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बिहार: कृषि कानूनों की वापसी के बाद लालू ने दी किसानों को बधाई, तेजस्वी ने कहा, किसानों की जीत

बिहार: कृषि कानूनों की वापसी के बाद लालू ने दी किसानों को बधाई, तेजस्वी ने कहा, किसानों की जीत

Updated on: 19 Nov 2021, 01:00 PM

पटना:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शुक्रवार को तीन कृषि कानूनों के वापस लेने की घोषणा के बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने किसानों को बधाई दी है। इधर, बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने तीनों कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा को किसानों की जीत और अहंकार की हार बताया है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू प्रसाद ने तीन कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा के बाद विश्व के सबसे लंबे, शांतिपूर्ण व लोकतांत्रिक किसान सत्याग्रह के सफल होने पर बधाई दी।

उन्होंने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा, विश्व के सबसे लंबे, शांतिपूर्ण व लोकतांत्रिक किसान सत्याग्रह के सफल होने पर बधाई। पूंजीपरस्त सरकार और उसके मंत्रियों ने किसानों को आतंकवादी, खालिस्तानी, आढ़तिए, मुट्ठीभर लोग, देशद्रोही इत्यादि कहकर देश की एकता और सौहार्द को खंड-खंड कर बहुसंख्यक श्रमशील आबादी में एक अविश्वास पैदा किया।

उन्होंने आगे अपने अंदाज में लिखा, देश संयम, शालीनता और सहिष्णुता के साथ-साथ विवेकपूर्ण, लोकतांत्रिक और समावेशी निर्णयों से चलता है ना कि पहलवानी से। बहुमत में अहंकार नहीं बल्कि विनम्रता होनी चाहिए।

इधर, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि यह किसान की जीत है, देश की जीत है। यह पूंजीपतियों, उनके रखवालों, नीतीश-भाजपा सरकार और उनके अंहकार की हार है।

विपक्ष के नेता तेजस्वी ने एक बयान में कहा, विश्व के सबसे शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक किसान आंदोलन ने पूंजीपरस्त सरकार को झुकने पर मजबूर किया। आंदोलनजीवियों ने दिखाया कि एकता में शक्ति है। यह सबों की सामूहिक जीत है। बिहार और देश में व्याप्त बेरोजगारी, महंगाई, निजीकरण के खिलाफ हमारी जंग जारी रहेगी।

उन्होंने आगे कहा कि भाजपा उपचुनाव हारे तो इन्होंने पेट्रोल-डीजल पर दिखावटी ही सही लेकिन थोड़ा सा टैक्स कम किया। उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब की हार के डर से तीनों काले कृषि कानून वापस लेने पड़ रहे है। पिछले वर्ष 26 नवंबर से किसान आंदोलनरत थे। बिहार विधानसभा चुनाव नतीजों के तुरंत पश्चात किसानहित में हम किसानों के समर्थन में सड़कों पर थे।

अंतत: सत्य और किसानों की जीत हुई।

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