मन की बात: सरदार पटेल जमीन से जुड़े थे, अब आसमान की भी शोभा बढ़ाएंगे- पीएम मोदी
पीएम मोदी आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले इस रेडियो कार्यक्रम के ज़रिए देश-दुनिया से जुड़े मुद्दों पर अपनी राय रखते हैं और लोगों से मिले सुझावों को साझा करते हैं.
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार (28 अक्टूबर) को 49वीं बार रेडियो कार्यक्रम मन की बात के जरिए देशवासियों को संबोधित करेंगे. पीएम मोदी आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले इस रेडियो कार्यक्रम के ज़रिए देश-दुनिया से जुड़े मुद्दों पर अपनी राय रखते हैं और लोगों से मिले सुझावों को साझा करते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 अक्तूबर को भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी की पुण्यतिथि को पर उन्हें आदरपूर्वक श्रद्धांजलि दी.
इसके अलावा पीएम मोदी ने 31अक्तूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर आयोजित होने वाली "Run For Unity" दौड़ का ज़िक्र करते हुए कहा कि देश का युवा देश की एकता के लिए दौड़ने को तैयार है. उन्होंने देशवासियों से बड़ी संख्या में इस 'एकता की दौड़' में भाग लेने का आग्रह किया.
प्रधानमंत्री ने अपनी मन की बात का समापन सभी देशवासियों को धनतेरस, दीपावली, भैय्या-दूज, छठ - इन सभी त्योहारों की शुभकामनाएं देते हुए किया, औरसाथ ही अपने स्वास्थ्य और समाज के हितों का ध्यान रखने का आग्रह किया.
इस सेक्टर में बेस्ट पॉलिसी मेकिंग के लिए दिया जाने वाला यह पुरस्कार उस क्षेत्र में ऑस्कर के समान है. यही नहीं हमारे सिक्किम ने 25 देशों की 51 नॉमिनेटेड पॉलिसी को पछाड़कर यह अवार्ड जीता, इसके लिए मैं सिक्किम के लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हू.
सिक्किम ने स्थायी खाद्य प्रणाली को प्रोत्साहन देने के लिए प्रतिष्ठित Future Policy Gold Award 2018 जीता है .यह अवॉर्ड सयुंक्त राष्ट्र से जुड़े F.A.O यानी फूड और खेती संस्थान की तरफ से दिया जाता है.
हमारे नार्थ ईस्ट इंडिया की बात ही कुछ और है. पूर्वोत्तर का प्राकृतिक सौन्दर्य अनुपम है और यहां के लोग अत्यंत प्रतिभाशाली है .हमारा नार्थ ईस्ट अब तमाम सबसे अच्छा कर्म के लिए भी जाना जाता है. नार्थ ईस्ट एक ऐसा क्षेत्र है जिसने ऑर्गेनिक खेती में भी बहुत उन्नति की है.
पिछले 100 वर्षों में शान्ति की परिभाषा बदल गई है,आज शान्ति और सौहार्द का मतलब सिर्फ युद्ध का न होना नहीं है.आतंकवाद से लेकर जलवायु परिवर्तन, आर्थिक विकास से लेकर सामाजिक न्याय, इन सबके लिए वैश्विक सहयोग और समन्वय के साथ काम करने की आवश्यकता है.
भारत के लिए प्रथम विश्व युद्ध एक महत्वपूर्ण घटना थी. हमारा उस युद्ध से सीधा कोई लेना-देना नहीं था,इसके बावजूद भी हमारे सैनिक बहादुरी से लड़े और सर्वोच्य बलिदान दिया .उन्होंने दुनिया को दिखाया कि जब युद्ध की बात आती है तो वह किसी से पीछे नहीं हैं.
जब कभी भी विश्व शान्ति की बात होती है तो इसको लेकर भारत का नाम और योगदान स्वर्ण अक्षरों में अंकित दीखता है. भारत के लिए इस वर्ष 11 नवम्बर का विशेष महत्व है क्योंकि 11 नवम्बर को आज से 100 वर्ष पूर्व प्रथम विश्व युद्ध समाप्त हुआ.
इसका अर्थ है, हे ईश्वर तीनों लोकों में हर तरफ शांति का वास हो जल,पृथ्वी,आकाश, अंतरिक्ष ,अग्नि,पवन ,औषधि, वनस्पति ,उपवन, अवचेतन में,सम्पूर्ण ब्रह्मांड में शान्ति स्थापित करे. जीवमात्र में, हृदय में, मुझ में, तुझ में, जगत के कण-कण में, हर जगह शान्ति स्थापित करें.
