सुप्रीम कोर्ट ने बेटियों को अपने माता-पिता का अंतिम संस्कार करने का अधिकार देने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने को लेकर केंद्र को निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई से बुधवार को इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति एस ए बोबड़े, न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने गरिमा भारती की याचिका खारिज करते हुए कहा कि अदालतें ऐसे मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती क्योंकि यह ‘आस्था और विश्वास’ का मामला है.
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पीठ ने कहा, ‘हमें इस याचिका पर सुनवाई करने की कोई वजह नहीं दिखाई देती. इसलिए रिट याचिका खारिज की जाती है. हालांकि, याचिकाकर्ता सामाजिक अधिकारिता मंत्रालय के समक्ष याचिका दे सकती हैं. लंबित अर्जी का निपटारा हो गया समझा जाए.’ सुनवायी के दौरान पीठ ने कहा कि भारत में कुछ समुदाय हैं जो बेटियों को अपने माता-पिता का अंतिम संस्कार करने की अनुमति देते हैं जबकि कुछ समुदाय नहीं देते. पीठ ने कहा, ‘अगर यह रस्म अपराध नहीं है तो सरकार ऐसी चीजों पर नियंत्रण नहीं लगा सकती.’