लश्कर के नापाक मंसूबों का मुकाबला करने को लश्कर में तैनात हैं 5 भारतीय एजेंट
लश्कर के नापाक मंसूबों का मुकाबला करने को लश्कर में तैनात हैं 5 भारतीय एजेंट
नई दिल्ली:
लश्कर-ए-तैयबा में पांच भारतीय खुफिया एजेंट तैनात हैं, ताकि उसकी ताकत से मुकाबला किया जा सके और उसके ऑपरेशनों में खलल डाला जा सके। इस तरह ऑपरेशन ट्रोजन हॉर्स का जन्म हुआ, जो अपनी तरह का पहला भारतीय आतंकवाद विरोधी मिशन है जो वर्षो तक चलेगा। यह खुलासा एक किताब में हुआ है।अभिषेक शरण और डी.पी. सिन्हा की लिखी किताब ऑपरेशन ट्रोजन हॉर्स (हार्पर कॉलिन्स) की लिखी वास्तविक घटनाओं से प्रेरित किताब में जिसमें 26/11 के मुंबई आतंकी हमले और कई अन्य लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेशन शामिल हैं और उन साहसी पुरुषों की सच्ची कहानियां हैं, जिन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए दुश्मन देश में अपनी जान जोखिम में डाल दी।
किताब में लिखा है, साल 1996 की बात है। सोलह वर्षीय लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) फिदायीन पाकिस्तान से भारत आया। काउंटर टेररिज्म सेल के अधिकारी शेखर सिंह जब उसे पकड़ लेते हैं और उससे पूछताछ करते हैं, तो वह एक चौंकाने वाला खुलासा करता है। उसने कहा कि आतंकवादी समूह ने नियमित नागरिकों की आड़ में पुरुषों को भारत में बसने के लिए भेजना शुरू कर दिया है। उन्हें इसके मिशनों के लिए धूर्तता से काम करना है और देश को भीतर से नष्ट करना है।
शेखर सिंह यह सुनकर स्तब्ध रह गए। उन्होंने यह बात अपने आकाओं को बताई। आकाओं ने लड़ाई को दुश्मन के खेमे तक ले जाने का फैसला किया।
हार्पर कॉलिन्स, इंडिया प्रकाशकन के कार्यकारी संपादक सिद्धेश इनामदार ने कहा, यह एक उल्लेखनीय, विस्फोटक पुस्तक है। लेखक डी.पी. सिन्हा, जिन्होंने अपना करियर इंटेलिजेंस ब्यूरो में आतंकवाद विरोधी रणनीति तैयार करने में बिताया, और वरिष्ठ अपराध पत्रकार अभिषेक शरण ने एक उपन्यास लिखा है। यह रोमांचक किताब आतंक के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक खिड़की का काम करती है। यह दुश्मन से लड़ने के लिए भारत के आत्मविश्वास और सक्रिय दृष्टिकोण के बारे में बहुत कुछ बताती है, जो अब तक ज्ञात नहीं है।
डी.पी. सिन्हा ने कहा, इस उपन्यास के पीछे का विचार कई आतंकवाद-रोधी अभियानों से उभरा, जिसमें मैं शामिल था। यह पुस्तक अनगिनत अंडरकवर एजेंटों को समर्पित है, जिन्होंने कर्तव्य निभाते हुए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया है।
अभिषेक शरण ने कहा, यह आतंक के खिलाफ भारत की लड़ाई की कहानी है। पुस्तक पुलिस अधिकारी शेखर सिंह का अनुसरण करती है, क्योंकि वह आतंकवादी संगठनों की योजनाओं को विफल करने के लिए भारतीय प्रतिक्रिया का नेतृत्व करता है।
सिन्हा एक पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं, जिन्होंने अपने करियर का अधिकांश समय इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) में रहते हुए आतंकवाद-रोधी अभियानों की देखरेख करने में बिताया। आईबी में विशेष निदेशक के पद पर पहुंचने के बाद उन्होंने कैबिनेट सचिवालय में सचिव (सुरक्षा) के रूप में भी कार्य किया।
दूसरे लेखक शरण एक वरिष्ठ अपराध पत्रकार हैं, जो पिछले 20 वर्षो के दौरान भारत में हुए आतंकी हमलों पर ग्राउंड जीरो से रिपोर्टिग कर रहे हैं। उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस में अपना करियर शुरू किया और बाद में हिंदुस्तान टाइम्स, द एशियन एज और हाल ही में मुंबई मिरर के लिए काम किया, जहां वह वरिष्ठ सहायक संपादक थे।
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