पश्चिम बंगाल में ममता को घेरने के लिए पीएम मोदी क्यों लेते हैं जगाई-मधाई का नाम, जानिए
पश्चिम बंगाल की चुनावी रैलियों के दौरान पीएम मोदी ममता बनर्जी पर हमला बोलते हुए पहले भी कई बार जगाई-मधाई का नाम ले चुके हैं. आइये आपको बताते हैं कि कौन थे जगाई-मधाई.
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को रैली करने पश्चिम बंगाल के दक्षिण दीनाजपुर इलाके में पहुंचे. लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, इस बार पश्चिम बंगाल के लोगों ने स्पीड ब्रेकर दीदी को समझाने की ठान ली है कि जनता के साथ गुंडागर्दी करने का, उनके पैसे लूटने का और उनका विकास रोकने का नतीजा क्या होता है. उन्होंने कहा, बंगाल में पहले और दूसरे चरण में मतदान की जो रिपोर्ट आई हैं, उसने स्पीड ब्रेकर दीदी की नींद उड़ गई है. उसी बौखलाहट में किस तरह के जघन्य अपराध हो रहे हैं, वो भी देश देख रहा है. पीएम मोदी ने कहा, दीदी अपनी पार्टी में जगाई-मधाई की भर्ती कर रही हैं, लेकिन जिन युवाओं ने एग्जाम पास किया है, उनको नौकरी नहीं देतीं. इनके पास गुंडों को देने के लिए पैसा है, लेकिन कर्मचारियों को DA देने के लिए पैसे नहीं हैं.
यह पहला मौका नहीं है जब पश्चिम बंगाल की रैली में पीएम मोदी ने सीएम ममता बनर्जी पर जगाई-मधाई का नाम लेकर हमला बोला हो. इसके पहले भी वो पश्चिम बंगाल की चुनावी रैलियों के दौरान ममता बनर्जी पर हमला बोलते हुए जगाई-मधाई का नाम ले चुके हैं. आइये आपको बताते हैं कि कौन थे जगाई-मधाई.
जानिए कौन थे जगाई-मधाई बंधु
जगाई और मधाई पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के रहने वाले दो भाई थे. इनका जन्म एक कुलीन ब्राम्हण परिवार में हुआ था, लेकिन ये दोनों भाई दुर्व्यसनों से भरे हुए थे. वो मांस और मदिरा का सेवन करते थे. गांव की औरतों का पीछा करते थे. ब्राम्हण होने के बावजूद वो पूरी तरह से पथभ्रष्ट हो चुके थे. एक बार चैतन्य महाप्रभु के शिष्य नित्यानन्द प्रभु उनके पास आए और जगाई-मधाई बंधुओं से कहा कि वो इन दुर्व्यसनों को छोड़ कर हरि के नाम में डूब जाओ. यह सुनते ही दोनों भाई क्रोधित हो गए और नित्यानन्द प्रभु को पत्थर फेंक कर मारा.
चैतन्य महाप्रभु जगाई-मधाई पर हुए नाराज
जब चैतन्य महाप्रभु को इस घटना का पता चला तो उन्होंने अपने अवतार को भुलाकर तुरंत ही सुदर्शन धारण कर लिया जिसे देखकर जगाई-मधाई बंधु बुरी तरह से डर गए जिसके बाद नित्यानन्द प्रभु ने चैतन्य महाप्रभु के पैर पकड़ लिए और कहा प्रभु मुझे जरी सी चोट आई है और थोड़ा से खून बहा है जिसके लिए आप नाराज ना हों और इन दोनों को क्षमादान करें।
दुर्व्यसनों को छोड़कर प्रभु की शरण में पहुंचे जगाई-मधाई
यह कहकर वो चैतन्य महाप्रभु से दोनों भाइयों को क्षमादान करने का अनुनय विनय करने लगे। यह घटना देखकर जगाई और मधाई का दिल पिघल जाता है और दोनों भाई सारे दुर्व्यसन छोड़कर हमेशा के लिए चैतन्य महाप्रभु की शरण में आ जाते हैं।
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