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नई शिक्षा नीति पर बोले PM मोदी- अब असली काम की शुरुआत हुई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत '21 वीं सदी में स्कूली शिक्षा' सम्मेलन को संबोधित कर रहे हैं. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान में कहा, शिक्षा मंत्रालय दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है, जो गुरुवार से शिक्षा पर्व के एक रूप में शुरू हुआ है.

Updated on: 11 Sep 2020, 12:02 PM

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत '21 वीं सदी में स्कूली शिक्षा' सम्मेलन को संबोधित कर रहे हैं. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान में कहा, शिक्षा मंत्रालय दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है, जो गुरुवार से शिक्षा पर्व के एक रूप में शुरू हुआ है. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा- हमारे देश भर में हर क्षेत्र की अपनी कुछ न कुछ खूबी है, कोई न कोई पारंपरिक कला, कारीगरी, प्रोडक्ट्स हर जगह के मशहूर हैं. स्टूडेंट्स उन करघों, हथकरघों में विजिट करें, देखें आखिर ये कपड़े बनते कैसे हैं? स्कूल में भी ऐसे स्किल्ड लोगों को बुलाया जा सकता है.

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हमारे देश भर में हर क्षेत्र की अपनी कुछ न कुछ खूबी है, कोई न कोई पारंपरिक कला, कारीगरी, प्रोडक्ट्स हर जगह के मशहूर हैं. स्टूडेंट्स उन करघों, हथकरघों में विजिट करें, देखें आखिर ये कपड़े बनते कैसे हैं? स्कूल में भी ऐसे स्किल्ड लोगों को बुलाया जा सकता है.

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एनईपी को इसी तरह तैयार किया गया है ताकि सिलेबस को कम किया जा सके और फंडामेंटल चीजों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके. लर्निंग को इंटिग्रेटिड एवं इंटर-डिसिप्लीनेरी, फन बेस्ड और कंप्लीट एक्सपीरियंस बनाने के लिए एक नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क डेवलप किया जाएगा.

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हमें अपने स्टूडेंट्स को 21वीं सदी की स्किल्स के साथ आगे बढ़ाना है. ये 21वीं सदी की स्किल्स क्या होंगी? ये होंगी- क्रिटिकल थिंकिंग, क्रिएटिविटी, कोलेबोरेशन, क्यूरोसिटी और कम्युनिकेशन.

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2022 तक हमारे छात्र आजादी 75वे वर्ष में नई शिक्षा नीति के तहत आगे बढ़ेगें. आगे वाले समय में एआई, क्लाउड, रोबोटिक्स, डाडा साइंस को सीखने जरूरी है.

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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी नए भारत की, नई उम्मीदों की, नई आवश्यकताओं की पूर्ति का माध्यम है. इसके पीछे पिछले चार-पांच सालों की कड़ी मेहनत है, हर क्षेत्र, हर विधा, हर भाषा के लोगों ने इस पर दिन रात काम किया है. लेकिन ये काम अभी पूरा नहीं हुआ है.

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कुछ दिन पहले शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के बारे में देश भर के टीचर्स से माय गोव पर उनके सुझाव मांगे थे. एक सप्ताह के भीतर ही 15 लाख से ज्यादा सुझाव मिले हैं. ये सुझाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति को और ज्यादा प्रभावी तरीके से लागू करने में मदद करेंगे.

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बच्चों ओटो वाले से लेकर डॉक्टर के पास लेकर जाना चाहिए. उसे तभी समझ आएगा. नई शिक्षा नीति भी ऐसे ही काम करती है.

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति के ऐलान होने के बाद बहुत से लोगों के मन में कई सवाल आ रहे हैं. ये शिक्षा नीति क्या है? ये कैसे अलग है. इससे स्कूल और कॉलेजों की व्यवस्थाओं में क्या बदलाव आएगा. इस शिक्षा निति में शिक्षक और छात्र के लिए क्या है? और सबसे अहम इसे सफलतापूर्वक लागू करने के लिए क्या करना है, कैसे करना है? सवाल जायज भी हैं और जरूरी भी हैं. इसीलिए हम सभी इस कार्यक्रम में इकट्ठा हुए हैं ताकि चर्चा कर सकें और आगे का रास्ता बना सकें
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कोरोना से बने हालात हमेशा ऐसे ही नहीं रहने वाले हैं. बच्चे जैसे-जैसे आगे बढ़ें, उनमें ज्यादा सीखने की भावना का विकास हो. बच्चों में मैथेमेटिकल थिंकिंग और साइं और साइंटिफिक टेंपरामेंट विकसित हो, ये बहुत आवश्यक है


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प्रधानमंत्री ने कहा, शिक्षा में प्रक्टिकल ज्ञान को जोड़ना चाहिए, जैसे भागलपुर की साड़ियों का निर्माण देखें. इससे ज्ञान में रूचि बढ़ेगी. 

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गुजरात में हम गांव के सबसे पुरानें पेड़ को खोजते थे. जिसकी खोज में बच्चे अन्य पड़ों के बारे में भी जान लेते थे.

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पीएम ने कहा- ईश्वर चंद्र विद्यासागर के विद्यार्थी थे, जो कोलकाता पहुंचने से पहले ही अंग्रेजी की गिनती सीख गए थे, शिक्षा ऐसी ही होनी चाहिए. जापान में ऐसे ही जंगल के ज्ञान प्रकृति के बीच रहकर सीखते है.

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पिछले तीन दशकों में दुनिया का हर क्षेत्र बदल गया. हर व्यवस्था बदल गई. इन तीन दशकों में हमारे जीवन का शायद ही कोई पक्ष हो जो पहले जैसा हो, लेकिन वो मार्ग, जिस पर चलते हुए समाज भविष्य की तरफ बढ़ता है, हमारी शिक्षा व्यवस्था, वो अब भी पुराने ढर्रे पर ही चल रही थी.

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पीएमओ ने कहा कि कई वेबिनार, एनईपी के कई पहलुओं पर वर्चुअल कॉन्फ्रेंस और कॉन्क्लेव आयोजित किए जा रहे हैं. सरकार ने बताया कि एनईपी-2020 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है, जिसे 1968 के बाद यानी 34 साल बाद घोषित किया गया