'गंदी नाली में जिएं मुसलमान': PM मोदी ने संसद में याद दिलाया इस कांग्रेसी मंत्री का बयान
पीएम मोदी के ऐसा कहने के बाद ही विपक्ष ने हंगामा करना शुरू कर दिया औरउनसे इस बात का सबूत मांगने लगे.
highlights
- पीएम मोदी ने धन्यवाद प्रस्ताव पर संसद को संबोधित किया
- कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा
- शाह बानो प्रकरण पर कांग्रेस की खिंचाई की
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को लोकसभा में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर संसद को संबोधित किया. पीएम मोदी ने लोकसभा में शाह बानो केस का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा. अल्पसंख्यकों की बात करने वाली कांग्रेस की असलियत को बताते हुए मोदी ने कहा कि 'शाह बानो केस के दौरान कांग्रेस के एक मंत्री ने कहा था कि मुस्लिमों को सुधारने का ठेका सिर्फ कांग्रेस पार्टी ने नहीं ले रखा है. अगर वो नाली में रहना चाहते हैं तो उन्हें रहने दो.' पीएम मोदी के ऐसा कहने के बाद ही विपक्ष ने हंगामा करना शुरू कर दिया और उनसे इस बात का सबूत मांगने लगे. जिसके बाद उन्होंने कहा कि हम आपको यूट्यूब का वो लिंक दे देंगे जिसपर ये बात आप भी जान सकेंगे.
ये है वो वीडियो में जिसका यूट्यूब लिंक देने की बात पीएम मोदी ने संसद में कही थी
इस यूट्यूब लिंक में कांग्रेस के पूर्व नेता और पूर्व मंत्री मोहम्मद आरिफ यह कहते हुए नजर आ रहे हैं कि 'कांग्रेस पार्टी ने मुसलमानों को सुधारने का ठेका नहीं ले रखा है.अगर वो नाली रहना चाहते हैं तो उन्हें रहने दो.' मोहम्मद आरिफ ने इस वीडियो के 17वें से 19वें मिनट के बीच अल्पसंख्यकों को लेकर यह बात कही है.
इंडिया स्पेंड (India Spend) नाम की अंग्रेजी वेबसाइट में बताया गया कि, कांग्रेस सरकार में मंत्री रह चुके मोहम्मद आरिफ ने एक इंटरव्यू के दौरान ये बताया था कि, 'मुझे इस बात पर विश्वास नहीं हो रहा है कि राजीव गांधी ने अपने दम पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को पलटने का निर्णय लिया था वो एक आधुनिक सोच वाले व्यक्ति थे वो रूढ़िवादिता को नहीं पसंद करते थे. वास्तव में मैने राजीव गांधी की फाइलों पर ध्यान दिया था जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से लिखा था कि उन्हें प्रगतिविरोधी और रूढ़िवादी तत्वों के साथ समझौता नहीं करना है.' पी. वी. नरसिम्हा राव, अर्जुन सिंह और एन डी तिवारी (तत्कालीन सरकार में मंत्री) की पसंद से उन्हें ऐसा करने के लिए दबाव डाला गया था. उनकी राय थी कि मुसलमानों को सुधारना कांग्रेस पार्टी का काम नहीं था, (उन्होंने कहा) "अगर वो नाली में रहना चाहते हैं तो उन्हें रहने दें" पूरी खबर को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
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आपको बता दें कि साल 1986 में शाह बानो प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय ने 68 वर्षीय तलाकशुदा शाह बानो बेगम के पक्ष में फैसला दिया और उनके शौहर को 179.20 रुपये का मासिक शाह बानो और उनक बच्चों के रख रखाव के लिए दिया जाए ये फैसला सुनाया. इसके विरोध में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को पलट कर 25 फरवरी, 1986 को राजीव गांधी की सरकार ने मुस्लिम महिला (तलाक अधिकार संरक्षण) विधेयक, 1986 को लोकसभा में पेश कर दिया. विपक्ष ने इसका जबरदस्त विरोध किया था. इसके बावजूद मई आते-आते यह राज्यसभा से भी पास होकर कानून का रूप ले चुका था. इसके जरिए तलाक के बाद गुजारा-भत्ता के लिए अदालत जाने का मुस्लिम महिलाओं का अधिकार खत्म हो गया. इस कानून में यह भी साफ कर दिया गया था कि तलाकशुदा बीवियों को उनके शौहर से केवल इद्दत (तीन महीने) तक का ही गुजारा-भत्ता मिलेगा. इसके बाद आरिफ मोहम्मद ने इस कानून के विरोध में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी सरकार की कांग्रेस सरकार को छोड़ दिया था.
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