पवार के घर पर हमला: मुंबई पुलिस ने की खुफिया अलर्ट की अनदेखी
पवार के घर पर हमला: मुंबई पुलिस ने की खुफिया अलर्ट की अनदेखी
मुंबई:
एमएसआरटीसी के कर्मचारियों द्वारा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार के घर पर किए गए चौंकाने वाले हमले के तीन दिन बाद, यह पता चला है कि घटना से कम से कम 4 दिन पहले मुंबई पुलिस को खुफिया अलर्ट मिला था।खुफिया जानकारी के अनुसार, एमएसआरटीसी (महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम) के कर्मचारी, जिनके साथ महिलाएं भी थीं, अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। प्रदर्शन के दौरान उन्होंने पवार के धर पर धावा बोल दिया था। बताया गया है कि कर्मचारियों ने उनके आवास पर पथराव किया और जूते-चप्पल भी फेंके।
पता चला है कि पवार परिवार के सिल्वर ओक बंगले और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के आधिकारिक और निजी आवास - मालाबार हिल में वर्षा और बांद्रा पूर्व में मातोश्री - पर विरोध प्रदर्शन किए जाने की प्रबल संभावना थी।
इस अलर्ट में बॉम्बे हाईकोर्ट, मंत्रालय, सह्याद्री स्टेट गेस्ट हाउस और परिवहन मंत्री अनिल परब के आधिकारिक और निजी आवास पर इसी तरह की आंदोलन योजनाओं के बारे में सतर्क किया गया था।
इन्हें देखते हुए इनपुट्स ने इन क्षेत्रों में संभावित कानून-व्यवस्था की स्थिति की चेतावनी दी थी और मुंबई के प्रवेश बिंदुओं जैसे दहिसर, वाशी, मुलुंड और रेलवे स्टेशनों पर सुरक्षा कड़ी करने की सिफारिश की गई थी।
पवार के घर पर 8 अप्रैल के हमलों के तुरंत बाद, गृह मंत्री दिलीप वलसे-पाटिल ने इस घटना की जांच की घोषणा की, जिसने राजनीतिक हलकों में हंगामा खड़ा कर दिया था। इस घटनाक्रम ने कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान लगाने के साथ ही शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-कांग्रेस की महा विकास अघाड़ी सरकार को शर्मिदा भी किया है।
परब ने रविवार को कहा कि जो कर्मचारी हमले में शामिल थे, उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया जाएगा।
उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, भारतीय जनता पार्टी के नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस और प्रवीण दारेकर जैसे कई राकांपा नेताओं ने हमलों की निंदा की और मुंबई पुलिस और समय पर निवारक उपाय न करने के लिए खुफिया जानकारी की विफलता को दोषी ठहराया।
शिवसेना सांसद संजय राउत ने भाजपा पर उंगली उठाते हुए कहा कि यह आंदोलन नहीं, बल्कि पवार परिवार पर सुनियोजित हमला है, जबकि आवास मंत्री डॉ. जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि राकांपा सुप्रीमो को शारीरिक नुकसान पहुंचाने की भयावह मंशा थी।
घटना के सिलसिले में एमएसआरटीसी के कर्मचारियों के वकील गुणरतन सदावर्ते सहित लगभग 110 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
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