72वें स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल क़िले के प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करेंगे। ऐसे में लोगों की नज़र इस बात पर टिकी है कि पीएम मोदी के आज (बुधवार) के भाषण में क्या होगा? माना जा रहा है कि पीएम मोदी के आज के भाषण में 'राष्ट्रीय गर्व' को लेकर चर्चा होगी। इसके साथ ही 'न्यू इंडिया' में किस तरह के बदलाव का दौर देखने को मिल रहा है इस बात को लेकर भी पीएम मोदी चर्चा करेंगे। मीडीया रिपोर्ट्स के मुताबिक 'आयुष्मान भारत' के शुभारंभ की भी घोषणा की जा सकती है।
बता दें कि 'आयुष्मान भारत' एक बीमा योजना है जिसके तहत ग़रीब परिवार को 5 लाख़ रुपये तक का बीमा कवर मिलेगा। गौरतलब है कि 2 अक्टूबर से इस योजना की शुरुआत होने वाली है।
पीएम मोदी आज किसानों, समाज में सबसे पिछड़े वर्गों, भ्रष्टाचार मुक्त शासन और एससी/एसटी ऐक्ट के लिेए सरकार की तरफ से किए जा रहे प्रयासों को लेकर भी चर्चा करेंगे। इसके अलावा उज्ज्वला स्कीम, ग्रामीण भारत, सौभाग्य स्कीम और शौचालय निर्माण जैसे मुद्दों को लेकर भी चर्चा करेंगे।
ज़ाहिर है अगले साल लोकसभा चुनाव होना है ऐसे में साल 2014 में पीएम मोदी द्वारा दिए गए भाषण को लेकर समीक्षा भी की जाएगी। जिसमें बताया जाएगा कि पीएम मोदी के कार्यकाल में उनके द्वारा जितने भी वादे किए गए थे उनमें से किन विषयों पर काम हो पाया है। वहीं अगले साल होने वाले चुनाव के मद्धेनजर पीएम मोदी चुनावी वादे भी कर सकते हैं।
आइए एक नज़र डालते हैं साल 2014 में पीएम मोदी द्वारा बतौर प्रधानमंत्री दिए गए भाषण पर।
स्वच्छता अभियान
पीएम मोदी ने लाल किले से अपने पहले भाषण में देश की जनता को संबोधित करते हुए कहा था, 'भाइयो-बहनों, हम इक्कीसवीं सदी में जी रहे हैं। क्या कभी हमारे मन को पीड़ा हुई कि आज भी हमारी माताओं और बहनों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है? डिग्निटी ऑफ विमेन, क्या यह हम सबका दायित्व नहीं है? बेचारी गांव की - मां बहनें अंधेरे का इंतजार करती हैं, जब तक अंधेरा नहीं होता है, वो शौच के लिए नहीं जा पाती हैं। उसके शरीर को कितनी पीड़ा होती होगी, कितनी बीमारियों की जड़ें उसमें से शुरू होती होंगी! क्या हमारी मां-बहनों की इज्ज़त के लिए हम कम-से-कम शौचालय का प्रबंध नहीं कर सकते हैं?
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भाईयों बहनों, किसी को लगेगा कि 15 अगस्त का इतना बड़ा महोत्सव बहुत बड़ी-बड़ी बातें करने का अवसर होता है। भाइयों- बहनों, बड़ी बातों का महत्व है, घोषणाओं का भी महत्व है, लेकिन कभी-कभी घोषणाएं जगाती हैं और जब घोषणाएं परिपूर्ण नहीं होती हैं, तब समाज निराशा की गर्त में डूब जाता है। इसलिए हम उन बातों के ही कहने के पक्षधर हैं, जिनको हम अपने देखते-देखते पूरा कर पाएं। भाइयों- बहनों मैं कहता हूं कि आपको लगता होगा कि क्या लाल किले से सफाई की बात करना, लालकिले से टॉयलेट की बात बताना, यह कैसा प्रधान मंत्री है? मैं नहीं जानता हूँ कि मेरी कैसी आलोचना होगी, इसे कैसे लिया जाएगा, लेकिन मैं मन से मानता हूं। मैं गरीब परिवार से आया हूं, मैंने गरीबी देखी है और गरीब को इज़्ज़त मिले, इसकी शुरूआत यहीं से होती है। इसलिए ‘स्वच्छ भारत’ काएक अभियान इसी 2 अक्टूबर से मुझे आरम्भ करना है और चार साल के भीतर-भीतर हम इस काम को आगे बढ़ाना चाहते हैं। एक काम तो मैं आज ही शुरू करना चाहता हूं। हिन्दुस्तान के सभी स्कूलों में टॉयलेट हो, बच्चियों के लिए अलग टॉयलेट हो, तभी तो हमारी बच्चियां स्कूल छोड़ कर भागेंगी नहीं।
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जनधन योजना
