बिहार में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। बिहार के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने गुरुवार को राज्य में उच्च शिक्षा की स्थिति के खराब होने के लिए सहयोगी पार्टी जदयू को जिम्मेदार ठहराया है। इधर, जदयू ने डॉ जायसवाल के बयान को हास्यास्पद बताया।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जदयू के साथी अग्निपथ योजना में सुधार की बात कर रहे हैं लेकिन मुझे राज्य में शिक्षा की मौजूदा स्थिति देखकर हंसी आती है। यहां 2019 में जिस छात्र ने बीए का फॉर्म भरा हो वह 2022 में दूसरे वर्ष की ही परीक्षा दे रहा है। जबकि अग्निपथ योजना 22 साल के लड़के को आर्मी की ट्रेनिंग, 10वीं पास लड़का है तो उसको 12वीं पास करेंगे, अगर 12वीं पास है तो उसे ग्रेजुएशन में तीनों साल की परीक्षा नहीं देनी है।
उसको अग्निपथ योजना के तहत जैसे ही चार साल खत्म होगा उसे केवल दो विषय की परीक्षा देनी है और दो विषय की उसको ट्रेनिंग मिल जाएगी अग्निवीर के नाम पर। मतलब वह कंप्यूटर सीखेगा, ड्रोन चलाना सीखेगा, नेवी में जाएगा तो पानी का जहाज चलाना सीखेगा।
22 साल में इतना कुछ सीखकर जब वह बाहर जाएगा तो उनमें से सबसे योग्य 25 फीसदी युवाओं को सेना में वापस लिया जाएगा और शेष युवाओं को अलग-अलग जगह आरक्षण देकर नौकरी देने का काम किया जाएगा।
जायसवाल ने कहा कि उन्हें बिहार में उच्च शिक्षा की स्थिति पर पुनर्विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग लंबे समय से जदयू के पास रहा है।
इधर, जदयू ने भाजपा अध्यक्ष के बयान पर जदयू ने पलटवार करने में देर नहीं की।
जदयू के नेता और पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि उच्च शिक्षा के सत्र में विलम्ब के लिए सवाल उठाने वाले को यह जानकारी जरूर होगी कि राज्य सरकार के मंत्री एवं शिक्षा विभाग के पदाधिकारी सत्र को नियमित करने के लिए कुलाधिपति, कुलाधिपति कार्यालय, विभिन्न विश्वविद्यालय के कुलपति एवं विश्वविद्यालय के पदाधिकारी के स्तर पर लगातार बैठक कर इस दिशा में सार्थक पहल करते रहे हैं।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय शिक्षा के प्रशासनिक ढाँचे के प्रमुख कुलाधिपति होते हैं। सवाल उठाने वाले क्या कुलाधिपति पर सवाल खड़ा कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि जदयू ने अग्निपथ योजना पर पुनर्विचार की सलाह दी है।
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Source : IANS