राम मंदिर की समीक्षा बैठक में बोले पीएम, अयोध्या में दिखे भारतीय संस्कृति की झलक
पीएम मोदी ने राम मंदिर के निर्माण के अलावा अयोध्या के विकास कार्यों की भी समीक्षा की. पीएम मोदी ने कहा कि अयोध्या शहर को ऐसा बनाया जाना चाहिए कि वहां पर भारतीय संस्कृति और परंपराओं की झलक दिखाई दे.
highlights
- अयोध्या नगरी के विकास की पीएम ने की समीक्षा
- विकास में तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को ध्यान में रखें
- अयोध्या के पुरातन स्वरूप को भी बरकरार रखा जाए
नयी दिल्ली:
उत्तर प्रदेश के अयोध्या (Ayodhya) में भगवान राम का भव्य और दिव्य मंदिर के निर्माण का कार्य बहुत ही तेजी के साथ जारी है. 5 अगस्त साल 2020 को पीएम मोदी के हाथों राम मंदिर (Ram Mandir) की नींव की स्थापना की गई थी. जिसके बाद मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो गया है. पीएम नरेंद्र मोदी शनिवार को अयोध्या में हो रहे राम मंदिर निर्माण का वर्चुअल बैठक में जायजा लिया. पीएम मोदी ने राम मंदिर के निर्माण के अलावा अयोध्या के विकास कार्यों की भी समीक्षा की. पीएम मोदी ने कहा कि अयोध्या शहर को ऐसा बनाया जाना चाहिए कि वहां पर भारतीय संस्कृति और परंपराओं की झलक दिखाई दे.
श्रीराम मंदिर और अयोध्या शहर की समीक्षा कर रहे पीएम मोदी ने कहा, अयोध्या एक ऐसा शहर हो जो हर भारतीय की सांस्कृतिक चेतना में अंकित है. पीएम ने आगे कहा, अयोध्या शहर को पर्यटकों और तीर्थयात्रियों की सुविधानुसार विकसित करना चाहिए ताकि दोनों का समान फायदा हो. पीएम ने आगे कहा कि अयोध्या में विकास की योजनाओं को इस तरह से लागू किया जाना चाहिए, जिसमें आने वाले भविष्य की झलक भी दिखाई दे. उन्होंने आगे बताया कि अयोध्या को ऐसा होना चाहिए जहां कम से कम एक बार देश का युवा जरूर आए. पीएम ने कहा, आने वाले समय में भी अयोध्या में विकास के कार्य जारी रहेंगे.
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पीएम मोदी ने आगे कहा कि अयोध्या में हो रहे विकास कार्यों में और तेजी लाई जाएगी. हमारा ये सामूहिक प्रयास है कि हम अपने देश में अयोध्या की पहचान का जश्न मनाएं और अपने नए-नए तरीकों से अयोध्या की सभ्यता को बनाए रखें. पीएम ने देश के युवाओं से अपील की है कि जिस तरह भगवान राम में लोगों को एक साथ लाने की क्षमता थी, उसी तरह अयोध्या के विकास कार्यों में देश के हर एक नागरिक की भागीदारी होनी चाहिए, खासकर युवाओं की. शहर के इस विकास में हमारे प्रतिभाशाली युवाओं के कौशल का लाभ उठाने का आह्वान किया है.
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आपको बता दें कि भगवान श्री राम की जन्मभूमि के विकास के लिए लगभग पांच सौ लोगों की राय ली गई है. राम नगरी अयोध्या के विकास के लिए संतों और महंतो के अलावा श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट सहित यहां के सांसद, विधायक, शिक्षाविद सहित अन्य लोगों के सुझाव लिए जा चुके हैं. हालांकि ये क्रम अभी खत्म नहीं हुआ है ये अभी जारी है. अयोध्या के साथ साथ आसपास के जनपदों में भी साधु संतों और ऋषियों की तपोस्थली का विकास भी किया जाएगा. सरकार इस बात को लेकर प्रयासरत है कि अयोध्या का सिर्फ आधुनिकीकरण ही न हो बल्कि अयोध्या का पुरातन स्वरूप भी बरकरार रहे.
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