बिहार की राजधानी पटना समेत पूरे राज्य में शनिवार को नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय लोक आस्था और सूर्य उपासना का महापर्व चैती छठ प्रारंभ हो गया।
पटना में गंगा तटों पर सुबह से ही छठव्रतियों की भीड़ उमड़ने लगी। पहले दिन छठ व्रत करने वाले पुरूष और महिला अंत:करण की शुद्धि के लिए नदियों, तालाबों और विभिन्न जलाशयों में स्नान करने के बाद अरवा चावल, चने की दाल और लौकी (कद्दू) की सब्जी का प्रसाद ग्रहण किया।
सूर्योपासना का महापर्व छठ कार्तिक महीने में भी होता है। कार्तिक महीने में होने वाले छठ महापर्व की तरह हालांकि चैती छठ पूजा के दौरान नदियों और जलाशयों में छठ व्रतियों की भीड़ नहीं उमड़ती है।
चैती छठ को लेकर विभिन्न क्षेत्रों में छठ के गीत गूंज रहे हैं। व्रतियों द्वारा गाए जा रहे छठ गीत से पूरा माहौल भक्तिमय हो गया है।
परिवार की समृद्धि और कष्टों के निराकरण के लिए इस महापर्व के दूसरे दिन रविवार को व्रती दिन भर बिना जलग्रहण किए उपवास रखने के बाद सूर्यास्त होने पर खरना करंेगे। इसमें भगवान भास्कर की पूजा करेगें और उसके बाद दूध और गुड़ से खीर का प्रसाद बनाकर उसे ग्रहण करेंगे। इसके बाद करीब 36 घंटे का निराहार व्रत शुरू हो जाएगा।
पर्व के तीसरे दिन छठव्रती शाम को नदी, तालाबों सहित विभिन्न जलाशयों में पहुंचकर अस्ताचलगामी सूर्य को अघ्र्य अर्पित करेंगे। पर्व के चौथे और अंतिम दिन उदीयमान सूर्य के अघ्र्य देने के बाद ही व्रतधारियों का व्रत समाप्त हो जाएगा। इसके बाद व्रतधारी फिर अन्न-जल ग्रहण कर पारण करेंगे।
छठ को लेकर पटना में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। पटना में गंगाा घाटों पर सुरक्षा के प्रबंध किए गए हैं।
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Source : IANS