साल 2014 में स्वतंत्रता दिवस के दिन पीएम मोदी ने लाल किले से गरीबों को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ने के लिए जनधन योजना लाने का लाने का ऐलान किया था। इसको लेकर पीएम मोदी ने कहा था, भाइयों-बहनों, इस आज़ादी के पर्व पर मैं एक योजना को आगे बढ़ाने का संकल्प करने के लिए आपके पास आया हूँ - ‘प्रधान मंत्री जनधन योजना’। इस ‘प्रधान मंत्री जनधन योजना’ के माध्यम से हम देश के गरीब से गरीब लोगों को बैंक अकाउंट की सुविधा से जोड़ना चाहते हैं। आज करोड़ों-करोड़ परिवार हैं, जिनके पास मोबाइल फोन तो हैं, लेकिन बैंक अकाउंट नहीं हैं। यह स्थिति हमें बदलनी है। देश के आर्थिक संसाधन गरीब के काम आएं, इसकी शुरुआत यहीं से होती है। यही तो है, जो खिड़की खोलता है। इसलिए‘प्रधान मंत्री जनधन योजना’ के तहत जो अकाउंट खुलेगा, उसको डेबिट कार्ड दिया जाएगा। उस डेबिट कार्ड के साथ हर गरीब परिवार को एक लाख रुपए का बीमा सुनिश्चित कर दिया जाएगा, ताकि अगर उसके जीवन में कोई संकट आया, तो उसके परिवारजनों को एक लाख रुपए का बीमा मिल सकता है।
डिजिटल भारत
पीएम मोदी ने लाल किले के प्राचीर से साल 2014 में देश को डिजिटल इंडिया बनाने पर जोर दिया था। उन्होंने कहा था, भाइयों-बहनों, पूरे विश्व में हमारे देश के नौजवानों ने भारत की पहचान को बदल दिया है। विश्व भारत को क्या जानता था? ज्यादा नहीं, अभी 25-30 साल पहले तक दुनिया के कई कोने ऐसे थे जो हिन्दुस्तान के लिए यही सोचते थे कि ये तो 'सपेरों का देश' है। ये सांप का खेल करने वाला देश है, काले जादू वाला देश है। भारत की सच्ची पहचान दुनिया तक पहुंची नहीं थी, लेकिन के हमारे 20-22-23 साल के नौजवान, जिन्होंने कम्प्यूटर पर अंगुलियां घुमाते-घुमाते दुनिया को चकित कर दिया।
विश्व में भारत की एक नई पहचान बनाने का रास्ता हमारे आई.टी. प्रोफेशन के नौजवानों ने कर दिया। अगर यह ताकत हमारे देश में है, तो क्या देश के लिए हम कुछ सोच सकते हैं? इसलिए हमारा सपना 'डिजिटल इंडिया' है। जब मैं 'डिजिटल इंडिया' कहता हूं, तब ये बड़े लोगों की बात नहीं है, यह गरीब के लिए है। अगरब्रॉडबेंड कनेक्टिविटी से हिन्दुस्तान के गांव जुड़ते हैं और गांव के आखिरी छोर के स्कूल में अगर हम लांगडिस्टेंस एजुकेशन दे सकते हैं, तो आप कल्पना कर सकते हैं कि हमारे उन गांवों के बच्चों को कितनी अच्छी शिक्षा मिलेगी। जहां डाक्टर नहीं पहुंच पाते, अगर हम टेलिमेडिसिन का नेटवर्क खड़ा करें, तो वहां पर बैठे हुए गरीब व्यक्ति को भी, किस प्रकार की दवाई की दिशा में जाना है, उसका स्पष्ट मार्गदर्शन मिल सकता है।
आपको हैरानी होगी, ये टीवी, ये मोबाइल फोन, ये आईपैड, ये जो इलेक्ट्रॉनिक गुड्ज़ हम लाते हैं, देश के लिए पेट्रोलियम पदार्थों को लाना अनिवार्य है, डीज़ल और पेट्रोल लाते हैं, तेल लाते हैं। उसके बाद इम्पोर्ट में दूसरे नम्बर पर हमारी इलैक्ट्रॉनिक गुड्ज़ हैं। अगर हम `डिजिटल इंडिया` का सपना ले करके इलेक्ट्रॉनिक गुड्ज़ के मैन्युफैक्चर के लिए चल पड़ें और हम कम से कम स्वनिर्भर बन जाएं, तो देश की तिजोरी को कितना बड़ा लाभ हो सकता है और इसलिए हम इस `डिजिटल इंडिया` को ले करके जब आगे चलना चाहते हैं।
सांसद आदर्श ग्राम
15 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में गांवों की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए लिए सभी पार्टियों के सांसदों से एक-एक गांव को गोद लेकर उसे संवारने की मुहिम शुरू करने की अपील की थी।
उन्होंने कहा था, मैं आज सांसद के नाम पर एक योजना घोषित करता हूं - 'सांसद आदर्श ग्राम योजना'। हम कुछ पैरामीटर्स तय करेंगे और मैं सांसदों से आग्रह करता हूं कि वे अपने इलाके में तीन हजार से पांच हजार के बीच का कोई भी गांव पसंद कर लें और कुछ पैरामीटर्स तय हों - वहां के स्थल, काल, परिस्थिति के अनुसार, वहां की शिक्षा, वहां का स्वास्थ्य, वहां की सफाई, वहां के गांव का वह माहौल, गांव में ग्रीनरी, गांव का मेलजोल, कई पैरामीटर्स हम तय करेंगे और हर सांसद 2016 तक अपने इलाके में एक गांव को आदर्श गांव बनाए। इतना तो कर सकते हैं न भाई! करना चाहिए न! देश बनाना है तो गांव से शुरू करें। जब 2019 में हम चुनाव के लिए जाए, उसके पहले और दो गांवों को को और 2019 के बाद हर सांसद, 5 साल के कार्यकाल में कम से कम 5 आदर्श गांव अपने इलाके में बनाए।
Source : News Nation Bureau