे के खुलने के बाद डाइवर्ट हो जाएंगे।
यह एक्सप्रेस वे देश का पहला ग्रीन और स्मार्ट एक्सप्रेस वे है। ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे हरियाणा, यूपी के 6 बड़े शहरों को आपस में जोड़ेगा। अब 4 घंटे का सफर महज सवा घंटे में पूरा हो जाएगा। इस एक्सप्रेस वे से करीब 27% ट्रैफिक कम होगा।
यह 14 लेन के साथ देश का पहला एक्सप्रेसवे है और इसमें कई विशेषताएं हैं, जिससे प्रदूषण में कमी आएगी। इसमें दोनों तरफ 2.5 मीटर लंबे साइकिल ट्रैक आदि की सुविधा दी गई है। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे से दिल्ली से मेरठ जाने में सिर्फ 45 मिनट लगेंगे। पहले करीब दो घंटे में यह सफर हुआ करता था। इस एक्सप्रेसवे पर लोगों को ऐक्सेस कंट्रोल लाइन या सर्विस लाइन में चलने का ऑप्शन मिलेगा। इसका मतलब है कि आप सुरक्षा के साथ तेज स्पीड में वाहन चला सकेंगे।
एक्सप्रेस वे में 36 राष्ट्रीय स्मारकों को प्रदर्शित किया जाएगा और 40 फाउंटेन हैं। हर 500 मीटर की दूरी पर नेशनल एक्सप्रेस-वे पर पेट्रोल पंप, रेस्ट एरिया, होटल, रेस्तरां, रिपेयर सर्विसेज जैसी सुविधाएं उपलब्ध होंगी। बारिश के समय जलभराव की दिक्कत को दूर करने के लिए हर 500 मीटर की दूरी पर रेनवॉटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की गई है। ड्रिप इरिगेशन की तकनीक के चलते इसी पानी से पेड़ों की सिंचाई भी होगी।
इस एक्सप्रेसवे पर इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रणाली की व्यवस्था है। यह परियोजना चार खंडों में बनाई जा रही है, जो कि मार्च 2019 तक पूरी तरह से पूरी की जाएगी। एक्सप्रेस वे के चार सेगमेंट - निजामुद्दीन ब्रिज से यूपी बॉर्डर, यूपी बॉर्डर से डासना, डासना से हापुड़, हापुड़ से मेरठ मार्च 2019 तक पूरे जाएंगे। 8.36 किलोमीटर लंबे(स्ट्रेच) दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे को बनाने में 841.50 करोड़ रुपये की लागत आई है, जिसकी लंबाई निजामुद्दीन ब्रिज से शुरू होकर दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा तक है और इसमें 14 लेन हैं।
पीएम मोदी के स्वच्छ अभियान को ध्यान में रखते हुए हर 2.5 किलोमीटर की दूरी पर टॉयलेट्स बनाए गए हैं। पेरिफेरल एक्सप्रेसवे रिकार्ड 500 दिनों में बनकर तैयार हुआ है।
यह देश का पहला ऐसा एक्सप्रेसवे है जिसमें सोलर सिस्टम से लैस लाइट लगाई गईं है। एक्सप्रेसवे की मजबूती के लिए 200 टन स्टील का इस्तेमाल हुआ है। कई खूबियों से लैस एक्सप्रेस वे पर वाहन 120 किमी प्रति घंटा की रफ़्तार से दौड़ सकेंगे। देश के बाकी एक्सप्रेसवे पर 100 किमी प्रति घंटे की स्पीड से ही वाहन चलाने की अनुमति है।
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