पैसे देर से जमा करवाने के सवाल पर बैंक अधिकारियों को मिले करारे जवाब
कई लोगों ने कहा और लिखा कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली पर भरोसा था, लेकिन अब वो पलट गए हैं।
New Delhi:
आरबीआई ने 19 दिसंबर को जारी अपने सर्कुलर में बैंक में एक साथ 5000 रुपये तक जमा कराने की सीमा तय की थी। बुधवार को ये फैसला वापस ले लिया गया लेकिन इससे पहले बैंकों में जो नज़ारे दिखे, वो अद्भुत थे। हताश-परेशान लोगों से बैंक अधिकारियों ने पूछताछ शुरू की तो उनकी सब्र का बाँध टूटता दिखा।
बैंक अधिकारी के पूछने पर कि अब तक पैसा क्यों नहीं जमा किया, कई लोगों ने कहा और लिखा कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली पर भरोसा था, लेकिन अब वो पलट गए हैं। उन्हें इसकी उम्मीद नहीं थी। बता दें कि पहले इन्होंने कहा कि 30 जनवरी तक पुराने नोट किया जा सकेगा।
स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव ने भी यही प्रयोग किया, जिसे बाद में उन्होंने सोशल मीडिया पर भी डाल दिया। उन्होंने लिखा कि उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि अपने ही पैसे जमा करने करने के लिए उन्हें इतनी परेशानी क्यों उठानी पड़ रही है। वो बैंकों के आगे की कतार कम होने की उम्मीद में इंतज़ार कर रहे थे।
आरबीआई ने पहले कहा था, '30 दिसंबर, 2016 से पहले किसी भी बैंक खाते में 5,000 रुपये से अधिक के पुराने नोट सिर्फ एक बार ही जमा किए जा सकते हैं। ऐसा करते हुए भी पुराने नोट जमा कराने वाले व्यक्ति को बैंक के दो अधिकारियों के सामने बताना होगा कि उसने अब तक ये नोट जमा क्यों नहीं किए।'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को 500 और 1000 रुपये पर प्रतिबंध की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि 30 दिसंबर तक पुराने नोट जमा करा सकते हैं लेकिन आरबीआई द्वारा 5000 रुपये की सीमा तय किये जाने से लोग परेशान थे।
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