PM मोदी ने मतुआ समाज को किया संबोधित, अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने को कहा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से श्रीधाम ठाकुरनगर, ठाकुरबारी, पश्चिम बंगाल में 'मतुआ धर्म महा मेला 2022' को संबोधित किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि  ये मतुआ धर्मियो महामेला, मतुआ परंपरा को नमन करने का अवसर है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से श्रीधाम ठाकुरनगर, ठाकुरबारी, पश्चिम बंगाल में 'मतुआ धर्म महा मेला 2022' को संबोधित किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि  ये मतुआ धर्मियो महामेला, मतुआ परंपरा को नमन करने का अवसर है.

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Mohit Sharma
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PM Modi ( Photo Credit : ANI)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से श्रीधाम ठाकुरनगर, ठाकुरबारी, पश्चिम बंगाल में 'मतुआ धर्म महा मेला 2022' को संबोधित किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि  ये मतुआ धर्मियो महामेला, मतुआ परंपरा को नमन करने का अवसर है. ये उन मूल्यों के प्रति आस्था व्यक्त करने का अवसर है जिनकी नींव श्री श्री हरिचांद ठाकुर जी ने रखी थी. इसे गुरुचांद ठाकुर जी और बोरो मां ने सशक्त किया. उन्होंने कहा कि हम अक्सर कहते हैं कि हमारी संस्कृति, हमारी सभ्यता महान है. ये महान इसलिए है क्योंकि इसमें निरंतरता है, ये प्रवाहमान है. इसमें खुद को सशक्त करने की एक स्वाभाविक प्रवृत्ति है.

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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब समाज में बंटवारे की कोशिश होती है, जब भाषा और क्षेत्र के आधार पर भेद करने की प्रवृत्ति को देखते हैं तो श्री श्री हरिचांद ठाकुर जी का जीवन, उनका दर्शन और महत्वपूर्ण हो जाता है. मतुआ धर्मियो महामेला एक भारत श्रेष्ठ भारत के मूल्यों को भी सशक्त करने वाला है। जब समाज के हर क्षेत्र में हमारी बहनों-बेटियों को बेटों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर राष्ट्रनिर्माण में योगदान देते देखता है, तब लगता है कि हम सही मायने में श्री श्री हरिचांद ठाकुर जी जैसी महान विभूतियों का सम्मान कर रहे हैं। जब सरकार सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के आधार पर सरकारी योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाती है.

उन्होंने कहा कि जब सबका प्रयास, राष्ट्र के विकास की शक्ति बनता है, तब हम सर्वसमावेशी समाज के निर्माण की तरफ बढ़ते हैं. आज मैं मतुआ समाज के सभी साथियों से भी कुछ आग्रह करना चाहूंगा. सिस्टम से करप्शन को मिटाने के लिए समाज के स्तर पर आपको जागरूकता को और अधिक बढ़ाना है. अगर कहीं भी किसी का उत्पीड़न हो रहा हो, तो वहां जरूर आवाज उठाएं. राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेना हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है। लेकिन राजनीतिक विरोध के कारण अगर किसी को हिंसा से डरा-धमकाकर कोई रोकता है तो वो दूसरे के अधिकारों का हनन है. ये हमारा कर्तव्य है कि हिंसा, अराजकता की मानसिकता अगर समाज में कहीं भी है तो उसका विरोध किया जाए.

Source : News Nation Bureau

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