UNGA की बैठक में PM नरेंद्री मोदी ने अपने संबोधन में क्या कहा, जानिए 10 बड़ी बातें
पीएम मोदी ने इस दौरान संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सेशन की सभा को संबोधित करते हुए वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को लेकर बातचीत की.
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार की शाम को संयुक्त राष्ट्र संघ की जनरल असेंबली को संबोधित किया. पीएम मोदी ने इस दौरान संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सेशन की सभा को संबोधित करते हुए वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को लेकर बातचीत की. इसके साथ ही पीएम मोदी ने इस महामारी से निकलने के लिए विकल्पों पर भी बातचीत की. पीएम मोदी ने अपने संबोधन के दौरान कोरोना महामारी को लेकर भारत के रोल की बात करते हुए बताया कि जब तक वैक्सीन का उत्पादन और वैक्सीन के लोगों तक पहुंचने की क्षमता पूरी तरह से नहीं हो जाती है तब तक इस संकट से बचने के लिए पूरी सावधानियां बरतें. उन्होंने इस दौरान ये भी बताया कि वैक्सीन का निर्माण और आपूर्ति ही पूरी मानवता को इस संकट से बाहर निकालने के लिए काम आएगी.
आपको बता दें कि इसके पहले कोरोना महामारी के संकट की वजह से ही संयुक्त राष्ट्र महासभा वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित की गई. इस दौरान पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी सीट का मुद्दा भी उठाया. पीएम मोदी ने कहा कि कब तक भारत को संयुक्त राष्ट्र के डिसिजन मेकिंग स्ट्रक्चर से अलग रखा जाएगा. आइए आपको बताते हैं युनाइटेड नेशन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने क्या कुछ कहा उनके संबोधन की 10 बड़ी बातें.
- पीएम मोदी यूएन की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं. उन्होंने कहा कि ये हमारी संस्कृति, संस्कार और सोच का हिस्सा है. संयुक्त राष्ट्र में भी भारत ने हमेशा विश्व कल्याण को ही प्राथमिकता दी है.
- पीएम मोदी ने कहा, 'पूरी दुनिया के सामने आज एक बहुत बड़ा सवाल है कि जिस संस्था का गठन तब की परिस्थितियों में हुआ था उसका स्वरूप क्या आज भी प्रासंगिक है?
- पीएम नरेंद्र मोदी ने महामारी पर संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों पर सवाल उठाते हुए कहा, कि वो लाखों मासूम बच्चे जिन्हें दुनिया भर में छा जाना था, वो दुनिया छोड़कर चले गए. कितने ही लोगों को अपने जीवन भर की पूंजी गंवानी पड़ी, अपने सपनों का घर छोड़ना पड़ा. उस समय और आज भी, संयुक्त राष्ट्र के प्रयास क्या पर्याप्त थे?
- पीएम मोदी ने कहा, संयुक्त राष्ट्र को बहुत से अच्छे कामों के बाद भी अभी आत्ममंथन की जरूरत है. पिछले 75 वर्षों में अगर हम संयुक्त राष्ट्र की उपलब्धियों का मूल्यांकन करें, तो अनेक उपलब्धियां दिखाई देती हैं. अनेक ऐसे उदाहरण भी हैं, जो संयुक्त राष्ट्र के सामने गंभीर आत्ममंथन की आवश्यकता खड़ी करते हैं.
- पीएम मोदी ने आगे संयुक्त राष्ट्र पर एक बार फिर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि बीते 8-9 महीने से पूरा विश्व कोरोना वैश्विक महामारी से संघर्ष कर रहा है. इस वैश्विक महामारी से निपटने के प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र कहां है? उसकी एक प्रभावशाली प्रतिक्रिया जो उसे देनी चाहिए वो कहां है?
- पीएम मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रियाओं में बदलाव, व्यवस्थाओं में बदलाव,स्वरूप में बदलाव आज समय की मांग है.
- पीएम ने कहा कि भारत के लोग संयुक्त राष्ट्र के पुनर्जागरण को लेकर जो प्रक्रिया चल रही है, उसके पूरा होने का लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं. भारत के लोग चिंतित हैं कि क्या ये प्रोसेस कभी लॉजिक तक पहुंच पाएगी.आखिर कब तक भारत को संयुक्त राष्ट्र के निर्णय लेने वाली संरचना से अलग रखा जाएगा.
- पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि एक ऐसा देश, जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, एक ऐसा देश, जहां विश्व की 18 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या रहती है, एक ऐसा देश, जहां सैकड़ों भाषाएं हैं, सैकड़ों बोलियां हैं, अनेकों पंथ हैं, अनेकों विचारधाराएं हैं.
- पीएम मोदी ने कहा कि जिस देश ने वर्षों तक वैश्विक अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करने और वर्षों की गुलामी, दोनों को जिया है,जिस देश में हो रहे परिवर्तनों का प्रभाव दुनिया के बहुत बड़े हिस्से पर पड़ता है, उस देश को आखिर कब तक इंतजार करना पड़ेगा?
- नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत जब किसी से दोस्ती का हाथ बढ़ाता है, तो वो किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं होती. भारत जब विकास की साझेदारी मजबूत करता है, तो उसके पीछे किसी साथी देश को मजबूर करने की सोच नहीं होती. हम अपनी विकास यात्रा से मिले अनुभव साझा करने में कभी पीछे नहीं रहते.
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