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लोकसभा चुनाव

G-20 की मेजबानी पर सवाल उठाने वाले चीन और पाक को PM मोदी की खरी-खरी, बैठकें कहां होंगी यह हम तय करेंगे

अरुणाचल प्रदेश और कश्मीर में जी 20 की मेजबानी पर पाक और चीन की आपत्तियों को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने दोनों देशों को खरी-खरी सुना दी. पीएम ने कहा कि देश के किसी भी हिस्से में बैठकें हो सकती हैं. यह हम तय करेंगे. यह भारत का आंतरिक मामला है.

Updated on: 03 Sep 2023, 04:28 PM

नई दिल्ली:

नई दिल्ली में 9-10 सितंबर को जी-20 सम्मेलन आयोजित होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन और पाकिस्तान की जमकर लताड़ लगाई. अरुणाचल प्रदेश और कश्मीर में जी 20 की मेजबानी पर पाकिस्तान और चीन की आपत्तियों को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने सख्ते लहजे में कहा कि हम देश के किसी भी हिस्से में बैठक कर सकते हैं. वह चाहे अरुणाचल प्रदेश हो या कश्मीर. उन्हें यह कहने का कोई अधिकार नहीं है कि राजनयिक बैठकों को किस जगह पर आयोजित करें. यह हमारा आंतरिक मामला है.एक न्यूज एजेंसी को दिए साक्षात्कार में पीएम ने कहा कि मेजबान देश के हर हिस्से में राजनयिक बैठकें आयोजित करने का अधिकार है.  

रूस-यूक्रेन युद्ध से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग संघर्षों को बातचीत और कूटनीतिक के जरिए ही सुलझाया जा सकता है. चुनावों में लोक लुभावने वादों करने वाले सवाल पर पीएम मोदी ने कहा कि इससे तुरंत फायदे तो मिल जाएंगे, लेकिन भविष्य में इसकी आर्थिक और सामाजिक कीमत चुकनी पड़ती है. गरीबों पर इसका भार पड़ता है. 

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पाकिस्तान और चीन ने जताई थी आपत्ति
गौरतलब है कि 22-24 मई तक भारत ने जी 20 की बैठक श्रीनगर में आयोजित की थी.  पाकिस्तान ने कश्मीर में बैठक को लेकर विरोध किया था. इससे पहले मार्च में चीन ने भी अरुणाचल प्रदेश में आयोजित G-20 की बैठक पर सवाल खड़े किए थे. भारत ने दोनों देशों की आपत्ति का विरोध करते हुए कहा था कि वह अपने हिस्से में बैठकें आयोजित करने के लिए स्वतंत्र है. यह उसका स्वभाविक निर्णय है. बता दें कि चीन जी-20 का सदस्य देश है, लेकिन पाकिस्तान इस संगठन का सदस्य नहीं है. पाकिस्तान का हितैषी बनकर चीन बचाव करता रहता है. हाल ही में चीन ने पाकिस्तान का बचाव करते हुए कहा था कि कश्मीर विवाद इतिहास से छूटा हुआ है और किसी एकतरफा कार्रवाई से बचते हुए इसे संयुक्त राष्ट्र के निर्णयों के मुताबिक हल करना चाहिए. हालांकि, भारत पहले ही चीन और पाकिस्तान के दावों को खारिज कर चुका है.