कोरोना वायरस की वजह से बांग्लादेश नहीं जा सके पीएम मोदी, आतंक और हिंसा को कही ये बड़ी बात

पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बांग्लादेश में शेख मुजीबुर रहमान की 100वीं जयंती के समारोह को संबोधित किया.

पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बांग्लादेश में शेख मुजीबुर रहमान की 100वीं जयंती के समारोह को संबोधित किया.

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Deepak Pandey
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पीएम नरेंद्र मोदी( Photo Credit : फाइल फोटो)

पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बांग्लादेश में शेख मुजीबुर रहमान की 100वीं जयंती के समारोह को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि शेख हसीना जी ने मुझे इस ऐतिहासिक समारोह का हिस्सा बनने के लिए व्यक्तिगत तौर पर निमंत्रण दिया था, लेकिन कोरोना के कारण ये संभव नहीं हो पाया. फिर शेख हसीना जी ने एक और विकल्प दिया और इसलिए मैं वीडियो के माध्यम से आपसे जुड़ रहा हूं.

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पीएम मोदी ने कहा कि बंगबंधु शेख मुजीबुर-रहमान पिछली सदी के महान व्यक्तित्वों में से एक थे. उनका पूरा जीवन, हम सभी के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है. आज मुझे बहुत खुशी होती है, जब देखता हूं कि बांग्लादेश के लोग, किस तरह अपने प्यारे देश को शेख मुजीबुर-रहमान के सपनों का ‘सोनार-बांग्ला’ बनाने में जुटे हैं.

मोदी ने आगे कहा कि याद कीजिए एक दमनकारी और अत्याचारी शासन ने, लोकतांत्रिक मूल्यों को नकारने वाली व्यवस्था ने, किस तरह बांग्ला भूमि के साथ अन्याय किया, उसके लोगों को तबाह किया, सारी दुनिया भली भांति उन बातों को जानती है. उस दौर में जो तबाही मचाई गई थी, जो नरसंहार हुआ, उससे बांग्लादेश को बाहर निकालने के लिए, एक सकारात्मक और Progressive Society के निर्माण के लिए बंगबंधु ने अपना पल-पल समर्पित कर दिया था.

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि आतंक और हिंसा को राजनीति और कूटनीति का हथियार बनाना, कैसे पूरे समाज और देश को तबाह कर देता है, ये हम भली भांति देख रहे हैं. आतंक और हिंसा के वो समर्थक आज कहां हैं, किस हाल में हैं?. दूसरी तरफ हमारा बांग्लादेश आज जिन ऊंचाइयों पर पहुंच रहा है वो भी दुनिया देख रही है. मुझे इस बात की भी खुशी है कि बीते 5-6 वर्षों में भारत और बांग्लादेश ने आपसी रिश्तों का भी शोनाली अध्याय गढ़ा है, अपनी पार्टनरशिप को नई दिशा और नए आयाम दिए हैं.

मोदी ने कहा कि ये दोनों देशों में बढ़ता हुआ विश्वास है, जिसके कारण हम दशकों से चले आ रहे Land Boundary, Maritime Boundary से जुड़े मुद्दों को, शांति से सुलझाने में सफल रहे हैं. अगले वर्ष बांग्लादेश की मुक्ति के 50 वर्ष होंगे और उससे अगले वर्ष 2022 में भारत की आज़ादी के 75 वर्ष होने वाले हैं. मुझे विश्वास है कि ये दोनों पड़ाव, भारत-बांग्लादेश के विकास को नई ऊंचाई पर पहुंचाने के साथ ही, दोनों देशों की मित्रता को भी नई बुलंदी देंगे.

Source : News Nation Bureau

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