पिछले पांच साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने कई दूरगामी फैसले (Game Changing) लिए. सरकार ने दूसरी पीढ़ी के सुधारों को व्यवस्थित और सतत ढंग से लागू किया. टैक्स सुधार, काले धन पर अंकुश, नोटबंदी, मुद्रास्फीति पर लगाम, संघवाद को बढ़ावा देने, आयुष्मान भारत योजना, सामाजिक क्षेत्र में निवेश और बुनियादी ढांचे के विकास संबंधी निर्णय देश की सूरत बदलने के लिए मील का पत्थर साबित हुए और आगे भी होते रहेंगे. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फेसबुक ब्लॉग लिखकर अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए यह बात कही. अरुण जेटली ने यह भी कहा- पांच साल की अवधि एक राष्ट्र में जीवन की लंबी अवधि नहीं है.
उन्होंने कहा- प्रगति के लिए यह महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है. 1991 भारतीय इतिहास में बड़ा और महत्वपूर्ण मौका था. तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थी और वित्तीय संकट से देश गुजर रहा था, जिससे वे सुधारों के लिए मजबूर हुए. राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार ने आंशिक रूप से प्रत्यक्ष करों को तर्कसंगत बनाया और पहली एनडीए सरकार ने बुनियादी ढांचे के निर्माण और विवेकपूर्ण वित्तीय प्रबंधन के बारे में महत्वपूर्ण निर्णय लिए.’
अरुण जेटली ने कहा- नारों में फंसकर रह गई यूपीए सरकार
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आगे लिखा है- ‘2004-2014 के बीच यूपीए सरकार आर्थिक विस्तार नहीं कर पाई और नारों में ही फंसकर रह गई. मोदी सरकार तब चुनी गई, जब भारत पहले से ही पांच सबसे कमजोर अर्थव्यवस्था वाले देशों का हिस्सा था और दुनिया भविष्यवाणी कर रही थी कि ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) से भारत का ‘आई’ हट जाएगा.
तब सरकार के पास कोई विकल्प नहीं था और इसे सुधारना ही पड़ा. उस समय ‘सुधारो या मिट जाओ’ की चुनौती भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने थी. इसलिए, सरकार ने पांच साल की अवधि में व्यवस्थित रूप से और लगातार कई सुधार किए हैं, जो भारत के आर्थिक इतिहास में सुधारों की दूसरी पीढ़ी के रूप में जाने जाएंगे जिनकी अधिक जरूरत है.’
Source : News Nation Bureau