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अयोध्‍या केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर पीस पार्टी ने दायर की क्‍यूरेटिव पिटीशन

अयोध्या भूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर अब पीस पार्टी की ओर डॉक्‍टर अय्यूब ने क्‍यूरेटिव पिटीशन दायर की है. अर्जी में कहा गया है कि फैसले में मुस्लिम पक्ष की ओर से रखे सबूतों को नजरअंदाज किया गया.

Updated on: 21 Jan 2020, 12:48 PM

नई दिल्‍ली:

अयोध्या भूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर अब पीस पार्टी की ओर डॉक्‍टर अय्यूब ने क्‍यूरेटिव पिटीशन दायर की है. अर्जी में कहा गया है कि राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ करने वाला 9 नवंबर को दिया सुप्रीम कोर्ट का फैसला आस्था के आधार पर लिया गया था. इस फैसले में मुस्लिम पक्ष की ओर से रखे सबूतों को नजरअंदाज किया गया. लिहाजा इस पर दोबारा विचार होना चाहिए. मुख्य मामले मे पीस पार्टी पक्षकार नहीं थी, लेकिन इसकी ओर से पुनर्विचार अर्जी दायर की गई थी. इससे पहले 12 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पीस पार्टी समेत 19 पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया था.

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पिछले साल 12 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय खंडपीठ ने बंद कमरे में अयोध्‍या भूमि विवाद में दायर 18 रिव्‍यू पिटीशनों की सुनवाई के बाद खारिज कर दिया. ये रिप्रेजेंटेटिव सूट यानी प्रतिनिधियों के जरिए लड़ा जाने वाला मुकदमा है, लिहाजा सिविल यानी दीवानी मामलों की संहिता सीपीसी के तहत पक्षकारों के अलावा भी कोई पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकता है.

इस मामले में 9 याचिकाएं पक्षकार की ओर से, जबकि 9 अन्य याचिकाकर्ता की ओर से लगाई गई थी. इन याचिकाओं की मेरिट पर भी विचार किया गया. इससे पहले निर्मोही अखाड़े ने भी पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का फैसला किया. निर्मोही अखाड़े ने अपनी याचिका में कहा कि फैसले के एक महीने बाद भी राम मंदिर ट्रस्ट में उनकी भूमिका तय नहीं हुई है. कोर्ट इस मामलें में स्पष्ट आदेश दे, लेकिन अब उनकी याचिकाएं खारिज कर दी गई हैं.

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पुनर्विचार याचिका खारिज करने वाली सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ में चीफ जस्टिस एसए बोबडे के साथ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और संजीव खन्ना ने सुनवाई की. इस पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना नया चेहरा थे. पहले बेंच की अगुवाई करने वाले तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई रिटायर हो चुके हैं. ऐसे में संजीव खन्ना ने उनकी जगह ली है. शीर्ष अदालत ने अयोध्या जमीन विवाद मामले में नौ नवंबर को अपना फैसला सुनाया था. अदालत ने पूरी 2.77 एकड़ विवादित जमीन रामलला को यानी राम मंदिर बनाने के लिए देने का फैसला किया था. इसके साथ ही सर्वसम्मति से केंद्र को यूपी सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में मस्जिद के निर्माण के लिए 5 एकड़ का भूखंड आवंटित करने का भी निर्देश दिया था.