नोटबंदी के फैसले से देश भर में कैश की समस्या पैदा हो गई है। सरकार के इस कदम को ग्लोबल मीडिया ने भी कवर किया है। वैश्विक मीडिया जगत में एक ओर नोटबंदी के बाद बढ़ी असुविधाओं का जिक्र किया है तो दूसरी तरफ भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभावों का भी विश्लेषण किया गया है।
विदेशी मीडिया सरकार के इस कदम को काले धन के खिलाफ कड़ा कदम बता रहा है तो वहीं लोगों को होने वाली परेशानियों की खबर को भी जगह दिया है। आईए जानते हैं मोदी सरकार के इस कदम को विदेशी मीडिया ने कैसे कवर किया है।
बीबीसी वर्ल्डः नोट बैन के मुद्दे पर बीबीसी वर्ल्ड ने लिखा है कि सरकार के इस फैसले से इनकम टैक्स में बढ़ोतरी तो होगी ही कुछ समय के लिए महंगाई में भी कमी देखने को मिल सकती है। वहीं कहा है कि इससे गरीब जनता पर काफी प्रभाव पड़ेगा।
नोटबैन को लेकर चीनी मीडिया ने सरकार के निर्णय को 'आश्चर्यजनक और साहसिक' बताया है। साथ ही कहा कि इससे कालेधन और भ्रष्टाचार से लडने की बात साफ पता चलती है।
ग्लोबल टाइम्सः चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने एक लेख में कहा है, 'मोदी की सोच ठीक है और उनका निर्णय भारत की वास्तविकताओं पर आधारित है' क्योंकि देश में ज्यादातर अवैध धंधे 500 और 1000 के नोटों से किए जाते हैं। हालांकि शंका जाहिर करते हुए कहा, ये नियम भ्रष्टाचार को शायद ही पूरी तरह खत्म कर पाएं।
न्यूयॉर्क टाइम्सः न्यूयॉर्क टाइम्स ने मोदी सरकार के इस फैसले को सराहा है और कहा कि सरकार का यह फैसला देश में बदलाव ला सकता है। हालांकि एटीएम और बैंक के बाहर लगी भीड़ को भी दर्शाया है।
वाशिंगटन पोस्टः नोटबैन के मुद्दे पर वाशिंगटन पोस्ट ने भी मोदी सरकार के इस कदम को सराहते हुए कहा है कि इससे चुनाव में प्रयोग होने वाले काले धन पर रोक लगेगी।
द इंडिपैंडेंटः मोदी के विमुद्रीकरण के फैसले की तुलना सिंगापुर के पूर्व नेता ली क्वान यू की भ्रष्ट्राचार के खिलाफ मुहीम से करते हुए वहां के प्रमुख अखबार द इंडिपेंडेंट ने कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री के अचानक लिए गए इस फैसले से उनका सम्मान सिंगापुर के नेताओं के बीच और बढ़ गया है।
Source : News Nation Bureau