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अयोध्या में मनाई जा रही हैं खुशियां, फैसले के बाद लोगों ने बांटी मिठाई( Photo Credit : IANS)
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अयोध्या में मनाई जा रही हैं खुशियां, फैसले के बाद लोगों ने बांटी मिठाई( Photo Credit : IANS)
दशकों से चले आ रहे देश के सर्वाधिक चर्चित और विवादित अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन राम जन्मभूमि न्यास को दे दी है. साथ ही मुसलमानों को मस्जिद के लिए दूसरी जमीन देने का आदेश दिया है. सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या विवाद पर अपने फैसले में कहा कि सरकार तीन महीने के भीतर ट्रस्ट बनाएगा और ट्रस्ट मंदिर का निर्माण करेगा. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. इस संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं. इस ऐतिहासिक फैसले के बाद अयोध्या में खुशियां मनाई जाने लगी है.
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में लोगों ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी का इजहार किया है. हालांकि अयोध्या में फैसले को देखते हुए पूरी तरह से नाकाबंदी कर दी गई है. मंदिर की ओर जाने वाले सभी रास्तों को सील कर दिया गया है. शहर में मीडियाकर्मियों के प्रवेशको भी प्रतिबंधित कर दिया गया है. अयोध्या में प्रवेश के सभी रास्ते प्रतिबंधित कर दिए गए हैं और ट्रैफिक को भी डायवर्ट कर दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर जो फैसला सुनाया है, उसमें विवादित जमीन हिंदू पक्षकारों को दे दी है. न्यायालय ने कहा कि सरकार 3 महीने के भीतर ट्रस्ट बनाएगा और ट्रस्ट मंदिर का निर्माण करेगा. केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार मंदिर, मस्जिद निर्माण की निगरानी करेंगे. साथ ही कोर्ट ने अपने फैसले में मुसलमानों को मस्जिद के लिए दूसरी 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया.
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कोर्ट ने यह भी कहा कि अयोध्या में बुनियादी ढांचा इस्लामी नहीं था. हिंदुओं की इस बात का स्पष्ट सबूत है कि हिंदू मान्यता के अनुसार, राम का जन्म विवादित स्थान पर हुआ था. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस बात के सबूत हैं कि अंग्रेजों के आने से पहले हिंदू राम चबूतरा, सीता रसोई की पूजा करते थे. अदालत ने माना कि मीर बाकी द्वारा निर्मित मस्जिद बाबर के आदेश से बनी थी और मस्जिद के अंदर 1949 में मूर्तियों को रखा गया था.
इसके अलावा शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए निर्मोही अखाड़ा का दावा खारिज किया. कोर्ट ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा राम लला की मूर्ति का उपासक या अनुयायी नहीं है. निर्मोही अखाड़े का दावा कानूनी समय सीमा के तहत प्रतिबंधित है. कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा को जमीन देने का इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला गलत था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 में विवादित भूमि पर फैसला सुनाया था.
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