हमारे ग्रंथों में कहा गया है:-
ऊं द्यौः शान्तिः अन्तरिक्षं शान्तिः,
पृथिवी शान्तिः आपः शान्तिः औषधयः शान्तिः|
वनस्पतयः शान्तिः विश्वेदेवाः शान्तिः ब्रह्म शान्तिः,
सर्वं शान्तिः शान्तिरेव शान्तिः सामा शान्तिरेधि ||
ऊं शान्ति: शान्ति: शान्ति: ||
जिस तरह बूंद-बूंद से सागर बनता है, उसी तरह छोटी-छोटी जागरुक और सक्रियता और सकारात्मक कार्य हमेशा सकारात्मक माहौल बनाने में बहुत बड़ी भूमिका अदा करता है.
मैंने पंजाब के एक गांव कल्लर माजरा के बारे में पढ़ा जो नाभा के पास है. कल्लर माजरा इसलिए चर्चित हुआ है क्योंकि वहां के लोग धान की पराली जलाने की बजाय उसे जोतकर उसी मिट्टी में मिला देते हैं.
हमारे सबसे पहले स्वतंत्र सेनानियों में आदिवासी समुदाय के लोग ही थे. भगवान बिरसा मुंडा, जिन्होंने अपनी वन्य भूमि की रक्षा के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ कड़ा संघर्ष किया, उनको हम आज भी याद करते हैं.
हमारे सबसे पहले स्वतंत्र सेनानियों में आदिवासी समुदाय के लोग ही थे. भगवान बिरसा मुंडा, जिन्होंने अपनी वन्य भूमि की रक्षा के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ कड़ा संघर्ष किया, उनको हम आज भी याद करते हैं.
प्रधानमंत्री ने पुडुचेरी के श्री मनीष महापात्र की बहुत ही रोचक टिप्पणी "कृपया आप इस बारें में बात कीजिये कि कैसे भारत की जनजातियां उनके रीति-रिवाज और परंपराएं प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व के सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं’ पर प्रकाश डालते हुए कहा.
एक युवा ने दिव्यांगों की व्हीलचेयर बास्केटबॉल टीम की मदद के लिए खुद व्हीलचेयर बास्केटबॉल सीखा .ये जो जज़्बा है, ये जो समर्पण है - ये मिशन मोड कार्यक्रम है. 'मैं नहीं हम' की ये भावना हम सब को प्रेरित करेगी.
IT to Society, मैं नहीं हम, अहम् नहीं वयम्, स्व से समष्टि की यात्रा की इसमें महक है. कोई बच्चों और बुज़ुर्गों को पढ़ा रहा है, कोई स्वच्छता में लगा है, कोई किसानों की मदद कर रहा है, और ये सब करने के पीछे कोई लालसा नहीं है बल्कि इसमें समर्पण और संकल्प का निःस्वार्थ भाव है.
प्रधानमंत्री ने ‘सेल्फ फॉर सोसाइटी’ नामकपोर्टल के लांच के बारे में बताते हुए कहा MyGov और देश की आईटी और इलेक्ट्रोनिक्स उद्योग ने अपने कर्मचारी को सामाजिक कार्यकर्ता के लिए प्रेरणा देने और उन्हें इसके अवसर उपलब्ध कराने के लिए इस पोर्टल लांच किया है.
सामाजिक कार्य के लिए जिस प्रकार से लोग आगे आ रहे हैं, वह देशवासियों के लिए प्रेरणादायक हैं. 'सेवा परमो धर्मः'- ये भारत की विरासत है"
मैं इस प्रतियोगिता के लिए भारतीय पुरुष हॉकी टीम को शुभकामनाएं देता हूं और उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि सवा-सौ करोड़ भारतीय उनके साथ और उनके समर्थन में खड़े हैं व भारत आने वाली विश्व की सभी टीमों को भी बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं.
प्रधानमंत्री ने सभी देशवासियों को ओडिशा जाके न सिर्फ भारतीय टीम का उत्साह बढ़ाने और खेल देखने की अपील की उसके साथ ही ओडिशा दर्शन के अवसर को भी प्राप्त करने को कहा.
हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद से तो पूरी दुनिया परिचित है. बलविंदर सिंह सीनियर, लेस्ली वाल्टर क्लाउडियस, मोहम्मद शाहिद,उधम सिंह से लेकर धनराज पिल्लई तक हॉकी ने एक बड़ा सफ़र तय किया है. खेल प्रेमियों के लिए रोमांचक मैचों को देखने का यह एक अच्छा अवसर है.
भारत का हॉकी में स्वर्णिम इतिहास रहा है. अतीत में भारत को कई प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक मिले हैं और एक बार विश्व कप विजेता भी रहा है. भारत ने हॉकी को कई महान खिलाड़ी भी दिए हैं.
भारत को इस वर्ष भुवनेश्वर में पुरुष हॉकी वर्ल्ड कप 2018 के आयोजन का सौभाग्य मिला है. हॉकी विश्वकप 28 नवम्बर से प्रारंभ हो कर 16 दिसम्बर तक चलेगा.
