logo-image

कांग्रेस को खटक रहा है पीएम केयर्स फंड, सोनिया गांधी ने फिर उठाए सवाल

कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक वीडियो बयान जारी कर प्रवासियों की दुर्दशा को रेखांकित किया और पीएम-केयर्स फंड पर हमला किया. इसके पहले उन्होंने प्रवासी मजदूरों के रेल किराए का खर्च पार्टी द्वारा उठाए जाने की घोषणा की.

Updated on: 05 May 2020, 07:58 AM

नई दिल्ली:

कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक वीडियो बयान जारी कर प्रवासियों की दुर्दशा को रेखांकित किया और पीएम-केयर्स फंड पर हमला किया. इसके पहले उन्होंने प्रवासी मजदूरों के रेल किराए का खर्च पार्टी द्वारा उठाए जाने की घोषणा की. सोनिया गांधी ने कहा, "मुझे उम्मीद थी कि दान के नाम पर आए हजारों करोड़ रुपये का इस्तेमाल राष्ट्र निर्माण में किया जाएगा और मजदूरों की मुफ्त यात्रा मुहैया कराई जाएगी लेकिन मुझे दुख है कि ऐसा नहीं हुआ." उन्होंने कहा कि किसान अन्नदाता हैं, उसी तरह मजदूर राष्ट्र निर्माता हैं.

यह भी पढ़ें : रेल भाड़ा विवाद : कर्नाटक, महाराष्ट्र और केरल नहीं कर रहे मजदूरों के किराये का भुगतान

कांग्रेस नेता ने कहा कि देश उस दर्द को महसूस कर रहा है जब लोगों को बिना भोजन किए अपने घरों की ओर पैदल जाते हुए देखा गया. उन्होंने टिकटों पर विशेष शुल्क के लिए रेलवे पर निशाना साधा. गांधी ने सोमवार सुबह अपने बयान में कहा है कि केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के लिए मुश्किल से चार घंटे का नोटिस दिया था, इसलिए श्रमिक और प्रवासी मजदूर अपने घरों को लौटने के अवसर से वंचित रह गए. उन्होंने कहा, "1947 में विभाजन के बाद, यह पहली बार है जब भारत ने इतनी बड़ी मानवीय कीमत के साथ एक त्रासदी देखी, क्योंकि हजारों प्रवासी मजदूरों को कई सौ किलोमीटर पैदल चलने के लिए मजबूर किया गया है. मजदूर बिना भोजन, बिना दवा, बिना पैसे के, बिना परिवहन के, अपने परिवार और प्रियजनों से मिलने की इच्छा रखते हुए घर लौट रहे हैं."

पीएम राहत कोष और पीएम केयर्स फंड में अंतर

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के संचालन का अधिकार पूरी तरह पीएमओ के पास है. 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इसका संचालन पूरी तरह पीएमओ को सौंप दिया था, जबकि पीएम केयर का संचालन सिर्फ पीएमओ नहीं करेगा. इसमें प्रधानमंत्री भले अध्यक्षता करेंगे मगर गृह मंत्री, रक्षा मंत्री और वित्त मंत्री भी अहम भूमिका में रहेंगे. इसके अलावा विज्ञान, स्वास्थ्य, कानून, समाजसेवा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों को भी सदस्य के तौर पर नामित किया जाएगा. धनराशि के खर्च के बारे में प्रधानमंत्री, मंत्री और विशेषज्ञों की कमेटी फैसला करेगी.

यह भी पढ़ें : टेलीविज़न दूरदर्शन के बाद अब स्टार प्लस पर होगा 'रामायण' का प्रसारण

जानकारों का मानना है कि पीएम केयर का संचालन ज्यादा लोकतांत्रिक तरीके से होगा, क्योंकि इसमें प्रधानमंत्री ने मंत्रियों को भी शामिल किया है. खास बात है कि पीएम केयर में दस रुपये भी दान किया जा सकता है. हालांकि अभी पीएम केयर को लेकर कई बातें साफ नहीं हैं. मसलन, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष की ऑडिट का अधिकार सीएजी को है तो फिर पीएम केयर की ऑडिट कौन करेगा. कुछ चीजें दोनों फंड में कॉमन हैं. पीएमएनआरएफ या फिर पीएम केयर दोनों में दान करने पर 80 जी के तहत छूट मिलती है.

जब नेहरू ने 1948 में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष की स्थापना की थी तब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी फंड की प्रबंध समिति में होते थे. 1985 से पहले कारपोरेट घरानों के प्रतिनिधियों को भी इसमें जगह मिलती थी. मगर राजीव गांधी ने बाद में सिर्फ और सिर्फ पीएमओ के अधीन इसका संचालन कर दिया था.