ऐसी अनगिनत जीवन कथाएं प्रेरणा का स्रोत है, हर युवा खिलाड़ी उसका जज़्बा, न्यू इंडिया की पहचान है.
अर्जेंनटीना में हुई 'समर यूथ ओलिंपिक गेम्स' 2018 के विजेताओं से मुझे मिलने का मौका मिला. यूथ ओलिंपिक 2018 में हमारे युवाओं ने अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया. हमने 13 पदक के अलावा मिश्रित स्पर्धा में 3 और पदक हासिल किये.
प्रधानमंत्री ने एशियन पैरा गेम्स 2018 के पैरा एथलीट्स से मिलकर उन्हें बधाई दी .इन खेलों में भारत ने 72 पदक जीते और नया रिकॉर्ड बनाकर भारत का गौरव बढ़ाया. उन्होंने कहा कि उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और हर विपरीत परिस्थिति से लड़कर आगे बढ़ने का उनका जज़्बा हम सभी देशवासियों को प्रेरित करता है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी देश के युवाओं के भीतर अगर ये सभी गुण हों तो वो देश न सिर्फ अर्थव्यवस्था, विज्ञान और तकनीक जैसे क्षेत्रों में तरक्की करेगा बल्कि खेलों में भी अपना परचम लहराएगा.
प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस तरह खेल जगत में साहस, मजबूत, कौशल , सहनशीलता - ये सारी बातें बहुत महत्वपूर्ण हैं और एक खिलाड़ी की सफलता की कसौटी होते हैं, उसी तरह यही चारों गुण किसी राष्ट्र के निर्माण के लिए भी महत्वपूर्ण होते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 अक्तूबर को भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी की पुण्यतिथि को पर उन्हें आदरपूर्वक श्रद्धांजलि दी.
प्रधानमंत्री ने कहा कि वो सरदार पटेल जो जमीन से जुड़े थे, अब आसमान की भी शोभा बढ़ाएंगे और उन्हें आशा है कि देश का हर नागरिक ‘मां-भारती’ की इस महान उपलब्धि को लेकर विश्व के सामने गर्व के साथ सीना तानकर इसका गौरवगान करेगा.
इस 31 अक्तूबर को सरदार पटेल की जयन्ती विशेष होगी क्योंकि इस दिन उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए हम 'स्टेचू ऑफ़ यूनिटी',राष्ट्र को समर्पित करेंगे.गुजरात में नर्मदा के तट पर स्थापित विश्व की सबसे ऊंची इस गगनचुम्बी प्रतिमा की ऊँचाई अमेरिका के Statue of Liberty से दो गुनी है.
सरदार पटेल ने सभी रियासतों का भारत में विलय कराया. उनकी सूझबूझ और रणनीतिक कौशल से आज हम एक हिन्दुस्तान देख पा रहे हैं. एकता के बंधन में बंधे इस राष्ट्र को देख कर हम स्वाभाविक रूप से सरदार वल्लभभाई पटेल का पुण्य स्मरण करते हैं.
1920 के दशक में अहमदाबाद में आयी बाढ़ में राहत कार्यों का प्रबंधन,सत्याग्रह को दिशा देना,देश के लिए सरदार पटेल की ईमानदारी और प्रतिबद्धता ऐसी थी कि किसान,मजदूर से लेकर उद्योगपति तक,सब उन पर भरोसा करते थे.इन पहलुओं को भी टाइम मैगज़ीन ने अपने इस लेख में उजागर किया गया था.
टाइम मैगज़ीन ने लिखा था कि भारत पर विभाजन, हिंसा, खाद्यान्न-संकट और सत्ता की राजनीति जैसे खतरे मंडरा रहे थे और इन परिस्तिथितयों में देश को एकता के सूत्र में पिरोने और घावों भरने की क्षमता यदि किसी में है तो वो हैं सरदार वल्लभभाई पटेल.
27 जनवरी 1947 को विश्व की प्रसिद्ध अतर्राष्ट्रीय पत्रिका ‘Time Magazine’ ने जो संस्करण प्रकाशित किया था, उसके कवर पेज पर सरदार पटेल का फोटो लगा था. अपनी शीर्ष स्टोरी में उन्होंने भारत का एक नक्शा दिया था और ये वैसा नक्शा नहीं था जैसा हम आज देखते हैं.
31 अक्तूबर हम सबके प्रिय सरदार वल्लभभाई पटेल की जयन्ती और हर वर्ष की तरह ‘Run for Unity’ के लिए देश का युवा एकता के लिए दौड़ने को तैयार हो गया है. मेरा आग्रह है कि आप सभी बड़ी संख्या में एकता की इस दौड़ ‘Run for Unity’ में भाग लें.
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